छपी-अनछपी: उपराष्ट्रपति के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव, जज के विवादित बोल पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राज्यसभा के इतिहास में पहली बार सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है जो देश के उपराष्ट्रपति होते हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज के विवादित भाषण पर सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट तलब की है। बिहार सरकार ने कहा है कि अगर किसी की जमीन के कागज नष्ट हो गए हैं तो दखल और सबूत से तय होगा कि उसका मालिक कौन है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा है कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दे दिया जाना चाहिए।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार विपक्षी गठबंधन इंडिया ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने का नोटिस दिया। राज्यसभा के इतिहास में पहली बार है, जब किसी सभापति को हटाने के लिए नोटिस दिया गया है। विपक्ष का आरोप है कि सभापति के पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्यवाही चलाने की वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, द्रमुक, सपा और अन्य विपक्षी दलों के करीब 60 नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रस्ताव राज्यसभा महासचिव को सौंप दिया है। गठबंधन के घटक दलों के पास अविश्वास प्रस्ताव के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। लोकतंत्र के हित में हमें यह कदम उठाना पड़ा।
जज के विवादित बोल पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
जागरण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम घटनाक्रम में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादस्पद बयानों से संबंधित खबरों पर मंगलवार को संज्ञान लिया और इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में और अहम हो गया है जब चीफ जस्टिस संजीव खन्ना से विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। जस्टिस यादव ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में पिछले दिनों कहा था कि भारत अपने बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। उन्होंने कहा, कठमुल्ला देश के लिए घातक हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय का नाम लिए बिना उनके बच्चों के बारे में भी विवादित टिप्पणी की थी।
ज़मीन के कागज़ नष्ट हो गए तो दखल से फैसला
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार में चल रहे जमीन सर्वे को लेकर आम लोगों के मन में विभिन्न शंकाओं को दूर करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार यदि रैयत के स्वामित्व संबंधी कागज़ प्राकृतिक आपदा या 50 वर्ष से अधिक समय तक रखरखाव में नष्ट हो गए हैं तो उनको घबराने की जरूरत नहीं है। उनके शांतिपूर्ण दखल न्यूनतम साक्ष्य और सरकार के पास उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर स्वामित्व का निर्धारण किया जाएगा। बाढ़, अगलगी और दीमक लगने से बड़ी संख्या में जमीन के कागजात नष्ट हो गए हैं। जागरण के अनुसार वंशावली में बहन और बेटियों का नाम दर्ज होगा और अगर उन्होंने जमीन मांगी तो उन्हें देनी होगी।
लालू बोले-ममता करें इंडिया गठबंधन का नेतृत्व
हिन्दुस्तान के अनुसार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपने की वकालत की है। मंगलवार को उन्होंने पटना में पत्रकारों के इससे जुड़े सवाल पर ममता के नेतृत्व पर अपनी मुहर लगाई। राजद सुप्रीमो ने कांग्रेस द्वारा इसको लेकर की जा रही आपत्ति को सिरे से खारिज किया। साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस के आपत्ति जताने से नहीं होगा। इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता को दो। गौरतलब है कि लालू प्रसाद के पुत्र तथा बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिछले तीन दिनों से कोलकाता में हैं। वहां पहुंचने पर उन्होंने ममता के नेतृत्व को लेकर कहा था कि इंडिया गठबंधन का कोई भी वरीय नेता नेतृत्व करेंगे तो किसी को आपत्ति नहीं है। इस तरह का फैसला सबलोगों को मिलकर लेना है।
तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीते निर्दलीय वंशीधर
