छापी अनछपी: फाइनल वोटर लिस्ट में 69 लाख नाम डिलीटेड, ग़ज़ा पर ट्रंप के प्रस्ताव से मोदी का ख़ुश
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण एस ए आर के बाद जो फाइनल लिस्ट आई है उसमें 69 लाख नाम डिलीटेड हैं। ग़ज़ा के भविष्य के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन किया है। एशिया कप क्रिकेट ट्रॉफी को लेकर तनातनी जारी है।
और, जनिएगा कि कैसे कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों को कॉल कर की जा रही ठगी।
पहली खबर
जागरण के अनुसार भारत निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद मंगलवार को राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया है। अंतिम मतदाता सूची में राज्य के सात करोड़ 41 लाख 92 हजार 357 योग्य मतदाताओं के नाम शामिल किए गए हैं। आयोग के अनुसार, 24 जून को राज्य में सात करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 मतदाता सूची में दर्ज थे। एसआईआर के दौरान 65 लाख 64 हजार 75 मतदाताओं के नाम सूची से विविध कारणों से हटाए गए। दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के बाद तीन लाख 66 हजार 742 अतिरिक्त मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया है। इस तरह से दोनों अवधि में हटाए गए मतदाताओं की कुल संख्या 69 लाख 30 हजार 817 हो गई है। वहीं, आयोग ने बताया कि एसआईआर के बाद 21 लाख 53 हजार 343 योग्य मतदाताओं के नाम जोड़े गए। इनमें से 18 से 19 साल के 14 लाख 1150 मतदाता है। आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि एसआईआर में मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख 64 हजार 75 मतदाताओं में कितने दावा आपत्ति में शामिल हुए और इसमें से कितने को दोबारा जोड़ा गया।
ग़ज़ा पर ट्रंप के प्रस्ताव को मोदी का समर्थन
प्रभात खबर के अनुसार ग़ज़ा में जारी खूनी संघर्ष को थामने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपनी 20 सूत्रीय व्यापक शांति योजना का एलान किया। इस योजना की जानकारी उन्होंने इस के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात के बाद दी। इस पहल का समर्थन नेतन्याहू ने भी किया और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्थायी शांति और विकास का रास्ता बताया। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ग़ज़ा संघर्ष को समाप्त करने के लिए व्यापक योजना का स्वागत करते हैं। यह न सिर्फ इसराइल और फलस्तीन नहीं, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया के लिए शांति, सुरक्षा और प्रगति का मार्ग प्रशस्त केरेगी। वहीं, हमास ने कहा कि वह ट्रंप की जा शांति योजना पर विचार करके प्रतिक्रिया देगा।
एशिया कप क्रिकेट ट्रॉफी को लेकर तनातनी
हिन्दुस्तान के अनुसार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने मंगलवार को एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में भारत को एशिया कप की विजेता ट्रॉफी नहीं दिए जाने पर ‘कड़ा ऐतराज’ जताया। हालांकि, एसीसी के अध्यक्ष मोहसिन नकवी अपने रुख पर बरकरार हैं। बीसीसीआई अब इस मामले को आईसीसी के पास ले जाएगा, जिसकी बैठक नवंबर में होनी है। भारत को रविवार को ट्रॉफी नहीं दी गई थी, क्योंकि भारतीय टीम ने पाकिस्तान सरकार में मंत्री और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष नकवी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था। ट्रॉफी अभी एसीसी के कार्यालय में ही रखी है। यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि इसे विजेता टीम के पास कब तक पहुंचाया जाएगा। बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व बोर्ड के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और पूर्व कोषाध्यक्ष आशीष शेलार ने किया। एक सूत्र ने बताया कि शुक्ला ने स्पष्ट रूप से कहा कि ट्रॉफी विजेता टीम को सौंपी जानी चाहिए। यह एसीसी की ट्रॉफी है और किसी एक व्यक्ति की नहीं है। उन्होंने बताया कि नकवी अब भी ट्रॉफी देने पर सहमत नहीं हुए।
मशहूर शायर कासिम खुर्शीद का इंतकाल
