छ्पी-अनछपी: टॉयलेट निर्माण में 230 करोड़ की हेराफेरी, जमीन रजिस्ट्री के साथ ही होगी जमाबंदी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। औरंगाबाद के नबीनगर एनटीपीसी के सीएसआर फंड से टॉयलेट निर्माण में 230 करोड़ की हेराफेरी के मामले की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी है। बिहार में जल्द ही जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही दाखिल खारिज की प्रक्रिया भी पूरी होने लगेगी। बिहार सरकार ने आईएएस अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव पर केस दर्ज करने के लिए हरी झंडी दे दी है। सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में पूर्व डीजीपी एसके सिंघल की पेंशन पर रोक लग सकती है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार औरंगाबाद के नबीनगर में एनटीपीसी की भारतीय रेल बिजली कंपनी के सीएसआर फंड से टॉयलेट निर्माण में करीब 230 करोड़ से अधिक की हेराफेरी मामले में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। शनिवार को नबीनगर स्थित एनटीपीसी के दफ्तर में सीबीआई के संयुक्त निदेशक राजीव रंजन के नेतृत्व में पहुंची टीम ने जांच की। टॉयलेट निर्माण से संबंधित फाइलों को खंगाला। एनटीपीसी के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय रेल बिजली कंपनी के सीएसआर फंड से औरंगाबाद के साथ अरवल, रोहतास और जहानाबाद में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय का निर्माण कराया गया है। इस निर्माण में करीब 230 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है लेकिन धरातल पर काम नहीं हुआ है। बिना निर्माण कराए राशि की निकासी कर ली गई है। इस हेराफेरी में एनटीपीसी के एजीएम रह चुके आरके उपाध्याय मुख्य आरोपित हैं।

जमीन रजिस्ट्री के साथ ही होगा दाखिल खारिज

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार जल्द ही जमीन के निबंधन के साथ ही दाखिल खारिज की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। नई व्यवस्था में निबंधन की प्रक्रिया संपन्न होने साथ ही दाखिल खारिज के लिए भी स्वत: आवेदन हो जाएगा। इसके एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर दाखिल खारिज भी संपन्न हो जाएगा। इस प्रक्रिया को आमलीजामा पहनाने के लिए निबंधन विभाग और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट को आपस में जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है। इस नई प्रणाली के पहले चरण का परीक्षण भी संपन्न हो गया है। लेकिन, अभी इसमें कई स्तर पर बदलाव होना है। इसके बाद ही इस वेबसाइट को अंतिम रूप देकर पूरी तरह से शुरू किया जाएगा।

आईएएस अधिकारी संजीव हंस पर चलेगा केस

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस और राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव पर राज्य की विशेष निगरानी इकाई का शिकंजा कभी भी कस सकता है। ईडी की अनुशंसा के बाद अब विशेष निगरानी इकाई संजीव हंस और गुलाब यादव के साथ ही कुछ अन्य पर प्राथमिकी की तैयारी कर रही है। इन पर डीए यानी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा चल सकता है। सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दे दी है। विशेष निगरानी इकाई के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आय से अधिक संपत्ति मामले में हंस व गुलाब के अलावा दोनों की पत्नी, गुलाब की पुत्री, लोजपा नेता सुनील सिंह व 15 अन्य लोगों को आरोपी बनाया जा सकता है।

पूर्व डीजीपी एसके सिंघल की पेंशन रोकी जा सकती है

केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के खिलाफ ईओयू द्वारा वर्ष 2023 में सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में कार्रवाई की अनुशंसा गृह विभाग से करने के बाद अब उन पर विभागीय कार्यवाही की तलवार लटक रही है। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक विभागीय कार्यवाही के तहत उनको दी जाने वाली सरकारी पेंशन की राशि पर रोक लगाते हुए उसमें 5 से 10 फ़ीसद तक की कटौती हो सकती है।