जागरण के अनुसार तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी पद पर निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी जीत गए। ब्रजवासी शिक्षक नेता रहे हैं और उन्हें इसके लिए नौकरी से निकाल दिया गया था। उप चुनाव की मतगणना मंगलवार को पूरी होने के बाद उन्हें 10915 वोटो से विजयी घोषित किया गया। उन्होंने जन सुराज के उम्मीदवार डॉ विनायक गौतम को पराजित किया। तीसरे नंबर पर राजद उम्मीदवार गोपी किशन रहे। वहीं जदयू उम्मीदवार अभिषेक झा चौथे नंबर पर रहे। इस दल के लिए यह दोहरा झटका है। यह इसलिए भी कि जदयू से सीट छिन गई। 22 वर्षों के बाद इस सीट पर नए चेहरे को प्रतिनिधित्व मिला। इससे पहले जदयू समर्थित उम्मीदवार के रूप में देवेश चंद्र ठाकुर ने वर्ष 2020 में हुए चुनाव में जीत हासिल की थी। सीतामढ़ी से सांसद चुने जाने पर उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था।
असद का स्लॉट रहाउस
भास्कर के अनुसार सीरिया में अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद के क्रूर शासन का विद्रोही गुट ने अंत कर दिया। यह जीत हजारों सीरियाई लोगों के लिए नई सुबह लेकर आई जिनके परिजन तानाशाह बशर अल असद की क्रूरता के शिकार बने। राष्ट्रपति असद ने अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले लाखों लोगों को कुख्यात सैयदनाया जेल की काल कोठियां में ठूंस दिया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार सीरिया में असद के स्लॉटर हाउस (बूचड़खाने) में बंदियों को 72 से ज्यादा तरह की यातनाएं दी जाती थीं। इस जेल में 1.57 लाख से ज्यादा लोगों को यातनाएं देकर मारा जा चुका है। इनमें 5274 बच्चे और 10221 महिलाएं भी शामिल हैं।
कुछ और सुर्खियां
- कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का 92 साल की उम्र में निधन
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा पर राजद सुप्रीमो लालू के कटाक्ष पर विवाद, एनडीए ने मसखरा और विक्षिप्त तक कहा
- बिहार के 13 जिलों में घने कोहरे का अलर्ट, 2 से 4 डिग्री गिर सकता है
- बशर अल-असद की सरकार गिरने के बाद इसराइल ने सीरिया पर सैकड़ों हमले किये
- गौतम अदानी और जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर मंगलवार को संसद में कार्यवाही बाधित रही
- अब केवल कंप्यूटर पर होगा सीयूईटी का अंडरग्रैजुएट टेस्ट
- मशहूर फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र पर 18 लाख रुपए ठगी का आरोप, कोर्ट ने हाजिर होने का दिया आदेश
अनछपी: कल मंगलवार को दिन भर समस्तीपुर के निवासी अतुल सुभाष का एक वीडियो और उनका सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर चर्चा में रहा जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को दहेज मांगने के झूठे आरोप में फंसाने का आरोप लगाया जिनकी फांसी लगी लाश मिली तो आत्महत्या का पता चला। चौंतीस साल के अतुल सुभाष बेंगलुरु की एक कंपनी में डीजीएम के पद पर थे। अतुल के भाई विकास कुमार ने अतुल की पत्नी, सास, साले और पत्नी के चाचा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि इन सभी ने अतुल के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए और निपटारे के लिए तीन करोड़ रुपए की मांग कर रहे थे। उनके अनुसार अतुल का मानसिक और शारीरिक शोषण हुआ जिससे उसने खुदकुशी कर ली। अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, “झूठे केस में फंसाने के बाद पत्नी और ससुराल वाले भारी रक़म मांग रहे हैं। मेरे बच्चे को मुझसे अलग कर दिया गया है। अदालत में जाओ तो वहां भी भ्रष्टाचार पीछे नहीं छोड़ रहा। जज के सामने ही पेशकार रिश्वत लेता है। ऐसी दुनिया में जी कर क्या करना है। आत्महत्या ही विकल्प है।” हमारा समाज एक तरफ दहेज और दहेज हत्या से परेशान है तो दूसरी तरफ दहेज मांगने के नाम पर झूठे मुकदमों से भी लोग जान दे रहे हैं। दरअसल कानून का गलत इस्तेमाल कानून के सही हकदारों के लिए भी मुसीबत बन जाता है। ध्यान देने की बात यह है कि अतुल ने अपने सुसाइड नोट में अदालत के बारे में भी बात की है और कहा है कि इसके लिए जज और पेशकार भी जिम्मेदार हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की लड़कियों को अब भी दहेज के लिए तंग किया जाता है और उनकी जान भी ले ली जाती है लेकिन अफसोसनाक पहलू यह है कि दहेज रोकने के कानून का गलत इस्तेमाल कर बेकसूर लोगों को भी फंसाया जाता है। इत्तेफाक की बात है कि जिस दिन अतुल की आत्महत्या की खबर सामने आए उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न मामलों में विचार करते समय अदालत को सतर्क करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी निर्दोष परिवार को अनावश्यक परेशानी ना हो। अदालत ने कहा कि घरेलू विवाद में अक्सर पति और उसके परिवार के सभी सदस्यों को फंसाने की साजिश होती है। इस मुद्दे पर सरकार और समाज को गंभीरता से सोचने की जरूरत है ताकि दहेज उत्पीड़न भी रुके और दहेज मांगने के नाम पर झूठे मुकदमे भी ना हों।
155 total views