छ्पी-अनछ्पी: नायडू-नीतीश के सहारे मोदी फिर एनडीए के नेता, ‘इंडिया’ करेगा इंतज़ार
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी बुधवार को तीसरी बार एनडीए के नेता चुन लिया गया। उन्हें चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की पार्टियों समेत 14 दलों का समर्थन मिला। कल ही हुई बैठक में ‘इंडिया’ गठबंधन ने यह फैसला किया कि अभी वह सरकार बनाने के लिए सही वक़्त का इंतजार करेगा। जनता दल यूनाइटेड केंद्र की नई सरकार में रेल व वित्त समेत तीन खास विभागों की मांग कर सकता है। आज के अखबारों की यह प्रमुख खबरें हैं।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: अबकी बार डील से चलेगा एनडीए परिवार। लोकसभा चुनाव में बहुमत मिलने के अगले ही दिन एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को नेता चुनाव। पीएम आवास पर हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि हमें गर्व है कि एनडीए ने चुनाव मोदी के नेतृत्व में लड़ा और जीता। सूत्रों ने बताया 7 जून को मोदी को भाजपा संसदीय दल और एनडीए संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के सामने सरकार बनाने का दावा पेश होगा। शपथ ग्रहण 8 जून को हो सकता है। बैठक में टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे सहित 14 दलों के 21 नेता मौजूद थे। नायडू और नीतीश के साथ मोदी ने अलग से भी बैठक की। लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। बीजेपी व 14 अन्य दलों के 53 सदस्यों के साथ एनडीए के पास कुल 293 सांसद हैं।
इंडिया इंतज़ार करेगा
हिन्दुस्तान के अनुसार ‘इंडिया’ गठबंधन फिलहाल सरकार बनाने की कोशिश नहीं करेगा। इसके लिए गठबंधन ने इंतजार करते हुए उचित समय पर सही निर्णय लेने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में ‘इंडिया’ के घटकदलों की बैठक हुई। दो घंटे तक चर्चा के बाद खरगे ने कहा कि गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले शासन के खिलाफ लड़ता रहेगा। बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जो भी दल संविधान में विश्वास रखते हैं, उनके लिए इंडिया गठबंधन के दरवाजे हमेशा खुले हैं। उन्होंने कहा, “हम केंद्र से भाजपा सरकार को हटाने की लोगों की इच्छा को पूरा करने के लिए उचित समय पर सही कदम उठाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि यह जनमत भाजपा के खिलाफ है। व्यक्तिगत रूप से यह मोदी की नैतिक व राजनीतिक शिकस्त है।” फिलहाल कांग्रेस के पास 99 सीट है और इंडिया गठबंधन के पास कुल 234 सीटें हैं।
जदयू को चाहिए रेल समेत तीन विभाग
भास्कर के अनुसार लोकसभा चुनाव के नतीजे के हिसाब से इस बार जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी के लिए बहुत मजबूत भाव में है। उसकी तरफ से रेल व वित्त जैसे तीन महत्वपूर्ण विभागों की मांग की गई है। पार्टी की पुरजोर अपेक्षा है कि केंद्र बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे तथा देश में जातीय जनगणना कराए। इसकी बाकायदा मांग होगी। पिछली बार जदयू एनडीए में रहते हुए शुरू में मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ था। पार्टी के सांसदों की संख्या के अनुपात में मंत्रिमंडल में इसकी हिस्सेदारी विवाद पर विवाद था। बाद में जदयू कोटे से आरपी सिंह मंत्री बने किंतु नया विवाद हुआ। तब जदयू नेतृत्व ने कहा था, आरसीपी को मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी की बातचीत के लिए अधिकृत किया गया था। लेकिन वह खुद ही मंत्री बन गए।
बिहार में नीतीश के नेतृत्व में एनडीए
हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर के अनुसार जदयू के वरिष्ठ नेता और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि एनडीए 2025 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगा। यह आईने की तरह साफ है कि बिहार में एनडीए का नेता नीतीश कुमार ही रहेंगे। जदयू एनडीए में है और आगे भी रहेगा। श्री चौधरी बुधवार को जदयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार के नतीजों के निहितार्थ और संदेश बिल्कुल स्पष्ट हैं।
720/720 लाने वाले माजीं मंसूर ने किया था एनसीईआरटी पर ध्यान
