छ्पी-अनछपी: नीतीश फिर बोले-भाजपा से दोस्ती की बात बेकार, नवाज़ शरीफ़ की पाकिस्तान वापसी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि भाजपा से उनकी दोस्ती की बातें बेकार की हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उस समय तकलीफ हुई थी जब सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया था। इस बात से जुड़ी खबरों को अखबारों ने प्रमुखता दी है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की देश वापसी की खबर को भी अच्छी जगह दी गई है। दुर्गा पूजा की तैयारी की कवरेज भी काफी है।

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है भाजपा से दोस्ती की बात बेकार, हम लोग सिर्फ विकास की बात करते हैं: नीतीश। भास्कर की पहली खबर है: मुझे तकलीफ हुई जब सुशील मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ दोस्ती की बातों को बकवास करार दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि हम तो केवल विकास की बात करते हैं। राज्य के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्णा सिंह की जयंती के अवसर पर माल्यार्पण करने आए नीतीश कुमार ने मुख्य सचिवालय परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मोतिहारी की सभा में भाजपा नेताओं को लेकर उनकी बात को गलत तरीके से परोसा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने भाजपा से दोस्ती की बात नहीं की, हम केवल विकास की बात करते हैं। उन्होंने भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी पर कहा कि मुझे तकलीफ हुई थी जब उन्हें उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था। जब हम लोग साथ में थे तब उनको सब काम ठीक लग रहा था। आजकल वे रोज कुछ न कुछ बोलते रहते हैं जिस पर मुझे कुछ नहीं कहना।

चार साल बाद लौटे नवाज़

भास्कर की खबर है: 4 साल बाद पाक लौटे शरीफ। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ के सुप्रीमो और तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ लंदन में 4 साल का निर्वासन बिताने के बाद शनिवार को पाकिस्तान लौट आए हैं। दुबई एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद नवाज शरीफ शनिवार शाम को इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर पहुंचे जहां उन्होंने इमीग्रेशन प्रोसेस के बाद कोर्ट के बांड पर साइन किया और उसी फ्लाइट से लाहौर रवाना हो गए। 73 वर्षीय नवाज़ शरीफ़ ने लाहौर के मीनारे पाकिस्तान में शक्ति प्रदर्शन किया। वहां जनसभा को संबोधित करते हुए नवाज़ ने कहा कि देश के हालात 2017 से बेहतर नहीं है। यह देखकर दुख होता है कि पाक आगे बढ़ने की बजाय पीछे चला गया है। जागरण ने लिखा है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने पाकिस्तान पहुंचते ही बड़ा बयान दिया है। लाहौर स्थित मीनारे पाकिस्तान में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उन्हें परमाणु परीक्षण रोकने के लिए 5 अरब डालर देने की पेशकश की थी।

ग़ज़ा में शांति का समझौता नहीं हो सका

इजरायल और हमास में युद्धविराम के लिए मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी की अगुआई में काहिरा में शनिवार को शांति शिखर सम्मेलन हुआ। इसमें हिंसा रोकने के लिए समझौता नहीं हुआ पर शांति का आह्वान किया गया है। इसराइल की ओर से गजा में की जा रही बमबारी की अरब देशों के प्रतिनिधियों ने निंदा करते हुए नए सिरे से शांति स्थापित करने का आग्रह किया। वहीं, यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों ने नागरिकों को बचाए जाने और गजा में मानवीय सहायता पहुंचाने पर बल दिया। इसराइल और अमेरिका के प्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी वाले इस सम्मेलन में हिंसा रोकने की दिशा में कोई समझौता नहीं हुआ।

अपनी ज़मीन छोड़कर नहीं जाएंगे: अब्बास

फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि कोई भी चुनौती हो, हम अपनी जमीन छोड़कर कहीं और नहीं जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि इजरायल ने स्कूल, अस्पतालों से लेकर औरतों और बच्चों पर बम दागे हैं। इन्होंने हर तरह के मानवीय कानून का उल्लंघन किया है। वहीं, ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने शांति शिखर सम्मेलन में कहा कि मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया दो राज्य की अवधारणा के आधार पर फिर से शुरू होनी चाहिए।

राहत सामग्री पहुंची

प्रभात खबर की सुर्खी है: रफाह बॉर्डर खुला, ग़ज़ा पहुंची राहत सामग्री की पहली खेप। मिस्र और ग़ज़ा को जोड़ने वाली रफाह बॉर्डर शनिवार को खोल दिया गया। इसके बाद इसराइली घेराबंदी वाले क्षेत्र में भोजन, दवा और पानी की किल्लत से जूझ रहे फलस्तीनी लोगों के लिए राहत सामग्री की पहली खेप ग़ज़ा पहुंची। राहत सामग्री से लदे ट्रक जैसे ही रफाह बॉर्डर से ग़ज़ा में दाखिल हुए वहां खड़े सैकड़ो लोगों ने ताली बजाकर खुशियां मनाई। फिलहाल केवल 20 ट्रकों को ही ग़ज़ा में प्रवेश की अनुमति मिली है।

कनाडा विवाद में भारत पर दबाव

जागरण की खबर है: कनाडा मामले में भारत अपने रुख पर अडिग। अख़बार लिखता है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के मामले में पश्चिमी देश भारत पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार कर चुके हैं। शुक्रवार देर रात अमेरिका और ब्रिटेन ने भारत द्वारा कनाडाई राजनयिकों को हटाए जाने संबंधी फैसले पर न सिर्फ चिंता जताई है बल्कि यह भी कहा कि भारत को वियना समझौते का पालन करना चाहिए। दूसरी तरफ भारत अपने रुख पर अडिग है। भारत का कहना है कि उसने वियना समझौते के तहत ही दोनों देशों के बीच राजनयिकों की संख्या में तालमेल स्थापित करने के लिए कनाडाई राजनयिकों को हटाने का फैसला किया है।