मणिपुर में मंत्री के घर पर बम फेंका

भास्कर के अनुसार मणिपुर की राजधानी इंफाल में इंटरनेट बंदी और कर्फ्यू के बावजूद हिंसा थम नहीं रही है। शनिवार 2:00 बजे तक इंफाल में स्थिति सामान्य होती दिख रही थी। ऐसे में रविवार को इंटरनेट बैन हटाने और इंफाल ईस्ट और वेस्ट में कर्फ्यू में ढील बढ़ाने की उम्मीद थी हालांकि दोपहर बाद तीन बड़ी हिंसक घटनाएं हो गईं। पहली घटना में गुस्साए लोगों ने सिंगजामाई थाने पर पत्थरबाजी की और गेट को आग लगा दी। फिर रात 8:40 बजे नगा बहुल उखरुल के हमलईकोंग में मणिपुर सरकार के मंत्री खासिम बुसुम के घर पर बम हमला हुआ। इसके अलावा जिरिबाम के मोबुंग गांव में कुकी और मैतेई हथियारबंद उग्रवादियों के बीच फायरिंग हुई।

नदी में रील बनाने में दो किशोर की जान गई

जागरण के अनुसार पश्चिमी चंपारण के लौरिया प्रखंड के बसंतपुर गांव के पास करताहा नदी में छलांग लगाकर रील बनाने गए चार किशोरों में तीन नदी में डूब गए जिनमें दो की मौत हो गई। डूब रहे तीसरे किशोर अंकित पांडे को गांव के एक अन्य किशोर हिमांशु कुमार ने बचा लिया। ग्रामीण गोताखोरों के करीब चार घंटे के प्रयास के बाद डूबे दोनों किशोरों के शव नदी से निकाले गए।

कुछ और सुर्खियां

  • एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी में भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हराया
  • डॉक्टर अमरदीप बने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष
  • समस्तीपुर में तेज रफ्तार ट्रक ने 5 छात्राओं को मारी टक्कर, दो की मौत
  • 13 नवंबर से शुरू होगा हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला
  • सोनपुर में कामाख्या एक्सप्रेस से 453 जिंदा कछुआ बरामद
  • मेरठ में तीन मंजिला मकान हुआ ज़मींदोज़, पांच की मौत

अनछपी: सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए कंपनियों के सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फ़ंड में अनियमितता की शिकायत कोई नई बात नहीं है लेकिन इसकी चर्चा और जांच कम ही होती है। ऐसे में एनटीपीसी की औरंगाबाद इकाई के सीएसआर फंड से 230 करोड़ रुपए की हेराफेरी की सीबीआई की जांच चौंकाने वाली है। खबरों में बताया गया है कि यह पैसे टॉयलेट बनाने के नाम पर खर्च किए गए लेकिन हकीकत में टॉयलेट बने ही नहीं। आमतौर पर यह शिकायत प्राइवेट कंपनियों से मिलती थी लेकिन इस बार मामला सरकारी कंपनी का है। देखना यह है कि सीबीआई की जांच के बाद किन अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा कर सजा दी जाती है लेकिन फिलहाल यह बहस होनी चाहिए कि आखिर सीएसआर फंड की यह हालत क्यों हो गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह शायद यह है कि इसे गोपनीय रखा जाता है और आम आदमी को तो यह पता भी नहीं चलता कि किसी कंपनी के पास ऐसा भी कोई फंड होता है। कंपनियां सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के नैतिक कर्तव्य का पालन करते हुए इस फंड का प्रावधान करती हैं और अपनी रिपोर्ट में इसकी बढ़ चढ़कर चर्चा करती हैं कि उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए कितने पैसे खर्च किए। एनटीपीसी के सीएसआर फंड के साथ जो हुआ उसे इस तरह समझना चाहिए कि इसमें अनियमितता की खबर सीधे सीबीआई जांच की खबर के साथ आई है। इस सीबीआई जांच से अंदाजा होता है कि मामला काफी गंभीर है और बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। जिन चार जिलों में 230 करोड़ की लागत से टॉयलेट बने थे वहां के लोगों को भी इस बात का पता नहीं होगा कि उनके नाम पर इतनी बड़ी ठगी की गई है। कंपनियां अगर अपने सीएसआर फंड की जानकारी सार्वजनिक करें तो इस मामले में जागरूकता बढ़ेगी और धांधली की संभावना कम होगी।

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