छपी-अनछपी: बर्फीली हवाओं से ठंड बढ़ी, बिहार में दो को छोड़ सभी मंत्री करोड़पति
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। साल बीतने के साथ ही बिहार में ठंड का एहसास बढ़ा है और बर्फीली हवाएं चल रही हैं। बिहार में दो मंत्रियों को छोड़कर सभी मंत्री करोड़पति हैं। मणिपुर के मुख्यमंत्री ने राज्य में जारी हिंसा के लिए माफी मांगी है। तालिबान ने पाकिस्तान में घुसकर उसकी सैन्य चौकी पर कब्जा कर लिया है।
आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।
हिन्दुस्तान के अनुसार ठंड नहीं पड़ने से निराश हो रहे लोगों के लिए साल के आखिरी दिन ने उम्मीदें जगा दी है। मंगलवार को बिहार में पहली बार दिन में भी ठंड का एहसास हुआ। दिन भर बादल छाए रहे और हिमालय से आनेवाली बर्फीली उत्तर-पछुआ हवा की वजह से कड़ाके की ठंड के आसार जताए जा रहे हैं। नए साल के पहले दिन ही यह देखने को मिलेगा। बुधवार को प्रदेश के ज्यादातर शहरों में सुबह के समय हल्के स्तर का कोहरा छाया रहेगा। वहीं दिन में बादल छाए रहेंगे। हालांकि, तापमान में बहुत ज्यादा बदलाव की संभावना फिलहाल नहीं है। मंगलवार को प्रदेश का सबसे गर्म शहर 23.5 डिग्री सेल्सियस के साथ पूर्णिया और सबसे ठंडा शहर सहरसा का अगवानपुर में न्यूनतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
नीतीश कुमार के पास बैंक में 60 हज़ार
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत सरकार के सभी मंत्रियों की संपत्ति का ब्योरा सरकारी वेबसाइट पर मंगलवार देर शाम जारी कर दिया गया। ब्योरा के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार संपत्ति के मामले में कई मंत्रियों से पीछे हैं। उनके दो मंत्रियों को छोड़कर बाकी सभी मंत्री करोड़पति बताए गए हैं। हाथ में नगदी के मामले में नीतीश के पास केवल ₹21000 हैं जबकि बैंकों में ₹60000 जमा हैं। उनके पास 2015 में 11 लाख रुपए में खरीदी गई इकोस्पोर्ट कर है। नई दिल्ली के द्वारिका में एक फ्लैट है जिसकी अभी 1.48 करोड़ रुपए कीमत है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के पास कल 8.61 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनके पास ₹400000 कीमत की 6 बोर की राइफल है। उनके पास एक बोलेरो गाड़ी भी है जिसकी कीमत 13 लाख है। सम्राट चौधरी के बैंक खाते में 20 लाख रुपए जमा हैं। एक और डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के पास 2.42 करोड़ तो उनकी पत्नी के नाम पर 3.32 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने हिंसा के लिए माफी मांगी
भास्कर के अनुसार मणिपुर में हिंसा भड़कने के 20 महीने के बाद मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने राज्य के लोगों से पहली बार माफ़ी मांगी है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा। “इसके लिए मुझे दुख है। इसके लिए मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं।” उन्होंने बताया कि हिंसा के 608 दिनों में राज्य में गोलीबारी की 885 घटनाएं हुई हैं। 625 लोग गिरफ्तार हुए और 12047 केस हुए। ध्यान रहे कि मणिपुर में 3 मई 2023 को मैतेई और कुकी जनजातियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। तब से अब तक इस हिंसा में ढाई सौ से अधिक लोगों की जान गई है और 5000 से ज्यादा घर जला दिए गए। करीब 60000 लोग घर छोड़ कर राहत शिविरों में हैं।
तालिबान ने पाकिस्तान की सैनिक चौकी पर कब्जा किया
प्रभात खबर के अनुसार तालिबान से जुड़े तहरीक-ए-तालिबान, पाकिस्तान (टीटीपी) ने अफगानिस्तान सीमा के पास स्थित एक पाकिस्तानी चौकी पर कब्जा कर लिया है। यह चौकी उत्तर पश्चिम पाकिस्तान के क़बायली जिले बाजौर में स्थित है। टीटीपी ने इस कब्जे का वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि तालिबान के लड़ाके पाकिस्तान की सैनिक चौकी से पाकिस्तान का झंडा उखाड़ कर अपना झंडा लहरा रहे हैं। कब्जे के दावे वाले वीडियो को लेकर अब पाकिस्तान की सेना ने भी अपनी सफाई दी है। इसमें उन्होंने कहा कि यह चौकी हमले से पहले खाली कर दी गई थी और सैन्यकर्मियों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका था।
कांग्रेस और वाम दलों के विधायकों का राज भवन मार्च
