छ्पी-अनछपी: ईडी का डिप्टी डायरेक्टर 20 लाख घूस लेते गिरफ्तार, मोदी बोले- बिहार में किया वादा निभाया
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सीबीआई ने 20 लाख रुपए घूस लेने के मामले में ईडी के डिप्टी डायरेक्टर को गिरफ्तार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिहार में किया वादा निभाया। बीपीएससी 71वीं पीटी के लिए 1250 सीटों पर 2 जून से होगा आवेदन। अमेरिकी अपील कोर्ट से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ मामले में राहत मिली है।
और, जानिएगा कि बिहार सवर्ण आयोग का अध्यक्ष किन्हें बनाया गया।
पहली ख़बर
जागरण के अनुसार सीबीआई ने ओडिशा के भुवनेश्वर में ईडी के डिप्टी डायरेक्टर चिंतन रघुवंशी को 20 लाख रुपए रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद रघुवंशी और बिचौलिया भक्ति बेहरा को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया। अदालत में दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। सीबीआई के अनुसार ईडी ने इसी साल 8 जनवरी को ढेंकनाल पत्थर खदान मालिक रतिकांत राउत के 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी। राउत पर अवैध खनन का आरोप है और ईडी इस मामले की जांच कर रही है। डिप्टी डायरेक्टर रघुवंशी ने राउत को बार-बार दफ्तर बुलाकर पूछताछ की। मामले को मैनेज करने के लिए खदान मालिक से दो करोड़ रुपए की मांग कर रहे थे। इस मामले में खदान मालिक ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद एजेंसी में जाल बिछाकर ईडी के डिप्टी डायरेक्टर को गिरफ्तार किया। सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि रघुवंशी ने खदान मालिक से दो करोड़ रुपए की मांग की थी। 50 लाख रुपए में डील फाइनल हुई।
मोदी बोले- बिहार में किया वादा निभाया
हिन्दुस्तान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर बिहार की धरती से पाकिस्तान को ललकारा और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई न रुकी है, न थमी है। आतंक का फन अगर फिर उठेगा, तो भारत उसे बिल से खींचकर कुचल देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-मैं आज बिहार की धरती से फिर दोहराना चाहता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की जो ताकत दुश्मन ने देखी है, ये तो हमारे तरकश का केवल एक तीर है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में आतंकी हमले के एक दिन बाद मैं बिहार आया था, और मैंने बिहार की धरती से देश से वादा किया था कि आतंक के आकाओं को उनकी कल्पना से ज्यादा सजा मिलेगी। आज जब मैं बिहार आया हूं, तो अपना वचन पूरा करने के बाद आया हूं। पीएम शुक्रवार को रोहतास जिले के बिक्रमगंज में 48,500 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। भाषण की शुरुआत भोजपुरी में करते हुए कहा कि बिहार के स्वाभिमानी आउर मेहनती भाई-बहन आपसभन के प्रणाम।
बीपीएससी की पीटी 30 अगस्त को
प्रभात खबर के अनुसार बीपीएससी की 71वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता (पीटी) परीक्षा 30 अगस्त को होगी। इसका विज्ञापन बीपीएससी ने शुक्रवार को जारी कर दिया। कुल 1250 पदों पर भर्ती होगी। 2 जून से 30 जून तक ऑनलाइन आवेदन करने की तारीख।
भाजपा और भास्कर ने दी सफाई- सिंदूर पहुंचाने का कार्यक्रम नहीं
भास्कर के अनुसार जनसंपर्क कार्यक्रम के तहत घर-घर सिंदूर पहुंचाने की खबर को भाजपा ने गलत बताया है। दैनिक भास्कर ने 28 मई के अंक में ‘घर-घर सिंदूर पहुंचाएगी भाजपा, 9 से शुरुआत’, शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इस खबर में लिखा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को जन-जन तक पहुंचाने की तैयारी के तहत भाजपा महिलाओं को सिंदूर बांटेगी। भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 30 मई को लिखा कि दैनिक भास्कर में छपी यह खबर गलत है। 28 मई को प्रकाशित इस खबर में भाजपा का कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं लिया गया था। भास्कर ने लिखा है कि पाठकों के समक्ष स्थिति स्पष्ट करते हुए हमें स्तूप के लिए खेद है।
टैरिफ मामले में ट्रंप को राहत
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को फिलहाल राहत मिल गई है। एक संघीय अपील अदालत ने गुरुवार को अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अदालत के फैसले पर अस्थाई तौर पर रोक लगाते हुए ट्रंप के टैरिफ को बहाल कर दिया। व्यापार अदालत में बुधवार को वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचाने वाले ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ के फैसले पर रोक लगा दी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि वर्ष 1977 के बाद अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम ट्रंप को इस प्रकार से शुल्क लगाने की इजाजत नहीं देता। वाशिंगटन में संघीय सर्किट के लिए अमेरिकी अपील अदालत ने कहा कि वह सरकार की अपील पर विचार करने के लिए निचली अदालत के फैसले को रोक रही है।
