छपी-अनछपीः फाइनल नहीं कि जदयू-भाजपा 24-25 में साथ लड़ेंगे, चीन की ताइवान से तनातनी
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। बिहार के लिहाज से आज की एक बड़ी खबर यह है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि जदयू पहले खुद को मजबूत करेगा, फिर गठबंधन पर फैसला करेगा। जागरण की सुर्खी हैः 2024-25 में जदयू व भाजपा साथ लड़ेंगे, यह फाइनल नहीं। वैसे, आज के हिन्दी अखबारों ने अपने अपने हिसाब से अलग-अलग लीड बनायी है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर हैः चीन व ताइवान के बीच तनातनी चरम पर पहुंची। अमेरिकी प्रतिनिध सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के ताइवान से लौटते ही चीन ने उसकी सीमा पर युद्ध का अभ्यास शुरू कर दिया। इस दौरान दागी गयी 11 मिसाइलों में 5 जापान में जा गिरीं।
सारण जिले भेल्दी-मकेर में आठ लोगों की मौत की खबर भी सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है। इस बारे में जागरण ने जहरीली शराब को मौत का कारण बताया है तो हिन्दुस्तान ने संदिग्ध स्थिति में मौत लिखा है। भास्कर की लीड हैः सात लोगों को पी गयी शराब।
जागरण की लीड कांग्रेस के अखबार नेशनल हेरल्ड से जुड़े पैसों की हेराफेरी के मामले में यंग इंडियन के दफ्तर की तलाशी लेने की खबर है। इसमें हवाला कारोबार के संकेत मिलने की सूचना दी गयी है। यह खबर बाकी अखबारों में भी प्रमुखता से छपी है।
टाइम्स आॅफ इंडिया की लीड हैः सीयूइटी में फिर तकनीकी दिक्कतें, दूसरी पाली के इम्तिहान टले। यह दूसरे फेज का पहला इम्तिहान था और सभी 489 सेंटर्स पर इसके इम्तिहान रद्द करने पड़े। सेनट्रल यूूनिवर्सिटियों में होने वाले इस इम्तिहान को लेने की जिम्मेदार नेशनल टेस्टिंग एजंेसी ने रद्द परीक्षाओं के लिए नयी तारीखों का ऐलान किया है।
भास्कर की एक सुर्खी हैः प्रधानाध्यापक की परीक्षा में फेल हो गये हमारे 6000 मास्टर साहब। यह खबर बाकी अखबारों में भी प्रमुखता से छपी है। इस समय 6421 पद खाली हैं और महज 421 शिक्षकों ने हेडमास्टर बनने की परीक्षा पास की है।
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर हैः आईएएस सेंथिल समेत चार की संपत्ति ईडी करेगा जब्त। भास्करी मंे इसी खबर की सुर्खी हैः आईएएस के. संेथिल पर 8.76 करोड़ घोटाले का आरोप तय।
हिन्दुस्तान और अन्य अखबारों में खबर है कि पुलवामा में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने की तीसरी बरसी से पहले आतंकवादी हमले में बिहार के एक मजदूर मोाहम्मद मुमताज की मौत हो गयी।
जागरण की खबर है कि हवाई-रेल टिकट रद्द करने पर भी जीएसटी लगेगा।
अनछपीः बिहार में जहरीली शराब से मौत के मामले हर कुछ महीनों के बाद सामने आते रहते हैं। स्थानीय पुलिस-प्रशासन इसे संदिग्ध स्थिति में मौत बताता है तो शराबबंदी का विरोध करने वाला धड़ा इसे शराबबंदी की नाकामी बताता है। हकीकत यह है कि शराबबंदी का लाभ साफ दिखता है लेकिन दूसरी उतनी ही बड़ी हकीकत यह भी है कि पैसे वालों को शराब मिल जाती है, कीमत ज्यादा लगती है और यहां तक की होम डिलीवरी भी होती है। यह काम थाने की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं लेकिन यह बात भी अपनी जगह सही है कि शराब माफिया हर दिन नया तरीका अपनाते हैं। यहां फर्क यह करना है कि शराब माफिया ब्रांडेड शराब सप्लाई कर रहे या ऐसी कच्ची शराब जो सीधे मौत का कारण बन रही है। ब्रांडेड शराब भी सेहत को नुकसान ही पहुंचाती है लेकिन ऐसी मिलावटी शराब जो लोकल भट््टी में तैयार होती है, वह फौरन जान लेती है। लोकल भट्टी मामले मंे सरकार का अमला पूरी तरफ फेल है और जो फेल नहीं है, वह इसमें शामिल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है कि जिस शराबबंदी की वजह से उन्हें महिलाओं का इतना बड़ा समर्थन मिला है, उसपर इस जहरीली शराब के धंधेबाजों के कारण सवाल उठ रहे हैं और लोगों की जानें जा रही हैं। यह बात भी ध्यान देने की है कि शराबबंदी मामले में नीतीश कुमार को भाजपा के ही कुछ नेताओं से सवालों का सामना करना पड़ता है।
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