छ्पी-अनछपी: मेडिकल की 860 सीटों पर एडमिशन अमान्य, ग़ज़ा में 10 लाख लोग बेघर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा निर्धारित 30 सितंबर की अंतिम तिथि के बाद एडमिशन लेने वाले 860 स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल पैदा हो गई है क्योंकि उनका नामांकन अमान्य करार दिया गया है। यह काफी अहम खबर है और दो जगह यह लीड है। ग़ज़ा में इसराइल के हमलों से 10 लाख लोगों के बेघर होने की खबर भी महत्वपूर्ण है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: मेडिकल की 860 सीटों पर नामांकन अमान्य। प्रभात खबर की पहली खबर भी यही है: बिहार में मेडिकल कॉलेजों की 860 सीटों पर नामांकन ले चुके स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने घोषणा की है कि 30 सितंबर के बाद मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाले अंडरग्रैजुएट छात्रों को अमान्य माना जाएगा और उन्हें मुक्त कर दिया जाएगा। आयोग ने केंद्रीय अधिकारियों, राज्य प्राधिकरणों और मेडिकल कॉलेज सहित हितधारकों को यूजी एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए 2023-24 के लिए निर्धारित परामर्श कार्यक्रम का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। उपसचिव पूर्णिमा टूटू ने बताया कि बिहार सहित कई राज्य सत्र 2023-24 में एमबीबीएस कोर्स में नीट यूजी क्वालीफाई छात्रों का नामांकन निर्धारित अवधि के बाद लिए हैं। इसके बारे में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि मामला संज्ञान में है एनएमसी को तर्क के साथ औचित्य पूर्ण जवाब दिया गया है।

1-4 अक्टूबर के दौरान हुआ दाखिला

बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीईसीईबी) की ओर से तीसरे चरण में एक से चार अक्टूबर तक एमबीबीएस की 860 सीटों पर दाखिला हुआ है। तीसरे चरण में बिहार में एमबीबीएस, डेंटल व वेटनरी मिलाकर कुल 1093 सीटों का आवंटन किया गया था। इनमें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल 1206 सीटों में से 597 सीटें शामिल थीं। इन 597 सीटें पर 30 के बाद नामांकन हुआ। वहीं, निजी कॉलेजों की 263 एमबीबीएस सीटें पर तीसरे राउंड में नामांकन के लिए मेधा सूची जारी की गयी थी। सरकारी डेंटल कॉलेज की 75 और निजी डेंटल कॉलेजों की 122 सीटें पर भी 30 के बाद नामांकन हुआ है। इसके बाद भी एमबीबीएस व डेंटल की 144 सीटें खाली रह गयी हैं। इसके लिए 18 अक्टूबर तक च्वाइस फिलिंग करायी गई। बीसीईसीईबी के ओएसडी अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग विभाग से जैसा-दिशा निर्देश मिलेगा, उसी अनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी।

ग़ज़ा में 10 लाख लोग बेघर

जागरण की खबर है कि 7 अक्टूबर को इसराइल पर हुए हमले के बाद से हमास के प्रभाव वाली ग़ज़ा पट्टी पर इसराइली सेना की बमबारी जारी है। इस बमबारी में अब तक 4137 लोग मारे जा चुके हैं और 12000 से ज्यादा घायल हुए हैं। मारे गए लोगों में 1500 से ज्यादा बच्चे और करीब इतनी ही महिलाएं हैं। ग़ज़ा को घेर कर इसराइली सेना वहां घुसने के लिए तैयार है। जमीनी कार्रवाई से पहले इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ज़ा में रहने वाले दस लाख आम जनों से इलाका खाली करा लिया है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा में 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं और वह जान बचाने के लिए जहां-तहां शरण लिए हुए हैं।

900 वर्ष पुराना चर्च ध्वस्त

आम लोगों को आधे घंटे में शहर खाली करने का फरमान सुनाने के बाद ग़ज़ा के जेहरा शहर को इसराइली वायु सेना ने बमबारी से बर्बाद कर दिया। ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन चर्च मिसाइल हमले की चपेट में आ गया। यह चर्च करीब 900 वर्ष पुराना था। यह ग़ज़ा का सबसे प्राचीन ईसाई पूजास्थल था। इसराइली सेना ने कहा कि उसके निशाने पर हमास का कमांड सेंटर था जो चर्च के नजदीक है। निशाना चूक जाने से मिसाइल चर्च पर जा गिरी। चर्च में इजरायली बमबारी से बचने के लिए ईसाई व मुस्लिम समुदाय के करीब 500 लोग शरण लिए हुए थे, इनमें से 18 लोगों के मारे जाने की सूचना है।

इसराइल के दो बंधकों की रिहाई

इसराइल और हमास के बीच 14 दिन से जारी जंग को शांत करने के प्रयास तेज हो गए हैं। इसराइल के अखबार येरुशलम पोस्ट के मुताबिक, इसराइली बंधकों की रिहाई को लेकर हमास से रूस की बातचीत शुरू हो गई है। वहीं, हमास ने 200 बंधकों में से दो अमेरिकियों को शुक्रवार को रिहा कर दिया। वरिष्ठ इज़रायली अधिकारी ने हमास द्वारा रिहा किए गए दो बंधकों की पहचान जूडिथ रानन और उनकी बेटी नताली के रूप में की है।

