छ्पी-अनछ्पी: फ़लस्तीन को मदद जारी रखेगा भारत, बीजेपी से संबंध पर नीतीश को देनी पड़ी सफाई

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। ग़ज़ा में दिन ब दिन खराब हो रहे हालात के बीच भारत ने फ़लस्तीन को मदद जारी रखने की बात कही है। इस खबर को तवज्जो मिली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं से निकटता की बात कहकर अटकलों को बढ़ाया तो उन्हें सफाई देनी पड़ी। इस खबर की भी अच्छी कवरेज है।

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: भारत समेत कई देशों ने युद्ध पीड़ितों के लिए हाथ बढ़ाए। जागरण की भी दूसरी सबसे बड़ी खबर यही है: फलस्तीन को ले पुरानी नीति पर भारत अडिग। इसराइल-हमास युद्ध के बीच गजा में पीड़ितों की मदद को भारत समेत कई देशों ने हाथ बढ़ाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत फलस्तीनी लोगों के लिए मानवीय मदद जारी रखेगा। वहीं, रूस, चीन, जर्मनी आदि देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मदद का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, फलस्तीनी राष्ट्रपति से बातचीत में अस्पताल में नागरिकों की मौत पर संवेदना जताई। इसराइल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत के लंबे समय से जारी सैद्धांतिक रुख को भी दोहराया।

ग़ज़ा में हालात बदतर

प्रभात खबर की सुर्खी है: ग़ज़ा में हालत बदतर, राहत सामग्री लदे ट्रक मिस्र की सीमा खुलने के इंतजार में। इसराइल और हमास के बीच 13वें दिन गुरुवार को भी लड़ाई जारी रही। इसराइल ने वेस्ट बैंक में हमास पर मिसाइल से हमला किया जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई। इस बीच इसराइल के रक्षा मंत्री याओव गैलेंट ने थल सेना को ग़ज़ा पट्टी में जमीनी लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि हमला कब शुरू होगा। इधर अल-अहली अस्पताल पर हुए हमले के बाद ग़ज़ा में हालात बदतर हो गए हैं। ग़ज़ा के लगभग सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं की किल्लत हो गई है। लोग खाने पीने की चीजों के लिए भटक रहे हैं। इसराइल के जमीनी हमले की आशंकाओं के बीच फलस्तीनी ग़ज़ा से सुरक्षित बच निकलने के लिए रफा बॉर्डर पर जाने लगे हैं।

जंग बंद करने के लिए प्रदर्शन

गजा में युद्धविराम की मांग करते हुए 300 से अधिक यहूदी प्रदर्शनकारी बुधवार को यूएस कैपिटल के अंदर तक पहुंच गए। इस मामले में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा एक पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई भी की गई है। बता दें कि विरोध-प्रदर्शन की आशंका में एहतियात के तौर पर मंगलवार रात को कैपिटल बिल्डिंग के आसपास बैरिकेडिंग की गई थी। यूएस कैपिटल हिल पुलिस ने बताया कि बैरिकेडिंग होने के बावजूद यूएस कैपिटल हिल के अंदर सैकड़ों प्रदर्शनकारी पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने युद्धविराम के नारे भी लगाए।

सुनक इजरायल पहुंचे, समर्थन दोहराया

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इजरायल के साथ एकजुटता दिखाने के लिए गुरुवार को तेल अवीव पहुंचे। यहां सुनक ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से वादा किया कि इस कठिन समय में वह इसराइल के साथ हैं। साथ ही उन्होंने गजा में एक मानवीय गलियारा खोलने का स्वागत किया। नेतन्याहू ने सुनक का गले लगाकर स्वागत किया और एक-दूसरे को दोस्त बताया।

नीतीश को क्यों देनी पड़ी सफाई

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: नीतीश बोले- यह सब साथी… हम जब तक जीवित रहेंगे हमारे मन में आपके प्रति आदर भाव रहेगा। मोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाजपा नेताओं की तरफ मुखातिब होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- ये सब हमारे साथी हैं। हम जिससे संबंध जोड़ते हैं उसे आजीवन निभाते हैं। उनके प्रति हमेशा मन में सम्मान का भाव रखते हैं। ठीक है कि हम आप अलग-अलग हैं लेकिन संबंध दोस्ती कभी खत्म नहीं होगी। मुख्यमंत्री की इन बातों को लेकर खासी राजनीति हुई। भाजपा खूब खुश हुई और उसे सराहा जबकि जदयू ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत संबंधों की बात कही, ना कि राजनीतिक संबंधों की। गुरुवार को ही शाम में पटना एम्स में कार्यक्रम में खुद मुख्यमंत्री ने भी कहा कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला गया। हम सब की तारीफ करते रहते हैं। गलत अर्थ न निकालें, यह बात सिर्फ व्यक्तिगत संबंधों की है न कि राजनीतिक।

