छ्पी-अनछपी: महागठबंधन की सीट शेयरिंग आज, जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मौत
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। लंबी खींचतान के बाद बिहार में अब महागठबंधन में सीटों पर सहमति लगभग बन गई है और आज इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। उत्तर प्रदेश के मऊ से 26 साल तक विधायक रहे सजायाफ्ता मुख्तार अंसारी की जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की पीआईएल को नामंजूर कर दिया है। आज के अखबारों की यह आम खबरें हैं।
जागरण की सबसे बड़ी खबर है: पूर्णिया के लिए राजद अड़ा, लोकसभा की 9 सीटों पर लड़ने को कांग्रेस राजी। प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: महागठबंधन में सीट बंटवारे पर बनी सहमति, कांग्रेस के खाते में 9 सीटें, आज होगी घोषणा। भास्कर ने लिखा है महागठबंधन में सीटें तय*। * का मतलब नियम व शर्तें लागू। बिहार महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है। फॉर्मूला यह तय हुआ है कि राजद को 26 सीट मिलेगी, कांग्रेस को 9, भाकपा माले को तीन, सीआईआई-सीपीएम को एक-एक सीट। दिल्ली में राजद और कांग्रेस नेताओं के बीच तीन दिनों के मंथन के बाद अब तय हुआ है कि शुक्रवार को पटना में महागठबंधन के नेता सीट बंटवारे का ऐलान करेंगे। राजद की गुरुवार देर रात तक मुकेश सहनी से बातचीत होती रही। मुकेश दो सीट पर अड़े रहे। मुकेश से बातचीत में तय हुआ कि वह मुजफ्फरपुर से लड़ेंगे।
पहले चरण में मुख्य मुक़ाबला आरजेडी-एनडीए में
हिन्दुस्तान की पहली खबर है कि बिहार में पहले चरण के लोकसभा चुनाव वाली चार सीटों औरंगाबाद, गया (सु), नवादा एवं जमुई (सु) के लिए जदयू, कांग्रेस व वामदलों से कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं है। एनडीए की ओर से भाजपा के दो और लोजपा (रामविलास) एवं हम के एक-एक उम्मीदवार दमखम दिखाएंगे। वहीं, महागठबंधन की ओर से इन चारों ही सीटों पर राजद ने उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा औरंगाबाद तथा नवादा जबकि हम और लोजपा-आर क्रमश: गया तथा जमुई सीटों पर जोर आजमाइश करेगी।
एआईएमआईएम का हिना शहाब को समर्थन
भास्कर के अनुसार एआईएमआईएम बिहार में 16 लोकसभा सीटों पर लड़ेगा और हिना शहाब को जीतने में मदद करेगा। गुरुवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुस्लिमीन के बिहार चीफ अख्तरुल ईमान ने कहा कि गोपालगंज, काराकाट, शिवहर, मधुबनी और दरभंगा में भी पार्टी लड़ेगी। 15 दिन पहले 11 सीटों की घोषणा की जा चुकी थी। अख्तरुल ईमान ने कहा कि हम हिना शहाब के साथ हैं। “वह चाहें तो हमारे सिंबल पर लड़ सकती हैं। वह सीवान से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी तो हम समर्थन करेंगे।”
मुख्तार अंसारी की मौत
पूर्वांचल के माफिया माने जाने वाले और पूर्व विधायक 61 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई। वह तीन साल से बांदा जेल में बंद थे और गुरुवार रात तबीयत बिगड़ने पर बांदा मेडिकल कॉलेज लाए गए थे। करीब तीन घंटे इलाज के बाद उनकी मौत की अधिकृत घोषणा मेडिकल बुलेटिन में की गई। मुख्तार की मौत के बाद अलर्ट जारी किया गया है। बांदा शहर, जेल और मेडिकल कॉलेज में कड़ी चौकसी है। मध्य रात्रि तक मुख्तार के परिजन नहीं पहुंचे थे। शव पैतृक घर गाजीपुर ले जाने की तैयारी है।
ऐसे हुआ इलाज
सूत्रों के मुताबिक, मुख्तार को जेल में गुरुवार दोपहर उल्टी हुई। पेट और सीने में तेज दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल से डॉक्टर बुलाए गए। शाम करीब आठ बजे सीने में दर्द बढ़ा और उनकी हालत बिगड़ गई। आनन-फानन में उन्हें एंबुलेंस से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की टीम ने इलाज शुरू किया। इसी दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
केजरीवाल को हटाने की अर्ज़ी खारिज
अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत के हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि हम समझते हैं कि कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां हो सकती हैं। कोई भी आदेश क्यों पारित किया जाना चाहिए? इस बीच आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिमांड राहुल एवेन्यू की विशेष अदालत ने चार दिन बढ़ा दी है। अब उन्हें 1 अप्रैल को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