पंडालों में उमड़े लोग

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर पटना में दुर्गा पूजा पर है। अखबार लिखता है कि पूरी राजधानी देवी आराधना में डूबी हुई है। शनिवार को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा के साथ शहर के शक्तिपीठ, मंदिरों व पूजा पंडालों के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। पट खुलते ही मां के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। देवी मंत्रों व जयकारे से पंडाल व मंदिर गुंजायमान होने लगे। या देवी सर्वभूतेषु…की ध्वनि चहुंओर सुनाई पड़ रही थी।

नवजात बेटी को अस्पताल में छोड़ गई मां

जागरण में पश्चिमी चंपारण के चनपटिया से खबर है कि चूहड़ी गांव निवासी रामबाबू कुमार की पत्नी नीतू देवी ने शुक्रवार की रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 10 वर्ष बाद एक बेटी को जन्म दिया। बेटी पैदा होने के करीब 2 घंटे बाद मां उसे पालने में रखकर फरार हो गई। शनिवार की सुबह नवजात रोती मिली तो प्रसव कक्ष में उसकी मां की खोज हुई लेकिन नहीं मिली। थानाध्यक्ष मनीष कुमार के प्रयास से चूहड़ी के मुखिया प्रभात कुमार ने महिला के घर संपर्क किया। उसे समझा बूझकर अस्पताल लाया गया। बच्ची की परवरिश में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन देकर नवजात को सौंपा गया। लेकिन वह अस्पताल के बाहर बैठकर रोने लगी। इस बीच अस्पताल में कार्यरत ममता रीमा कुमारी पहुंची। जब उन्होंने नीतू से बात की तो पता चला कि वह नवजात को रखने के लिए तैयार नहीं है। वह चाहती हैं कि उसे कोई ले ले तो रीमा ने उस बच्ची को गोद ले लिया। नीतू को पहले से तीन बेटियां और एक बेटा है। पति को कोई काम नहीं करता और 10 वर्ष पहले उसने अपना बंध्याकरण भी करा लिया था।

कुछ और सुर्खियां

  • सभी विश्वविद्यालयों की समीक्षा करेगा शिक्षा विभाग
  • आतंकवाद, नक्सलवाद और नक्सली हिंसा में आई है 65 प्रतिशत की कमी: अमित शाह
  • ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने का सर्वे करने की मंदिर पक्ष की अपील खारिज
  • पाकिस्तान में मसूद अजहर के करीबी दाऊद मलिक की अज्ञात बंदूक धारी ने की हत्या
  • एमबीबीएस में नाम लिखा चुके 804 छात्रों के रजिस्ट्रेशन पर रोक
  • बिहार स्टेट बार काउंसिल चुनाव के लिए 157 उम्मीदवारों ने पेश की दावेदारी

अनछपी: पश्चिम चंपारण जिले में एक बच्ची को जन्म देने के बाद मां द्वारा उसे अस्पताल में छोड़ देने का मामला हमारे समाज के लिए बेहद गंभीर है। बच्ची को जन्म देने वाली महिला का कहना है कि उसका 10 साल पहले बंध्याकरण हुआ था इसलिए यह ताज्जुब की बात है कि उसके बावजूद गर्भ कैसे ठहरा। यह सवाल तो हमारे मेडिकल व्यवस्था का है लेकिन यह बात भी सोचने की है कि महिला ने 9 महीने तक उस बच्चे का इंतजार कैसे किया? उसे महिला को पहले से तीन बेटियां हैं और ऐसा लगता है कि उसे उम्मीद थी कि इस बार बेटी की जगह बेटा होगा। हमारे समाज में बेटों के लिए माएं भी कितना जान देती हैं इससे इसका पता चलता है। हालांकि इसके लिए मां को कुसूरवार ठहराना सही नहीं है क्योंकि सामाजिक व्यवस्था ही ऐसी बनी हुई है कि इतनी तरक्की के बावजूद आज भी बेटी पैदा होना घर के लिए मुश्किल बात मानी जाती है। यह सुनने में अच्छा लगता है कि किसी दूसरी महिला ने उस बच्ची को गोद ले लिया लेकिन असली सवाल यह है कि जिस मां ने उसे जन्म दिया वह उसके लिए इतनी भारी क्यों हो गई। लड़कियों को इस तरह घर में जगह नहीं देने की कुछ खबरें ही हमारे सामने आती हैं वरना आम समझ यह है कि यह बीमारी बहुत गहरी है। अखबारों के लिए यह खबर इतनी आम है कि कुछ ने तो इस जगह नहीं दी और जिसने जगह दी उसने भी इसे अंदर ही छापना मुनासिब समझा। बिहार में भी लड़का और लड़की का अनुपात देखा जाए तो लड़कियों की संख्या कम ही पाई जाती है। हर एक हज़ार लड़के पर बिहार में 918 लड़कियां हैं जो राष्ट्रीय औसत 940 से बहुत कम है। इस मामले में पुलिस ने अच्छा काम किया कि उसने उस मां को ढूंढ कर वापस बच्ची से मिलवाया और प्रशासन ने भी उसे सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता के बारे में बताया। ऐसे में समाज के समझदार लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि उस महिला को अब भी इस बात के लिए राजी करें कि वह अपनी बेटी को अपनाए और उसका पालन पोषण करे। बेटियों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन जागरूकता की कमी के कारण अब भी लोग बेटियों के नाम पर परेशानी महसूस करते हैं। सरकार के साथ-साथ समाज के लिए जिम्मेदारी है कि बेटियों के प्रति लोगों की राय दुरुस्त करें और उन्हें बोझ ना समझने की समझदारी पैदा करें।

 

 

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