पुतिन की तुलना हमास से

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, हमास और पुतिन अलग-अलग खतरों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन उनमें एक बात समान है। वे दोनों ही पड़ोसी देशों में लोकतंत्र को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। बाइडन ने गुरुवार रात अमेरिकी राष्ट्रपति के औपचारिक कार्यस्थल ओवल कार्यालय से देश के नाम संबोधन के दौरान कहा कि इसराइल और यूक्रेन का अपने-अपने युद्धों में विजयी होना अमेरिकी की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है। उन्होंने दोनों देशों को दी जा रही अमेरिकी मदद को जायज ठहराया। अमेरिकी राष्ट्रपति के व्लादिमीर पुतिन के हमास से तुलना किए जाने के बाद क्रेमलिन ने शुक्रवार को इसका कड़ा विरोध किया है।

 सीवर सफाई में मौत और मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह दुर्भाग्य है कि आज भी देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग हो रही है और सीवर सफाई के दौरान कर्मियों की मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकारों/सक्षम प्राधिकारों को सीवर सफाई के दौरान मरने वालों कर्मचारियों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि सीवर की सफाई के दौरान स्थायी विकलांगता का शिकार होने वालों कर्मचारियों को कम से कम 20 लाख और अन्य तरह की विकलांगता के शिकार होने पर 10 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।

पूजा पंडालों के पास सादे लिबास में रहेगी पुलिस

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: पूजा पंडालों के इर्द-गिर्द सादे लिबास में रहेंगे पुलिसकर्मी। बिहार में दुर्गापूजा के दौरान पूजा-पंडालों व उसके आसपास सादे लिबास में पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी। राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर दुर्गापूजा के दौरान सख्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। दुर्गापूजा को लेकर 20 हजार से अधिक अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती राज्यभर में की गयी है। पुलिस मुख्यालय के अनुसार इस वर्ष राज्य में 15,559 दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित किए जाने की सूचना मिली है। पिछले वर्ष 14,726 प्रतिमाएं स्थापित की गयी थीं। पटना जिले में राज्यभर में सबसे अधिक 1378 देवी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • 2 नवंबर को गांधी मैदान में 25000 अध्यापकों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाटेंगे नियुक्ति पत्र
  • 10 वर्षों में हमारी ट्रेनें किसी से भी कम नहीं रहेंगी: प्रधानमंत्री मोदी
  • भारत बोला- नियमों के तहत कनाडा के राजनीतिक हटाए
  • आईजीआईएमएस के डायरेक्टर और पटना के सिविल सर्जन को हुआ डेंगू
  • भोजपुर के चरपोखरी में ट्रेन से कटकर दो बच्चों समेत मां की मौत
  • ससुराल वालों ने सताया तो बैंड बाजे के साथ बेटी को वापस रांची के घर ले आए पिता

अनछ्पी: ऐसा लगता है कि राज्य सरकार की गलती की वजह से बिहार के उन 860 स्टूडेंट्स को अगले कुछ दिनों तक परेशान रहना पड़ेगा जिन्होंने 30 सितंबर के बाद यूजी नीट की काउंसलिंग के तहत एमबीबीएस में एडमिशन लिया है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने 27 जुलाई 2023 को ही नोटिस जारी कर यूजी एमबीबीएस काउंसलिंग को हर हाल में 30 सितंबर 2023 तक पूरा कर लेने का आदेश दिया था। नोटिस में कहा गया था कि इसके बाद कोई भी नामांकन या काउंसलिंग एमसी के नोटिस और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जाएगा। बताया जाता है कि 18 जनवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मेडिकल की यूजी व पीजी कोर्स में नामांकन के लिए टाइम फ्रेम तय किया था। यह टाइम फ्रेम सभी राज्यों व केंद्र सरकार से परामर्श के बाद तय किया गया था। साथ ही एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे किसी भी फेरबदल से हाई कोर्ट को भी हस्तक्षेप करने से रोक लगा दी थी। बिहार में काउंसलिंग के लिए जिम्मेदार बीसीईसीईबी के अधिकारियों का कहना है कि कई कारणों से काउंसलिंग देर से शुरू हुई। इसमें लड़कियों के लिए 33% आरक्षण और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की 50% सीटों पर सरकारी फीस पर एडमिशन के मामले के कारण एडमिशन लेट हुआ है। काउंसलिंग और एडमिशन में लेट चाहे जिस कारण हुआ हो इसका खामियाजा स्टूडेंट्स को निश्चित रूप से नहीं भुगतना चाहिए। नेशनल मेडिकल काउंसिल को भी इस पर विचार करना पड़ेगा कि आखिर नामांकन को अगर अमान्य करार दिया गया है तो उन 860 स्टूडेंट्स का क्या होगा जिनकी कोई गलती नहीं है? बीसीईसीईबी को जब मालूम था कि नामांकन एक टाइम फ्रेम के अंदर लेना है तो इसमें देरी कैसे बर्दाश्त की जाएगी? बहरहाल, अब एनएमसी और बीसीईसीईबी को इस समस्या का कोई हल निकालना होगा क्योंकि इनके बीच पिसने वाले स्टूडेंट्स को इंसाफ तब ही मिलेगा जब उनका नामांकन मान्य माना जाएगा।

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