छ्पी-अनछपी: भारत ने चिनाब का पानी रोका, इसराइल के एयरपोर्ट पर मिसाइल हमला
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भारत ने जम्मू के रामबन स्थित बगलिहार बांध में चिनाब नदी के पानी को रोक दिया है। हूती विद्रोहियों ने रविवार को इसराइल के बेन गुरियन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मिसाइल हमला किया। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी में 11 शातिर गिरफ्तार हुए हैं। महागठबंधन ने बिहार में एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में उतरने की बात कही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वह पार्टी से पहले हुई गलतियों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है।
और, जानिएगा कि क्या जातीय गणना से कुछ जातियों को ओबीसी के तहत कुछ मिलने वाले लाभ में कटौती भी हो सकती है?
पहली खबर
भास्कर के अनुसार पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी वाटर स्ट्राइक को अंजाम दिया है। भारत ने जम्मू के रामबन स्थित बगलिहार बांध में चिनाब नदी के पानी को रोक दिया है। इससे पाकिस्तान के सियालकोट में चिनाब नदी के पानी का लेवल 6 फुट गिरकर 22 फुट रह गया है। सियालकोट में चिनाब का डेड लेवल 12 फ़ीट है यानी इस लेवल से पानी नीचे जाने के बाद यहां से पानी नहीं लिया जा सकेगा। चिनाब की नहरों से सियालकोट में लगभग 12000 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होती है। इस बीच, सूत्रों के अनुसार भारत किशनगंगा बांध पर पाकिस्तान जाने वाली झेलम नदी के पानी को रोकने की तैयारी में है।
इसराइल के हवाई अड्डे पर हमला
हिन्दुस्तान के अनुसार हूती विद्रोहियों ने रविवार को इसराइल के बेन गुरियन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मिसाइल हमला किया। इस हमले में आठ लोग घायल हुए और एक घंटे से ज्यादा समय तक उड़ानों का संचालन बाधित रहा। हमले के बाद दिल्ली से तेल अवीव जा रही एयर इंडिया की उड़ान को अबू धाबी डायवर्ट करना पड़ा। हमला ऐसे समय पर हुआ, जब इसराइली कैबिनेट ग़ज़ा में अपने सैन्य अभियान के विस्तार को लेकर बैठक करने वाली थी। मिसाइल पार्किंग स्थल के पास गिरी। एयर इंडिया ने तेल अवीव लिए अपनी सभी फ्लाइट्स मंगलवार तक के लिए सस्पेंड करने की घोषणा की है।
नीट यूजी: 11 शातिर गिरफ्तार
पटना समेत देशभर के 5,400 से अधिक केंद्रों पर रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट आयोजित की गई। इस दौरान गड़बड़ी फैलाने की कोशिश के आरोप में नोएडा, राजस्थान, ओडिशा और केरल से 11 शातिरों को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए लोगों में दो बिहार के हैं। भुवनेश्वर में मेडिकल में दाखिले के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। ये जाली प्रवेश पत्र बनाकर फर्जी अभ्यर्थी से परीक्षा दिलाने की फिराक में थे। जांच में पता चला कि गिरोह प्रति अभ्यर्थी 20 से 30 लाख रुपये तक वसूल रहा था। जागरण के अनुसार इस परीक्षा में करीब 20 लाख 80 हजार उम्मीदवार शामिल हुए।
महागठबंधन में एकजुटता
इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में जाएगा। रविवार को पटना में हुई महागठबंधन की तीसरी बैठक में निर्णय हुआ कि घटक दलों में जमीनी स्तर पर बेहतर समन्वय कायम करने के लिए राज्य से लेकर जिला, प्रखंड व पंचायत स्तर तक समन्वय से संवाद कार्यक्रम चलाएगा। चुनावी दृष्टिकोण से कुछ और कार्यक्रम जल्द ही तय किए जाएंगे। वामदलों की ओर से आहूत 20 मई के बंद को महागठबंधन के सभी घटक दलों ने समर्थन करने का निर्णय लिया गया। आशियाना-दीघा रोड के एक रिसॉर्ट में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की अध्यक्षता में हुई महागठबंधन की तीसरी बैठक में यह निर्णय लिया गया। लगभग साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि महागठबंधन में चेहरा को लेकर भ्रम में नहीं रहना चाहिए। अभी महागठबंधन में जो चेहरा है, वह बाद में भी रहेगा।
पार्टी की पुरानी गलतियों को स्वीकार करने में खुशी होगी: राहुल
जागरण के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि पार्टी ने जो भी गलतियां की हैं, उनमें से बहुत सी गलतियां तब हुईं जब वह वहां मौजूद नहीं थे। लेकिन पार्टी द्वारा अपने इतिहास में की गयी हर गलत चीज़ की ज़िम्मेदारी लेकर वह बहुत ख़ुश हैं। राहुल ने बताया कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि पिछली सदी के नौवें दशक में जो कुछ हुआ वह गलत था। राहुल गांधी ने यह टिप्पणी 21 अप्रैल को अमेरिका की ब्रॉउन यूनिवर्सिटी के वाटसन इंस्टीट्यूट फ़ॉर इंटरनेशनल ऐंड पब्लिक अफ़ेयर्स में एक संवाद सत्र के दौरान की। एक सिख छात्र ने सवाल पूछा था कि वह सिख समुदाय के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं। छात्र ने 1984 के सिख दंगों का भी ज़िक्र किया।
