छ्पी-अनछपी: फुलवारी-पीएफआई मामले में जलाल खान को बेल, शेख हसीना पर मर्डर का केस

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दो साल पहले के फुलवारी शरीफ-पीएफआई मामले में रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन खान को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मर्डर का केस हुआ है। औरंगाबाद के दाउदनगर में सोन नहर में कार के डूबने से 6 लोगों की मौत हो गई। भागलपुर में महिला कांस्टेबल, उसके दो बच्चों व सास का गला रेता शव मिला, पति लटका था फंदे से।

आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।

फुलवारी शरीफ के पीएफआई मामले में दो साल पहले यूएपीए के तहत गिरफ्तार जलालुद्दीन खान को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने की खबर सभी अखबारों ने दी है लेकिन प्रभात खबर ने इसे सबसे ज्यादा जगह दी है। अखबार के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत पिछले करीब दो साल से जेल में बंद फुलवारी शरीफ के नया टोला में रहने वाले रिटायर्ड दारोगा मोहम्मद जलालुद्दीन खान को जमानत दे दी। साथ ही कोर्ट ने यह व्यवस्था दी कि इस तरह के विशेष कानून के तहत अपराधों में ‘जमानत नियम है, जेल अपवाद है’ का सिद्धांत लागू होता है। जलालुद्दीन पर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के कथित सदस्यों को अपने मकान की ऊपरी मंजिल किराए पर देने के लिए यूएपीए और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। फिलहाल जलालुद्दीन बेउर जेल में बंद हैं।

अदालत ने क्या कहा

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि जब जमानत देने का मामला बनता है तो अदालत को जमानत देने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। अभियोजन पक्ष के आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं लेकिन कानून के अनुसार जमानत के मामले पर विचार करना अदालत का कर्तव्य है। पीठ ने कहा कि आरोप पत्र को सही मानते हुए भी प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष निकाल पाना संभव नहीं है कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर पहली मंजिल को किराए पर देखकर आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने या तैयारी में मदद की। इसके अलावा याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उसने आतंकवाद का प्रशिक्षण देने के लिए कोई शिविर आयोजित किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोप पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं जिससे पता चले कि जलालुद्दीन खान ने यूएपीए में परिभाषित गैर कानूनी गतिविधियों में हिस्सा लिया व उन्हें अंजाम दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मानते हुए भी की सह आरोपी आतंकवादी कृत्यों में लिप्त थे या ऐसे कृत्यों को अंजाम देने वाले थे, रिकॉर्ड पर ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिसमें यह पता चले कि खान साजिश में शामिल थे।

शेख हसीना पर मर्डर का केस

भास्कर के अनुसार बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ रही हैं। देश छोड़ने के आठवें दिन मंगलवार को हसीना के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ है। हसीना सरकार में गृह मंत्री रहे असदुद्दीन जमान  खान, अवामी लीग के महासचिव ओबेदुल कादिर और पूर्व आईजी अब्दुल्लाह अल मामून सहित दो अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। यह मामला मोहम्मदपुर में आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान 19 जुलाई को पुलिस फायरिंग में एक दुकानदार अबू सैयद की मौत से जुड़ा है। ढाका के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने हत्या की जांच के आदेश भी दे दिए हैं।

बांग्लादेश के पीएम ढाकेश्वरी मंदिर पहुंचे

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया डॉक्टर मोहम्मद यूनुस मंगलवार को राजधानी ढाका में ढाकेश्वरी शक्तिपीठ पहुंचे। यहां यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कोई हिंदू-मुस्लिम नहीं होता। उन्होंने भरोसा दिलाया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था अलग-अलग धर्म के लोगों के बीच भेदभाव नहीं करती है। उन्होंने कहा कि हमारा देश इस समय बड़ी परीक्षा से गुजर रहा है, हमें सभी को मदद करना चाहिए।

कार नदी में गिरने से पटना के पांच लोगों की मौत

प्रभात खबर के अनुसार रोहतास के गुप्ता धाम से दर्शन कर लौट रहे पटना के श्रद्धालुओं की कार अनियंत्रित होकर औरंगाबाद के दाउदनगर के पास पटना मेन सोन नहर में गिर गई। इस घटना में कार सवार 6 लोगों की मौत हो गई। पांच श्रद्धालुओं का शव पुलिस ने नहर से बरामद कर लिया है। एक अन्य की तलाश जारी थी। यह सभी पटना के राजीव नगर से गुप्ता धाम गए थे। घटना सोमवार की देर रात दाउदनगर-बारुण रोड में दाउदनगर थाना क्षेत्र के चमन बीघा के पास की है। मंगलवार को सुबह लोगों को घटना के बारे में पता चला। मरने वालों में एक पिता-पुत्र भी शामिल हैं।