मेंटल हेल्थ पर अधिक रिसर्च करे एम्स: मुर्मू

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: मेंटल हेल्थ के क्षेत्र में एम्स करे अधिक रिसर्च: मुर्मू। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एम्स ने देश और विदेश में चिकित्सा और अनुसंधान के क्षेत्र में अनेक नए मानक स्थापित किए हैं। एम्स चिकित्सा का ऐसा उत्कृष्ट स्थान है जहां उच्चतम स्तर का आधुनिकतम इलाज हर वर्ग के लोगों को उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन देश की बड़ी आबादी की स्वास्थ्य संबंधी जरूरत को पूरा करने के लिए सक्षम डॉक्टर और नर्स की बहुत अधिक संख्या में जरूरत है। गुरुवार को पटना एम्स के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एम्स को मेंटल हेल्थ के क्षेत्र में भी अधिक रिसर्च करने की जरूरत है। उसे दूसरे संस्थानों को इस दिशा में गाइड भी करना चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मू और क्या बोलीं

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: जात-पात छोड़कर ही देश की उन्नति संभव: राष्ट्रपति। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जात-पात छोड़कर ही देश की उन्नति हो सकती है। गुरुवार को बापू की कर्मभूमि चंपारण में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता और एकता से ही देश को आधुनिक विकास के रास्ते पर ले जाना संभव हो सकेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय विवि के टॉपरों में 60 प्रतिशत छात्राएं हैं। यह उत्कृष्ट प्रदर्शन भविष्य के विकसित भारत के स्वरूप को प्रकट करता है।

कुछ और सुर्खियां

  • पटना एम्स को 27 एकड़ जमीन देंगे 348 बेड की धर्मशाला बनेगी: नीतीश कुमार
  • शिक्षक भर्ती में उच्च माध्यमिक के लिए इतिहास में सीट से आधे शिक्षक ही मिले
  • प्रोफेसर गिरीश चौधरी बने बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष
  • पुलिस कर्मियों को सैलरी के हिसाब से 20 लाख तक का विशेष दुर्घटना बीमा कवर
  • दिवाली पर हवाई यात्रा 44% तक और होटल 15% मांगे
  • जईई मेन कराने को बना जेईई एपेक्स बोर्ड

अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फलस्तीन के नेता महमूद अब्बास से बातचीत कर भारत की मदद की बात दोहराई है जो एक अच्छा कदम माना जाना चाहिए। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ट्वीट में जिस तरह इसराइल का इकतरफ़ा समर्थन किया था उससे फलस्तीन समर्थकों को निराशा हुई थी। भारत दो राज्यों के सिद्धांत में विश्वास करता है यानी उस क्षेत्र में फलस्तीन देश का भी अस्तित्व हो और इसराइल भी साथ-साथ रहे। दूसरी और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश हैं जो लगातार सिर्फ इसरायल के समर्थन में खड़े नजर आते हैं और फलस्तीनियों के साथ होने वाले अत्याचारों पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं। राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपने बयानों में कहीं भी फलस्तीन राज्य की चर्चा नहीं करते। दूसरी और अमेरिका के यहूदी ही इस बात के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं कि फलस्तीनियों को इंसाफ मिले और इसराइल के युद्ध अपराध बंद किए जाएं। भारत में भी धीरे-धीरे इस बात को बल मिल रहा है कि भारत फलस्तीनियों के साथ खड़ा है और इसराइल के अत्याचारों का विरोध करता है। फलस्तीन को जिस पैमाने पर मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है उसके लिहाज से अमेरिका और यूरोपीय देशों को उसके समर्थन में आगे आना चाहिए लेकिन उनकी ओर से सिर्फ इजरायल के समर्थन की बात सामने आती है। बताया जाता है कि इस समय जितने फिलिस्तीन फिलिस्तीन में नहीं है उससे कहीं अधिक वे शरणार्थी के रूप में दूसरे देशों में शरण लिए हुए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फलस्तीन के समर्थन में बयान देखकर अच्छा काम किया है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के इस स्टैंड को दोहराना चाहिए कि वह फिलिस्तीन की जनता के साथ है। इस स्टैंड में यह बात भी शामिल होनी चाहिए कि भारत इजराइल के अत्याचारों का समर्थन नहीं करता बल्कि उसकी निंदा करता है। ऐसे स्टैंड की उम्मीद जल्दी में नहीं की जा सकती लेकिन यही सच्चाई है और इसके समर्थन में माहौल बनाना जरूरी है। सच्चाई यह भी है कि इसराइल पिछले 75 सालों से फलस्तीनियों पर अत्याचार कर रहा है और उसके किसी नेता पर अब तक युद्ध अपराध के मामले नहीं चलाए गए हैं। जरूरत इस बात की है कि इजरायल के नेताओं पर युद्ध अपराध के मामले चलें और उन्हें कठोर सजा मिले तब ही फलस्तीनों के साथ इंसाफ की बात मजबूत हो सकती है।

 

 

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