अदालत पर दबाव का इल्जाम
हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है कि भारतीय विधिज्ञ परिषद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को एक पत्र लिखा है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि एक निहित स्वार्थ वाला समूह बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा के तहत न्यायपालिका पर दबाव डालने और इसकी छवि खराब करने का प्रयास कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल, भारतीय विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे समेत करीब 600 वकीलों की ओर से यह पत्र लिखा गया है।
पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति बन गई है, इसलिए 140 करोड़ भारतीय कांग्रेस को खारिज कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा, एक के बाद एक संस्थानों को समर्पण के लिए केंद्र द्वारा धमकाया जा रहा है, इसलिए अपनी गलतियों के लिए कांग्रेस पर दोष मढ़ना बंद करें।
कुछ और सुर्खियां
- शिक्षा विभाग की बैठक में एक बार फिर नहीं पहुंचे विश्वविद्यालयों के कुलपति
- बिहार में पहले चरण की चार लोकसभा सीटों के लिए 72 ने किया नामांकन
- सम्राट चौधरी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे चिराग पासवान
- जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी छोड़ी
- भारत में हर वर्ष 8 करोड़ टन भोजन बर्बाद हो रहा
- जरूरत पड़ी तो अग्निपथ योजना में बदलाव संभव :रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
- 840 करोड़ रुपए के विमान घोटाले में पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ सीबीआई जांच बंद
अनछ्पी: ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के नाती मुख्तार अंसारी को किस रूप में याद किया जाएगा? लगातार छब्बीस साल के विधायक के रूप में या एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिस पर लगभग 60 मुकदमे दर्ज हुए और सात मामलों में सजा हुई? या एक ऐसे गैंगस्टर के रूप में जिसने खुले तौर पर जेल में जहर देने के इल्जाम लगाया और जिसकी मौत के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगाई गई? मुख्तार अंसारी की मौत के बाद वाराणसी, गाजीपुर, मऊ और दूसरे जनपदों में हाई अलर्ट जारी किया गया।
ब्रिगेडियर उस्मान की 1948 में जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान के साथ जंग में मौत हो गयी थी। उन्हें मरने के बाद महावीर चक्र से नवाजा गया था।
सवाल यह है कि एक गैंगस्टर की मौत के बाद इतनी सख्त पुलिस व्यवस्था क्यों करनी पड़ी? ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार को मुख्तार अंसारी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन का डर रहा होगा। मगर एक गैंगस्टर के लिए समर्थन क्यों? यह समझने के लिए हमें इससे पहले अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की पुलिस कस्टडी में हत्या को याद करना पड़ेगा। इस हत्या को लाइव देखा गया था। अतीक अहमद का मर्डर हो या मुख्तार अंसारी की मौत दरअसल यह सवाल कैदियों के मानव अधिकार का है। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। क्या किसी गैंगस्टर को अदालती तरीके के अलावा किसी अन्य तरीके से भी सजा दी जा सकती है? क्या फर्जी मुठभेड़ या अन्य तरीकों से किसी गैंगस्टर की जान लेना कानूनी है? उत्तर प्रदेश सरकार को शायद इस बात का एहसास है कि मुख्तार के समर्थक इस बात को लेकर उत्तेजित हों कि उन्होंने जहर देने का आरोप लगाया था और उनका इलाज सही तरीके से नहीं कराया गया। हालांकि उत्तर प्रदेश में जिस तरह आम लोगों को पुलिस अत्याचार का शिकार बनाया जाता है उसमें किसी विरोध प्रदर्शन की गुंजाइश नहीं बचती है। समाज में किसी गैंगस्टर का होना और उस पर उसका एमपी या एमएलए बनना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता। लेकिन समाज में सरकार की कार्रवाई से यह संदेश भी नहीं जाना चाहिए कि किसी गैंगस्टर को इसलिए बचाया जा रहा है कि वह किसी खास विचार और धर्म का है और किसी को इसलिए मारा जा रहा है कि वह किसी अन्य विचार या धर्म का है। मुख्तार अंसारी की मौत अगर अदालत से मिली सजा के हिसाब से होती तो कोई खास बात नहीं होती लेकिन अब मुख्तार अंसारी के घर वाले यही कहेंगे कि उन्हें जहर देकर मार दिया गया।
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