छ्पी-अनछपी: भारत-कुवैत आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे, नीतीश की प्रगति यात्रा आज से
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुवैत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का समझौता हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा आज शुरू हो रही है। पूर्णिया में एक वैन ने 12 लोगों को रौंदा डाला जिससे तीन बच्चों समेत पांच लोगों की मौत हो गई।
जागरण के अनुसार सीमा पार से आतंकवाद के खिलाफ खाड़ी क्षेत्र का एक और देश भारत के साथ खड़ा हुआ है। वह देश कुवैत है जिसका दो दिवसीय दौरा समाप्त कर पीएम नरेंद्र मोदी रविवार देर रात स्वदेश लौटे। इस दौरान मोदी ने कुवैत प्रशासन की तीनों शीर्ष शख्सियतों अमीर शेख मेशाल अल अहमद अल जबर अल सबा, क्राउन प्रिंस शेख सबा खालिद और पीएम शेख अहमद अल अब्दुल्ला से अलग-अलग मुलाकात की। इसके बाद जारी संयुक्त बिहार में भारत और कुवैत में सीमा पार समेत हर तरह के आतंकवाद की निंदा की है और आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह और उन्हें वित्तीय मदद देने वाली व्यवस्था को खत्म करने की मांग की।
नीतीश की प्रगति यात्रा आज से
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से प्रगति यात्रा की शुरुआत करेंगे। इसमें शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री सोमवार सुबह पटना से हेलीकॉप्टर से रवाना होंगे। उनके साथ पटना से जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी भी जाएंगे। वहीं पश्चिम चंपारण जिला के प्रभारी मंत्री सहित अन्य जदयू नेता पहले से ही वाल्मीकिनगर में मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री पहले चरण की इस यात्रा के दौरान पांच जिलों में पहुंचेंगे और लोगों से संवाद के माध्यम से उनके कार्यकाल में हुए कामकाज सहित अन्य मामलों का फीडबैक लेंगे। पहले दिन की यात्रा के बाद उसी दिन मुख्यमंत्री पटना लौट आएंगे।
पूर्णिया में वैन ने 12 को रौंदा, 5 की मौत
हिन्दुस्तान के अनुसार पूर्णिया ज़िले के धमदाहा थाना क्षेत्र के ढोकवा गांव में नशे में एक चालक ने रविवार की रात एक दर्जन लोगों को पिकअप वैन से कुचल दिया। इस घटना में तीन बच्चों समेत पांच लोगों की मौत हो गई। तीन लोगों की मौत मौके पर ही हो गई थी। पीड़ितों के अनुसार तरौनी की तरफ से एक तेज रफ्तार पिकअप वैन अचानक ढकवा गांव स्थित पंचायत भवन के समीप सड़क किनारे खड़े लोगों को रौंदते हुए निकल गयी। लोगों ने बताया कि रफ्तार इतनी तेज थी कि ग्रामीण गाड़ी को रोकने की हिम्मत तक नहीं जुटा सके। जो भी वैन के सामने आया सभी को रौंदते हुए गाड़ी लेकर चालक फरार हो गया।
बक्सर में सड़क हादसे में तीन की जान गई
बक्सर में गंगा पर बने नये पुल पर रविवार की रात ट्रैक्टर और ट्रक की टक्कर में तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं एक युवक बुरी तरह जख्मी है। घटना के बाद पुल पर जाम की स्थिति बन गई। पुल पर यूपी की तरफ से एक ट्रक आ रहा था। उसके पीछे एक ट्रैक्टर था। ट्रैक्टर के ड्राइवर ने ट्रक को ओवरटेक करने का प्रयास किया इसी बीच उसका पिछला हिस्सा ट्रक के अगले हिस्से से जा टकराया। तेज रफ्तार ट्रैक्टर चालक और उसपर बैठा एक व्यक्ति ट्रक के पहियों के नीचे आ गया। जिससे दोनों की वहीं मौत हो गई। इधर, संतुलन बिगड़ा और ट्रक आगे चल रहे ट्रक से जा टकराया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रक के आगे का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इससे ट्रक के चालक की भी मौके पर ही मौत हो गई।
एनटीए को सुझाव: चुनाव जैसा अमला बनाए
जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार नीट, जेईई मेन और यूजीसी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं को पेपर लीक सहित किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचाने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) में सुधार को लेकर गठित अधिकार प्राप्त उच्च स्तरीय समिति ने जो अहम सुझाव दिए हैं, उनमें इन परीक्षाओं के लिए चुनाव जैसा एक समर्पित अमला भी तैयार करने का सुझाव है। इसमें निजी भागीदारी को पूरी तरह खत्म करने की सिफारिश की गई है। एनटीए को हर परीक्षा केंद्र पर चुनाव की तरह प्रेसाइडिंग ऑफीसर की तैनाती के साथ इसकी शुरुआत करने को कहा गया है। इन्हीं अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षा केंद्रों पर छात्रों की बैठक व्यवस्था से लेकर प्रश्न पत्र का लिफाफा खोलने जैसी गतिविधियां संचालित करने का सुझाव दिया गया है।
क्रिसमस ट्री पांच हज़ार तक का
भास्कर की एक खास खबर में बताया गया है कि क्रिसमस को लेकर पटना के बाजारों में दुकानें सज चुकी हैं। सड़कों पर अस्थाई दुकानों में क्रिसमस के सजावटी सामान बाजारों की रौनक बढ़ा रहे हैं। इन दुकानों में क्रिसमस ट्री और सांता क्लॉज एक अलग ही रौनक बढ़ा रहे हैं और यह सड़कों पर आते जाते लोगों को अपनी और आकर्षित कर रहे हैं। बोरिंग रोड चौराहा के पास लगी दुकानों के दुकानदारों ने बताया कि यहां क्रिसमस ट्री ₹200 से ₹5000 तक में उपलब्ध हैं। इस ट्री को सजाने की सामग्री के साथ इसकी कीमत में ₹2000 तक का इजाफा हो सकता है। दुकानों में बिना बिजली से चलने वाले डेढ़ फीट के सांता क्लास की कीमत ₹2000 है जबकि बिजली से चलने वाले 5 फीट तक के सांता क्लॉज उपलब्ध हैं जिनकी कीमत ₹10000 तक है।
कुछ और सुर्खियां
- तेलंगाना में उस्मानिया विश्वविद्यालय ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों ने अल्लू अर्जुन के आवास में तोड़फोड़ की, सुरक्षा बढ़ाई गई
- पांचवीं और आठवीं क्लास की परीक्षा में फेल का नियम फिर लागू होगा
- किशनगंज के बहादुरगंज गुदरी बाजार में दीवार ढहने से तीन लोगों की मौत
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’
अनछपी: पूरी दुनिया में इस समय क्रिसमस मनाने की तैयारी चल रही है और उधर फलस्तीन के ग़ज़ा से खबर आई है कि 20 लाख से अधिक लोग इन दिनों वहां ठंड से ठिठुर रहे हैं। फलस्तीन में इसराइल के हमलों में मारे जाने वाले लोगों की गिनती पिछले साल से पचास हज़ार के आसपास पहुंच चुकी है। भयानक सच्चाई यह है कि इसराइल के हमले और फलस्तीनियों की जान जाने की खबर अब आम बात हो चुकी है। रविवार को भी ग़ज़ा पट्टी में इसराइली हमले में पांच बच्चों समेत 22 लोगों की मौत की खबर आई लेकिन अब ऐसी खबरें सुन कर लोगों का कलेजा काठ हो चुका है। जो लोग फलस्तीन में जिंदा बचे हैं वह भी मुर्दों जैसी हालत में जी रहे हैं। इस समय ग़ज़ा का तापमान 5 से 10 डिग्री सेल्सियस बताया जा रहा है और ऐसे में हजारों बच्चे हैं जो खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर हैं। वहां खाने पीने के सामान के साथ कंबल और गर्म कपड़ों की भारी कमी है। यहां तक कि अलाव के लिए लकड़ी भी नहीं मिल रही है। लोग जिन तंबुओं में रह रहे हैं वह भी बेहद खस्ताहाल हैं। ऐसे में जब वहां तेज हवा और बारिश आती है तो लोगों के लिए जीना और मुश्किल हो जाता है। इंसानियत को शर्मसार करने वाली ऐसी हालत के बावजूद दुनिया का राजा बना फिर रहा अमेरिका फलस्तीन में इसराइल के हमले पर नियंत्रण के लिए कुछ नहीं कर रहा बल्कि उसे और हथियार ही सप्लाई कर रहा है। बात सिर्फ अमेरिका की ही नहीं बल्कि अरब देश और दूसरे यूरोपीय देशों के भी है जो वैसे तो सभ्यता के विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन मूल मानवीय जरूरत को पूरा करने के लिए फलस्तीनियों को बेसहारा छोड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र बार-बार इस स्थिति की तरफ ध्यान दिलाता है लेकिन इसमें सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 10 लाख लोगों को सर्दी से जुड़े सामान की बेहद सख्त जरूरत है जो ग़ज़ा में बहुत महंगे हो गए हैं। दुनिया की यह सारी तरक्की और उसका धन दौलत किस काम का जब मानव समाज के ही 10-20 लाख लोग खुले आसमान में भीषण सर्दी सहने को मजबूर हैं? ग़ज़ा की तरह दूसरे क्षेत्रों में भी बेसहारा रह रहे लोग इस पूरे मानव विकास पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।
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