कुछ ओबीसी जातियों को भुगतना पड़ सकता है जाति गणना का साइड इफेक्ट
जागरण के अनुसार आजादी के बाद जनगणना के साथ पहली बार होने वाली जातिवार गणना के आंकड़े आने के बाद कई ओबीसी जातियों को मिलने वाले लाभ में कटौती हो सकती है। आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़ी कई जातियों को ओबीसी सूची में एंट्री भी मिल सकती है। सरकार की कोशिश जातिवाद गणना को आधार बनाकर ओबीसी के नाम पर हो रही जाति की राजनीति को पूरी तरह से ध्वस्त करने की है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ चर्चा के बाद इसे हर झंडी दे दी गई। यह भी माना जा रहा है कि जातीय गणना ओबीसी में नई जातियों को शामिल करने और पहले से शामिल जातियों को बाहर निकालने का ठोस आधार बन सकता है।
कुछ और सुर्खियां
- वक़्फ़ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
- जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में सेना की गाड़ी गहरी खाई में गिरी, बेगूसराय के एक जवान सहित तीन की मौत
- भारत में बिलावल भुट्टो और इमरान खान के एक अकाउंट सस्पेंड किये
- चार महीने में 1.13 लाख लोगों ने पटना में फ्लैट और जमीन खरीदी
- राजस्थान के बांसवाड़ा के बागीदोरा से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक जयकृष्ण पटेल 20 लाख रुपए घूस लेते जयपुर से गिरफ्तार
- मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी एनएच 22 पर कोरलहिया के पास स्कॉर्पियो और ट्रक में टक्कर, तीन लोगों की मौत
अनछपी: हालात बदलने से अच्छे-अच्छे लोगों के सुर बदल जाते हैं लेकिन अनुशासित मानी जानी वाली संस्थाओं जैसे सीआरपीएफ का सुर भी अगर ऐसे में बदल जाए तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात मानी जाएगी। हम सीआरपीएफ की चर्चा इसलिए कर रहे हैं कि आप में से बहुत से लोगों ने जम्मू के इसके जवान मुनीर अहमद के बारे में सुना होगा जिसे यह आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया गया है कि उसने पाकिस्तानी महिला से शादी की बात छिपाई थी। अपने चट मंगनी पट ब्याह की बात तो सुनी होगी लेकिन चट आरोप और पट बर्खास्तगी की बात कम ही सुनते होंगे। यानी आरोप लगाने के बाद कोई विभागीय जांच वगैरह की जानकारी तो नहीं मिली, सीधे बर्खास्त करने की खबर आई। यही नहीं मुनीर अहमद की बीवी को भारत छोड़ने का आदेश भी दे दिया गया था लेकिन अदालत के हस्तक्षेप से फिलहाल उस पर रोक लगी है और वह यही बनी हुई हैं। अब मुनीर को एक दूसरी अदालती लड़ाई लड़नी है और वह लड़ाई उन्हें सेवा से बर्खास्त करने के खिलाफ है। मुनीर का कहना है कि उसने अपनी शादी की बात सीआरपीएफ के हर छोटे बड़े कार्यालय को बताई थी और इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं मिली थी। मीडिया के एक हल्के में इसे इस तरफ पेश किया गया जैसे यह कोई जासूसी का मामला था और ऑनलाइन चैटिंग वगैरा की जानकारी उसी अंदाज में दी गई। मुनीर की बातों को अगर सच माना जाए तो सीआरपीएफ की व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं लेकिन पहले हम मीडिया के बारे में चर्चा करते हैं जिसने मुनीर का पक्ष जाने बगैर बहुत सारे आरोप लगा दिए। हालांकि बाद में मीडिया में मुनीर का इंटरव्यू आया लेकिन हिंदी के अक्सर अखबारों ने उसे नजरअंदाज कर दिया। मुनीर के आरोपों को अगर सच मान जाए तो ऐसा लगता है कि सीआरपीएफ ने किसी दबाव में आकर उन्हें बर्खास्त किया है। अब अदालत में यह तय होगा कि सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद सच्चाई बता रहे हैं या सीआरपीएफ सच्चाई बता रही है। यह कोई एक मामला नहीं बल्कि ऐसे दर्जनों मामले मिल जाएंगे जब सरहद पार पाकिस्तान से लोगों के रिश्ते हुए हैं क्योंकि अभी दोनों में विभाजन की रेखा केवल 75 साल पुरानी है जबकि रिश्तेदारी सैकड़ों साल पुरानी है। ऐसा लगता है कि कुछ लोगों को रिश्तेदारियां तोड़ने में ही सबसे बड़ी बहादुरी दिखती है। ऐसी स्थिति में बेहतर तो यही मालूम होता है कि सरहद पार रिश्ते ना किए जाएं लेकिन एक सवाल यह भी है कि क्या भारत सरकार ने कभी इस तरह की रिश्तेदारियों पर पाबंदियां लगाई हैं?
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