हिन्दुस्तान के अनुसार बीपीएससी परीक्षा फिर से कराने और लाठीचार्ज के विरोध में वाम और कांग्रेस विधायकों ने मंगलवार को राजभवन मार्च किया। पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोकने का प्रयास किया पर हर बार विधायक धक्का देकर आगे बढ़ते गए। हालांकि, शहीद स्मारक से आरंभ हुए मार्च को बीपी मंडल की प्रतिमा से आगे नहीं बढ़ने दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों के एक शिष्टमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल के प्रधान सचिव को अपनी चार सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा।
वक़्फ़ की ज़मीन दे दी बाबा गरीब नाथ मंदिर को
जागरण के अनुसार मुजफ्फरपुर के बाबा गरीब नाथ मंदिर को नैवैद्यम प्रसाद की बिक्री के लिए मिली जमीन पर वक़्फ़ ने दावा किया है। इस दावे के बाद बिहार इस्टेट वक़्फ़ ट्रिब्यूनल ने मामले में मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी को जवाब दाखिल करने को कहा है। वर्ष 2022 में तत्कालीन नगर आयुक्त विवेक रंजन ने 270 वर्ग फीट जमीन श्री गरीब नाथ मंदिर न्यास समिति को प्रयोग करने के लिए दी थी। न्यास समिति के आग्रह पर तत्कालीन डीएम के निर्देश पर उन्होंने ही अनुमति दी थी। इस अनुमति के विरोध में सोगरा वक़्फ़ इस्टेट के मोहम्मद कमाल अहमद ने बिहार राज्य सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेज कर जांच करते हुए विधि सम्मत कार्रवाई का आग्रह किया था। इसमें कहा गया था कि छाता बाजार स्थित इमामबाड़े की जमीन श्री गरीब नाथ न्यास समिति को दी गई है। 29 मार्च 1989 को छाता बाजार के इमामबाड़े को वक़्फ़ की संपत्ति के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था।
कुछ और सुर्खियां
- कोलकाता में साढ़े छह करोड़ रुपए की नकली दवाएं जब्त
- बिहार राज्य धार्मिक ट्रस्ट बोर्ड को बिहार सरकार ने भंग किया
- बिहार में 800 नए सरकारी अस्पतालों का इस साल होगा उद्घाटन
- अब 15 जनवरी तक दाखिल कर सकेंगे संशोधित इनकम टैक्स रिटर्न
- सीआईडी करेगी सासाराम गोलीकांड की जांच, मुख्यालय बुलाए गए ट्रैफिक डीएसपी आदिल बिलाल
अनछपी: भारत का संविधान यह कहता है कि किसी के साथ धर्म और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा लेकिन किशनगंज से जो एक खबर आई है उससे यह लगता है कि उर्दू की पढ़ाई के साथ सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल भेदभाव कर रहे हैं। धयान रहे कि किशनगंज एकमात्र ऐसा जिला है जिसमें उर्दू पढ़ने वालों की संख्या बाकी भाषा पढ़ने वालों से ज्यादा है। अफसोस की बात है कि इसके बावजूद सीबीएसई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है और जनप्रतिनिधियों ने इसकी शिकायत की है। किशनगंज के जिला शिक्षा अधिकारी नासिर हुसैन ने निर्देश दिया है कि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में उर्दू पढ़ने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने इसके लिए एक पत्र जारी किया है और कहा है कि उर्दू की पढ़ाई की व्यवस्था कर बिहार शिक्षा परियोजना कार्यालय को रिपोर्ट दें। जिला शिक्षा अधिकारी का यह भी कहना है कि किशनगंज के सांसद और विधायकों ने सीबीएसई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में उर्दू पढ़ाने की व्यवस्था की मांग की थी। सीबीएसई स्कूल के संचालकों को जन प्रतिनिधियों की इस भावना का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई की व्यवस्था न होना इसलिए भी अफसोसनाक है कि बिहार में उर्दू दूसरी राजकीय भाषा है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा की पढ़ाई पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद सीबीएसई स्कूलों के संचालक उर्दू पढ़ाने में ना-नुकर कर रहे हैं। इसमें हैरत की बात नहीं लेकिन अफसोस जरूर है कि नीतीश कुमार सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस आदेश पर विरोध जताया है। एक स्कूल के संचालक का कहना है कि यह संभव नहीं है कि दो-चार बच्चों के लिए अलग से उर्दू पढ़ने की व्यवस्था की जाए। यह एक व्यावहारिक समस्या है और इसका हल निकाल जाना चाहिए लेकिन इसका हल यह नहीं है कि उर्दू पढ़ाना ही बंद कर दिया जाए। जिला शिक्षा अधिकारी को बच्चों के अभिभावकों के साथ बैठक कर उन्हें उर्दू पढ़ने के लिए तैयार करना चाहिए। अगर उर्दू पढ़ने की व्यवस्था हो तो उर्दू मातृभाषा वाले छात्र खुद-ब-खुद सामने आएंगे। चूंकि अभी व्यवस्था ही नहीं इसलिए उर्दू चाहने वाले छात्र भी उर्दू नहीं पढ़ पा रहे हैं। बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार एक सुलझे हुए नेता हैं, उन्हें भी इस दिशा में कोशिश करनी चाहिए कि जो छात्र उर्दू पढ़ना चाहते हैं उनके लिए उर्दू पढ़ाने की व्यवस्था जरूर की जाए।
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