प्रभात खबर के अनुसार दरभंगा के माजिन मंसूर ने नीट यूजी में 720 में 720 अंक प्राप्त किए हैं। माजिन ने बताया कि उनके परिवार में कई लोग डॉक्टर हैं। उनको लोगों की सेवा करते हुए देखते थे तो उनका भी मन करता था कि डॉक्टर बनें। इसलिए नीट की तैयारी करने का निर्णय लिया और कोटा जाकर तैयारी की। माजिन के पिता डॉ मंसूर बख्त बच्चों के डॉक्टर हैं। माजिन तीन भाई हैं। बड़े भाई बीडीएस कर रहे हैं और सबसे छोटे भाई अभी दसवीं में पढ़ रहे हैं। माजिन ने दसवीं में 96.4% अंक लाए थे जबकि 12वीं में इसी साल उन्हें 87.02% अंक मिले हैं। माजिन ने बताया कि उन्होंने कभी भी टाइम के अनुसार पढ़ाई नहीं की। कोशिश करते थे कि जो भी कॉन्सेप्ट हो वह सॉलिड हो जाए। एनसीईआरटी पर फोकस रखा और कॉन्सेप्ट बिल्डिंग पर ध्यान दिया।
लेबनान में अमेरिकी दूतावास पर हमला
हिन्दुस्तान के अनुसार इजरायल-हमास युद्ध के बीच गाजा के समर्थन में बुधवार को हमलावरों ने लेबनान की राजधानी बेरूत में अमेरिकी दूतावास पर हमला कर अंधाधुंध गोलीबारी की, एक हमलावर को सुरक्षाबलों ने पकड़ लिया है। वहीं एक मारा गया। सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि हमले के दौरान सैनिकों ने मोर्चा संभाल लिया और हमलावरों को दूतावास के अंदर जाने से रोक दिया। मौके पर एक हमलावर को गोली मार दी गई और पकड़ लिया गया।
कुछ और सुर्खियां
- ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस्तीफा दिया, भाजपा बनाएगी नई सरकार
- बिहार विधानसभा की चार सीटों इमामगंज, बेला, तरारी और रामगढ़ पर होगा उपचुनाव
- मीसा भारती और विवेक ठाकुर की राज्यसभा सीटों पर भी होगा उपचुनाव
- उत्तर प्रदेश की आरक्षित सीटों पर भाजपा को लगा झटका, 17 में से 9 विपक्ष ने जीतीं
- नरेंद्र मोदी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन समेत 75 से ज्यादा वैश्विक नेताओं ने दी बधाई
- फिर मोदी सरकार बनती देख सेंसेक्स में 2300 अंक का उछाल
- भाजपा की हार के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की पद से इस्तीफ़े की पेशकश
- लोहरदगा में झारखंड पुलिस के जवान ने बरसाईं गोलियां, बाढ़ के एएसआई धर्मेंद्र कुमार सिंह की मौत
अनछपी: लोकसभा की 543 में से जिन 542 सीटों पर मतदान हुआ उसमें सबसे ज्यादा चर्चा फैजाबाद लोकसभा सीट की हो रही है जहां अयोध्या का राम मंदिर बना है। सूरत में भाजपा का उम्मीदवार निर्विरोध घोषित किया गया था इसलिए एक सीट पर मतदान नहीं हुआ। मेनस्ट्रीम मीडिया में अयोध्या के मामले की उस तरह चर्चा नहीं है जैसी कि सोशल मीडिया पर हो रही। यह देखकर अजीब लगता है कि उन्मादी लोग अयोध्या के हिंदुओं को कोस रहे हैं कि उन्होंने वहां से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को क्यों जिताया और भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार वहां से कैसे हारा। इस सीट के रिजल्ट से यह बात सामने आई है कि राम का नाम लेकर वोट मांगने की नीति से परेशान लोग अपने वोट के इस्तेमाल से संदेश दे सकते हैं। आज जागरण अखबार ने इस मामले की पड़ताल करते हुए लिखा है कि अयोध्या के लोगों की नाराजगी बिना कारण नहीं है। अखबार के अनुसार अयोध्या में बार-बार वीआईपी के आने जाने से होने वाली परेशानी, दुकानदार और व्यापारियों का विस्थापन और उन्हें सही मुआवजा नहीं मिलना ऐसे कारण रहे जिसे अयोध्या के लोग परेशान हुए। अखबार में एक और अहम बात यह बताई कि जो राम और राम मंदिर संपूर्ण अयोध्या की थाती है वहां जाने के लिए भी स्थानीय धर्माचार्य एवं नागरिकों को किसी विशेष अधिकार की अपेक्षा थी किंतु तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस बारे में किसी तरह का विचार करने की जरूरत नहीं समझी। या तो वह लाइन लगाकर अति सामान्य श्रद्धालु की तरह राम मंदिर का दर्शन करें या विशेष पास के लिए तीर्थ ट्रस्ट के पदाधिकारी से लेकर संघ और विश्व हिंदू परिषद के किसी प्रभावी पदाधिकारी की चिरौरी करें। एक और शिकायत यह थी कि अयोध्या की अफसरशाही ने बेलगाम तरीके से काम किया जिससे स्थानीय लोग बहुत परेशान हुए। यह तो तस्वीर का एक रुख है। तस्वीर का दूसरा रुख यह है कि समाजवादी पार्टी ने उस इलाके में काफी मेहनत की और जिस वर्ग को भारतीय जनता पार्टी की नीतियां पसंद नहीं थीं, उसने एकजुट होकर उसके खिलाफ वोटिंग की। अयोध्या का परिणाम उन राजनीतिक दलों के लिए एक संदेश है जो अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हुए राजनीति करना चाहते हैं। धर्मनिरपेक्ष दल अगर भारतीय जनता पार्टी की कमियों को सही तरीके से उजागर करें और एकजुटता के साथ लड़ें तो देश में लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई मजबूत होगी।
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