छ्पी-अनछपी: सात राज्यों में भारत बंद असरदार, सितंबर में हो सकती है जनगणना

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अनुसूचित जाति के कोटे में कोटा के मामले पर दलित संगठनों ने बुधवार को भारत बंद किया जिसका असर सात राज्यों पर पड़ा। केंद्र सरकार सितंबर महीने में जनगणना का काम शुरू कर सकती है। आंध्र प्रदेश की दवा कंपनी के रिएक्टर में विस्फोट से 18 लोगों की मौत हो गई। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा 151 सांसदों और विधायकों पर महिला अपराध का आरोप है। बिहार के जूनियर डॉक्टरों ने 10 दिनों के बाद अपनी हड़ताल समाप्त कर दी है।

भास्कर के अनुसार अनुसूचित जाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद की अपील का मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड व ओडिशा में ज्यादा असर रहा। बिहार में कई जगहों पर ट्रेन रोकी गई। कई शहरों में हिंसा हुई। गोपालगंज में जलते टायरों के ऊपर से बच्चों से भरी स्कूल बस गुजरी लेकिन पुलिस ने आग को बुझा दिया। पटना में दलित बहुजन संगठनों के हजारों कार्यकर्ता झंडा बैनर लेकर डाक बंगला चौराहा पहुंचे। वे राज्यपाल को ज्ञापन देना चाहते थे। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिससे धक्कामुक्की हुई। पुलिस ने उन्हें काबू में करने के लिए वाटर कैनन से पानी की बौछार की लेकिन वह अड़े रहे। करीब डेढ़ घंटे तक डटे रहे। जब स्थिति बेकाबू हुई तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। लाठी चार्ज के दौरान सदर एसडीओ श्रीकांत खांडेकर भी मौके पर थे। पुलिस की लाठी उन पर भी चल गई। एसडीओ ने ही लाठी चार्ज का आदेश दिया था। डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि पुलिस ने गलती से एसडीओ पर लाठी चलाई।

जनगणना सितंबर में संभव

हिन्दुस्तान के अनुसार केंद्र सरकार सितंबर में तीन साल की देरी से जनगणना का काम शुरू करा सकती है। आंकड़े जुटाने में लगभग 18 महीने लगेंगे। देश में दस वर्ष में एक बार होने वाली जनगणना 2021 में पूरी होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को जनगणना में देरी को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले से जुड़े सरकारी अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने मार्च 2026 तक जनगणना के परिणाम जारी करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 15 साल की अवधि शामिल है।

आंध्र प्रदेश में 18 लोगों की मौत

जागरण के अनुसार आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले में बुधवार को एक दवा कंपनी के रिएक्टर में विस्फोट से 18 मजदूरों की मौत हो गई और लगभग 40 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि अच्युतापुरम विशेष आर्थिक क्षेत्र में एसेंशिया कंपनी के रिएक्टर में यह विस्फोट लंच ब्रेक के दौरान हुआ। घायल कर्मचारी को अनकापल्ली और अच्युतापुरम के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इस फैक्ट्री में दो शिफ्ट में 381 कर्मचारी काम करते हैं। ऐसा अनुमान है कि विस्फोट की वजह बिजली से संबंधित समस्या हो सकती है।

151 माननीयों पर महिला अपराध का आरोप

देश में 151 मौजूदा सांसदों और विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामों में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की जानकारी दी है। इनमें पश्चिम बंगाल के सांसदों और विधायकों की संख्या सबसे अधिक है। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। एडीआर ने 2019 और 2024 के बीच चुनावों के दौरान चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 हलफनामों में से 4,693 की जांच की। जिसके बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों का सामना कर रहे 16 सांसदों और 135 विधायकों को चिह्नित किया गया।

10 दिन बाद जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल टली

प्रभात खबर के अनुसार कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के विरोध में आईजीआईएमएस, पटना एम्स, एनएमसीएच और पीएमसीएच में चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार देर शाम को समाप्त हो गई। एम्स व आईजीआईएमएस में बुधवार की रात 10:00 बजे से सभी डॉक्टर काम पर लौट आए। वहीं पीएमसीएच और एनएमसीएच में गुरुवार की सुबह से डॉक्टर कम पर लौटेंगे। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत व सीनियर डॉक्टरों द्वारा मांग पूरी करने के आश्वासन के बाद डॉक्टर ने हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की। जूनियर डॉक्टर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के बैनर तले 10 दिनों से अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल पर थे।

