बिहार में हर साल 2 आरटीआई कार्यकर्ता की होती है हत्या, जांच के लिए न्यायिक आयोग की मांग

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना।

आरटीआई कार्यकर्ताओं की मौत के विषय पर अपनी तरह की  पहली जन सुनवाई का आयोजन मंगलवार को पटना में किया गया। जन सुनवाई की अध्यक्षता प्रख्यात कार्यकर्ता अरुणा रॉय (एमकेएसएस), विनीता देशमुख (वरिष्ठ पत्रकार) और अमिताभ कुमार दास (पूर्व आईपीएस) की जूरी ने की। जनसुनवाई का आयोजन सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई), सफर, जन जागरण शक्ति संगठन, भोजन का अधिकार अभियान, बिहार और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इस आयोजन के दौरान बताया गया कि पिछले दस वर्षों में 20 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं बिहार में एक बहुत ही परेशान करने वाली प्रवृत्ति है। यह तुरंत बंद होना चाहिए। जिन लोगों की हत्या की गई है, वे सार्वजनिक कारणों से लड़ रहे थे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली, नरेगा, आंगनबाडी केंद्रों, अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों आदि के कामकाज में पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रहे थे। अधिकांश आरटीआई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे। आरटीआई कार्यकर्ताओं को डराना-धमकाना तुरंत बंद होना चाहिए।

अपनों को याद कर परिवारों ने एक बार न्याय दिलाने के लिए सरकार से जवाबदेही का गंभीर सवाल पूछा। पूरे देश में राज्य से सवाल पूछने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा मौत होने से बिहार में अराजकता को उजागर कर दिया है।

परिजनों ने बताया कि पुलिस भी जांच में अपराधियों की मदद कर रही है और मामले को कमजोर करने की पूरी कोशिश कर रही है अक्सर वे परिवार के सदस्यों और गवाहों को अपना बयान बदलने और जान से मारने की गंभीर धमकी देते हैं। ऐसे में आरटीआई व्हिसलब्लोअर्स के परिवार वाले अब भी खौफ के साए में जी रहे हैं.

इस सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार के सदस्यों ने यह भी बताया कि अपराधियों द्वारा कई बार मौत की धमकियों का सामना करने के बाद भी, अधिकांश मारे गए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूचना का पीछा करना और भ्रष्टाचार को उजागर करना बंद नहीं किया था। उन्होंने यह भी कहा कि, यह प्रयास आरटीआई अधिनियम को मारने के लिए जानबूझकर किये जा रहे है जिससे लोग इन हत्याओं से डर कर जानकारी मांगना बंद कर दें।

जनसुनवई में वकील भी मौजूद रहे और पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

शाम रजक (राजद), शकील अहमद खान (कांग्रेस), गणेश सिंह-सीपीआई (एम), संदीप सौरभ सीपीआई (एमएल), अरुण सिंह- एसयूसीआई, मनोज झा (राजद) जैसे विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता राजनीतिक दल वाले सत्र का हिस्सा थे। उन्होंने संघर्षरत परिवारों को मदद करने का वादा किया और साथ ही आर.टी. आई से जुड़े मुद्दे को बड़े पैमाने पे उठाने का संकल्प किया।

राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त श्री त्रिपुरारी शरण ने जान सुनवाई में हिस्सा लिया और अपने स्तर से मदद करने की पेशकश की।

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