एक ही परिवार के पांच लोगों की लाश मिली

भास्कर के अनुसार भागलपुर में अवैध संबंध के शक में एक परिवार खत्म हो गया। युवक ने पहले सिपाही पत्नी, बेटा-बेटी और मां की गला रेत कर हत्या की फिर खुद फांसी लगा ली। युवक को पत्नी का एक कांस्टेबल से अवैध संबंध का शक था। दिल दहला देने वाली यह घटना सोमवार की देर रात पुलिस लाइन की है। मरने वालों की पहचान पंकज कुमार सिंह, पत्नी नीतू कुमारी बेटा शिवांश, बेटी श्रेया और मां आशा कुंवर के रूप में हुई है। पंकज भोजपुर जिले के मझिआंव गांव का रहने वाला था। नीतू बक्सर जिले के नया बाजार की रहने वाली थी। नीतू 2015 बैच की सिपाही थी जबकि पंकज बेरोजगार था। पंकज ने अपने सुसाइड नोट में कांस्टेबल सूरज कुमार को जिम्मेदार बताया है। हालांकि सुसाइड नोट में उसने लिखा कि नीतू ने सास और दोनों बच्चों की हत्या की इसलिए मैं नीतू की हत्या करने के बाद आत्महत्या कर रहा हूं।

डॉक्टर से दरिंदगी की जांच सीबीआई को

हिन्दुस्तान के अनुसार कोलकाता में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि हत्या इतनी वीभत्स थी कि डॉक्टरों का आक्रोश उचित है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि केस डायरी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपी जाए। इसके साथ ही अन्य सभी दस्तावेज बुधवार सुबह 10 बजे तक सौंप दिए जाए। हाईकोर्ट ने चिकित्सकों से हड़ताल समाप्त करने की अपील करते हुए कहा, उनके ऊपर पवित्र दायित्व है। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में शुक्रवार सुबह डॉक्टर का शव बरामद किया गया था।

चीनी और नमक में माइक्रो प्लास्टिक

जागरण की खबर है कि भारत में बिकने वाले नमक और चीनी के सभी ब्रांडों में खतरनाक माइक्रो प्लास्टिक मिले हैं। मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में यह दावा किया गया है। पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक द्वारा किए गए नमक और चीनी में माइक्रो प्लास्टिक शीर्षक वाले अध्ययन में 10 प्रकार के नमक का अध्ययन किया गया जिसमें सेंधा नमक, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक शामिल थे। नमक व चीनी के सभी नमूनों में माइक्रो प्लास्टिक की मौजूदगी का पता चला जो फाइबर सहित विभिन्न रूपों में थे। इन माइक्रो प्लास्टिक का आकार 0.1 एमएम से लेकर 5 एमएम तक था।

कुछ और सुर्खियां

  • दुष्कर्म और हत्या के मामले में उम्र कैद काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को फिर 21 दिनों की फर्लो मिली
  • वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी राज्यसभा जाने के लिए एनडीए में हो सकते हैं शामिल
  • सीवान से साढ़े पांच किलो हाथी दांत ज़ब्त, तीन गिरफ्तार
  • सेबी अध्यक्ष माधवी बुच और अडानी मुद्दे पर कांग्रेस 22 अगस्त को करेगी पूरे देश में प्रदर्शन
  • पटना में सड़कों की मरम्मत पर खर्च होंगे 120 करोड़
  • भागलपुर के सबौर में एनएच पर चढ़ा गंगा का पानी, यातायात पर लगी रोक

अनछपी: फुलवारी शरीफ-पीएफआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जिन आधारों पर एक अभियुक्त को जमानत दी है वह काफी कुछ संकेत देता है। याद दिलाने की बात यह है कि यह वही मामला है जिसे मीडिया में एनआईए के हवाले से फुलवारी आतंकी मॉड्यूल कहा गया था। इस मामले में कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिनका संबंध बाद में प्रतिबंधित किए गए पीएफआई से बताया गया था। इस मामले में झारखंड पुलिस के रिटायर्ड जलालुद्दीन खान को इस आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि उनके मकान में पीएफआई का दफ्तर चल रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट और पटना हाई कोर्ट ने सबूतों का विश्लेषण नहीं किया और उनका फोकस पीएफआई की गतिविधियों पर था। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण बात यह कही कि यूएपीए जैसे विशेष कानून के तहत अपराधों में भी ‘जमानत नियम है, जेल अपवाद है’ का सिद्धांत लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिससे यह साबित हो कि जलालुद्दीन खान ने यूएपीए में परिभाषित गैर कानूनी गतिविधियों में हिस्सा लिया हो। सवाल यह है कि दो साल जेल में रहने के बाद जलालुद्दीन खान को अब जमानत तो मिल गई है लेकिन यही बातें एनआईए, ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को क्यों समझ में नहीं आईं। एनआईए तो बहरहाल अपने राजनीतिक मुखिया के कहने पर चलती है लेकिन कम से कम ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से अब उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसे मामलों में जमानत देने में उन्हें कोई हिचकिचाहट नहीं होगी जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। याद रखने की बात यह है की पीएफआई का सदस्य होने का आरोप लगाते हुए जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनके बारे में एनआईए के हवाले से यह बात कही गई थी कि वे प्रधानमंत्री मोदी के बिहार दौरे में कुछ गड़बड़ी कर सकते थे। पहले उन पर फुलवारी शरीफ में प्राथमिकी दर्ज हुई थी और बाद में यह मामला एनआईए को सौंपा गया था। इस मौके पर एक सवाल मीडिया से भी किया जाना चाहिए कि उसकी रिपोर्ट से जलालुद्दीन खान को जो मानसिक तनाव झेलना पड़ा उसकी भरपाई कौन करेगा? मीडिया पुलिस के सवाल करना कब सीखेगा?

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