प्रभात खबर के अनुसार ऊर्दू के प्रसिद्ध शायर, कवि, रंगकर्मी और कथाकार कासिम खुर्शीद का मंगलवार की सुबह 68 वर्ष की उम्र में इंतकाल हो गया। उनका निधन हार्ट अटैक की वजह से हुआ। उन्होंने सुल्तानगंज स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे। अशोक कुल परिवार में उनकी पत्नी हैं। उन्हें बुधवार की सुबह 10 बजे शाहगंज कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए- खाक किया जायेगा. उनके निधा से साहित्य जगत खासकर उर्दू साहित्य जुड़े लोगों में शोक की लहर है। शायर कासिम खुर्शीद का जन्म जहानाबाद के काको में वर्ष 1957 में हुआ था. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी।
कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों को कॉल कर की गई ठगी
भास्कर के अनुसार इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी तय भी नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम टिकट चाहने वालों से खचाखच भरा रहता है। सुबह से देर रात तक यहां टिकटार्थियों का जमावड़ा लगा रहता है। इसी भीड़ को निशाना बनाने के लिए दलालों का एक बड़ा गिरोह सक्रिय हो गया है। ये दलाल खासकर ऐसे लोगों को तलाशते हैं, जिनका राजनीतिक नेटवर्क कमजोर हो, लेकिन पैसे की कमी न हो। वे अपने राजनीतिक रसूख का हवाला देकर मोटी रकम के बदले टिकट दिलाने का दावा करते हैं। जिला स्तर से लेकर दिल्ली तक मैनेज करने का भरोसा दिलाते हुए लाखों रुपए का पैकेज थमा रहे हैं। कई दलाल राष्ट्रीय नेताओं से मिलवाने और दिल्ली ले जाने का वादा भी कर रहे हैं। कुछ टिकट चाहने वाले इनके झांसे में आकर मोटी रकम गवा भी चुके हैं। इधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने टिकट आवेदकों से पैसे मांगने वालों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले यह कांग्रेस पार्टी की शेख को धूमिल करने का सुनियोजित षड्यंत्र है।
कुछ और सुर्खियां:
- आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जारी करेंगे स्मारक टिकट
- गोपालगंज के कटेया थाना क्षेत्र में इंटर के छात्र की चाकू घोंप कर हत्या, 2 घंटे तक सड़क जाम
- स्पीड पोस्ट से भेजे सामान को लेने के लिए भी आज से ओटीपी वेरीफिकेशन शुरू
- भारतीय जनता पार्टी ने जन सुराज के अध्यक्ष उदय सिंह पर उम्र में हेरा फेरी का आरोप लगाया
अनछपी: चुनाव के वक्त नई-नई घोषणाओं और लोक लुभावन वादों का सामने आना कोई खास बात नहीं मानी जाती लेकिन इसकी भी कोई सीमा तो होनी चाहिए। यह बात अब बिल्कुल आम हो चुकी है कि नीतीश कुमार अपने सबसे बुरे दौर में है और अपनी गद्दी बचाने के लिए वह हर तबके के लिए ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं जिसे वोट के लिए घूसखोरी बताया जा रहा है। आज एक ऐसी घोषणा की चर्चा हो रही है जिसे सुनकर हंसी भी आती है और सरकार के दिवालियापन पर अफसोस भी होता है। इस नई घोषणा में कहा गया है कि वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार ने वेतनमान देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक हाई लेवल कमेटी बना दी है। जब वित्त रहित संस्थान को वेतनमान दे ही दिया जाएगा तो वह फिर वित्त रहित कैसे माना जा सकता है? खबरों में बताया गया है कि लगभग 50000 ऐसे शिक्षक और कर्मचारी हैं जिन्हें इस कमेटी की सिफारिश के बाद फायदा हो सकता है। फिलहाल बिहार में 625 हाई स्कूल, 599 इंटर कॉलेज और 225 डिग्री कॉलेज ऐसे हैं जिन्हें वितरहित की श्रेणी में रखा जाता है। वैसे तो कहा जा रहा है कि कमेटी इसलिए बनाई गई है ताकि वह इसकी संभावना को देखे लेकिन जिस तरह घोषणा की जा रही है उससे तो यही लगता है कि कमेटी को भी मालूम है कि उसे क्या सिफारिश करना है। एक लोक कल्याणकारी राज्य में अनएडेड या वित्त रहित शिक्षण संस्थाओं का होना ही अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इस तरह की कमेटी बनाने का ऐलान दरअसल नियमों की अनदेखी करने और लोगों को बेवकूफ बनाने का एक तरीका है। सरकार ऐसे वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को सीधे सरकारी शिक्षण संस्थान घोषित कर आसानी से उन्हें वेतनमान दे सकती है लेकिन ऐसा ना करके सरकार कमेटी कमेटी खेल रही है। बरहाल देखना यह होगा कि अगली सरकार किसकी बनती है और उस नई सरकार का इस कमेटी के बारे में क्या रवैया रहता है।
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