बाढ़ में सेप्टिक टैंक में दम घुटने से चार की मौत

हिन्दुस्तान के अनुसार बाढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुराईबागी गांव में बुधवार की दोपहर नवनिर्मित शौचालय की टंकी में शटरिंग खोलने के दौरान एक-एक कर चार मजदूरों की दम घुटने से मौत हो गई। इस टंकी में दो फीट पानी भी भरा हुआ था। इस दर्दनाक हादसे के बाद मौके पर कोहराम मच गया। मृतक मजदूरों की पहचान गोपाल राम 28 वर्ष, बिट्टू कुमार 21 वर्ष, झुनझुन राम 25 वर्ष और पवन राम 26 वर्ष के रूप में की गई। सभी पुराईबाग गांव के ही निवासी थे।

95 लाख लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाने को मुफ्त टीका मिलेगा

सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए राज्य में 9 से 14 आयु वर्ग की 95 लाख लड़कियों को मुफ्त टीका लगाया जाएगा। राज्य कैबिनेट ने बुधवार को मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना को स्वीकृति दे दी। इसके लिए टाटा मेमोरियल अस्पताल से टीके लिये जाएंगे।

कुछ और सुर्खियां

  • इमारत-ए-शरिया और अन्य संगठनों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वक़्फ़ संशोधन बिल के खिलाफ ज्ञापन सौंपा
  • सोनपुर में आईडीबीईआई बैंक से 8 मिनट में 19.25 लख रुपए की लूट
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपनी नई पार्टी बनाएंगे
  • सिपाही भर्ती परीक्षा के चौथे दिन नकल करने के आरोप में नौ उम्मीदवार पकड़े गए
  • बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई शुरू
  • हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर कांग्रेस का आज पूरे भारत में प्रदर्शन

अनछपी: बिहार में सेप्टिक टैंक की शटरिंग खोलने के दौरान मजदूरों की मौत आम हो गई है लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता और कोई इसकी रोकथाम के बारे में बात नहीं करता है। बुधवार को जब दलित संगठन आरक्षण के मुद्दे को लेकर भारत बंद कर रहे थे तो बाढ़ में चार दलित शटरिंग खोलने के लिए सेप्टिक टैंक में उतरे थे और दम घुटने से एक-एक कर उनकी मौत हो गई। इससे पहले भी दूसरी जगहों से सेप्टिक टैंक की शटरिंग खोलने के दौरान मौत की खबर आ चुकी है। यह याद रखने की जरूरत है कि ऐसे मजदूर हर बार दलित और वंचित वर्ग से आते हैं। गटर में उतरकर नाले की सफाई के दौरान भी ऐसे ही वर्ग के मजदूरों की मौत होती है लेकिन उनकी तो कभी-कभार चर्चा भी हो जाती है। हम 21वीं सदी के भारत और विकसित भारत की बात करते हैं लेकिन यहां दबे कुचले मजदूरों की मौत इतनी आसानी से हो जाती है और उनके बारे में कोई कुछ पूछता भी नहीं है। क्या ऐसा संभव नहीं है कि शटरिंग खोलने से पहले सेप्टिक टैंक की जांच कर ली जाए कि वहां कोई जहरीली गैस तो नहीं है या दम घुटने की आशंका तो नहीं है? तीन-तीन और चार-चार लोगों की ऐसी मौत के बारे में सरकार को कोई ना कोई कदम जरूर उठाना चाहिए। सबसे जरूरी बात यह है कि इस बारे में जागरूकता फैलाई जाए और हर मजदूर को यह समझाया जाए कि बिना सुरक्षा सुनिश्चित किये वह सेप्टिक टैंक में न उतरें। इसके साथ ही उन लोगों को भी जिम्मेदार बनाया जाए जिनके यहां यह काम होता है ताकि उन्हें लोगों की जिंदगी और मौत का एहसास हो। सामाजिक और गैर सरकारी संगठनों की भी यह जिम्मेदारी है कि इस बारे में जागरूकता फैलाएं ताकि इस तरह लोगों की असमय मौत को रोका जा सके। विकसित देशों में अगर एक भी ऐसी मौत हो जाती है तो वह राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है लेकिन बिहार में तो यह जिला स्तर का भी मुद्दा नहीं बन पाता है। इस बारे में दलित संगठनों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे मजदूरों को जागरूक करने का काम करें क्योंकि मारे जाने वाले अधिकतर मजदूर दलित या कमजोर वर्ग के होते हैं। मीडिया की भी जिम्मेदारी बनती है कि अफसरों, नेताओं और दूसरे संबंधित लोगों से सवाल पूछे कि ऐसी मौत को रोकने के लिए वह क्या उपाय कर रहे हैं।

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