दो और आयोगों में चेयरमैन बहाल
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार सरकार ने शुक्रवार को दो आयोगों का पुनर्गठन किया है। इनमें उच्च जातियों के लिए राज्य आयोग (सवर्ण आयोग) एवं राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग शामिल हैं। पूर्व विधान पार्षद तथा भाजपा नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह को उच्च जातियों के लिए राज्य आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। वहीं, पश्चिम चंपारण निवासी शैलेंद्र कुमार को राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। जदयू नेता राजीव रंजन प्रसाद को उच्च जातियों के लिए राज्य आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इनके अतिरिक्त तीन सदस्य मनोनीत किए गए हैं। इनमें दरभंगा के दयानंद राय, पटना के जयकृष्ण झा और भागलपुर के राजकुमार सिंह शामिल हैं। दूसरी ओर, पश्चिम चंपारण के सुरेंद्र उरांव को राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं, पश्चिम चंपारण की ही प्रेमशीला गुप्ता, कटिहार के तल्लु बासकी ,बक्सर के राजकुमार को राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने इन दोनों आयोगों के पुनर्गठन को लेकर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति योगदान की तिथि से तीन साल के लिए की गई है।
कुछ और सुर्खियां:
- सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए होने वाली नीट पीजी एक ही शिफ्ट में करने का आदेश दिया
- पटना में 2 दिन में मिले कोरोना के 12 नए मरीज, आंकड़ा 22 पहुंचा
- उत्तराखंड के अंकिता हत्याकांड के दोषी पूर्व भाजपा नेता के बेटे समेत तीन को उम्र कैद
- बिहार में 26 से 30 मई के बीच 18 लाख आयुष्मान कार्ड बने
- सीतामढ़ी में ग्रामीण बैंक का ब्रांच मैनेजर और कर्मचारी रिश्वत लेते दबोचा गया
अनछपी: बिहार में विभिन्न वर्गों के लिए बनाए जाने वाले आयोगों का नीतीश कुमार सरकार ने बुरा हाल कर रखा था। लंबे समय से इसमें बहाली नहीं हुई थी और सोचा जा सकता है कि आयोग को जो काम करना है वह कैसे हो रहा होगा। अब बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं तो इन अयोगों में ताबड़तोड़ अध्यक्ष और सदस्य बनाए जा रहे हैं। पहले बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के नाम का ऐलान हुआ और फिर उच्च जाति आयोग जिसे सवर्ण आयोग भी कहा जाता है और बिहार राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्षों और सदस्यों का ऐलान हुआ। इसमें कोई दो राय नहीं कि जिस तरह पार्टी के सदस्यों को इन अयोगों में लाया जाता है वह दरअसल रेवड़ी संस्कृति की ही बात है। यानी सरकार चला रही पार्टी के उन नेताओं को लाभ का पद दिया जाए जो मंत्री नहीं बने और दूसरी जगह नहीं खपाए जा सके। ऐसे में यह सवाल उठता है कि नीतीश सरकार ने इन अयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों के पदों को खाली क्यों रखा और इसकी वजह से संबंधित वर्गों को होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे होगी? पार्टी के सदस्यों की ही बहाली करने में सरकार इतनी आनाकानी क्यों करती रही? ऐसे में नीतीश कुमार के लिए जो सुशासन बाबू का शब्द इस्तेमाल किया जाता है वह भी सवालों के घेरे में आ जाता है। हालांकि यह सवाल पुराना है लेकिन फिर भी पूछा जाना चाहिए कि इन अयोगों के अध्यक्ष और सदस्य पद के लिए किसी खास पार्टी का सदस्य होना क्यों जरूरी होता है? जाहिर है इन बहालियों का मकसद राजनीतिक हित साधना होता है। अगर हम बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के नए अध्यक्ष गुलाम रसूल बलियावी की बात करें तो ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार सरकार ने मुसलमानों में वक़्फ़ कानून को लेकर जो गुस्सा है उसे बेअसर करने के लिए यह पोस्टिंग की है। नीतीश कुमार की राजनीति की खास बात यह रही है कि वह एक वर्ग में फूट डालकर उसे अपनी तरफ करने की कोशिश करते हैं। ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार के रणनीतिकार यह समझते हैं कि बलियावी को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाने से मुसलमानों का एक वर्ग वक़्फ़ के मामले में इसलिए ठंडा पड़ जाएगा क्योंकि बलियावी अब वक़्फ़ के बारे में कोई बयान नहीं देंगे और ना ही आंदोलन करेंगे। ऐसा सोचने की वजह यह भी है कि इमारत-ए-शरिया ने साफ तौर पर वक़्फ़ के मामले में नीतीश कुमार के विरोध का ऐलान कर रखा है। चूंकि बलियावी इमारत-ए-शरिया से अलग इदारा-ए-शरिया के सर्वेसर्वा हैं इसलिए उनके असर वाले वर्ग को अलग तरीके से देखा जाता है। सवाल यह है कि क्या वक़्फ़ पर बलियावी की चुप्पी को उनका समर्थक वर्ग स्वीकार करेगा और नीतीश कुमार की इस चाल को नहीं समझ पाएगा?
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