छ्पी-अनछपी: 65% कोटा पर रोक हटाने से फिलहाल इनकार, राहुल बोले- अभिमन्यु नहीं, अर्जुन है जनता
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65% करने पर हाई कोर्ट की रोक को हटाने से इनकार कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बजट पर बहस के दौरान कहा कि जनता अभिमन्यु नहीं, अर्जुन है। दिल्ली के कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हुए हादसे के मद्देनजर पटना के 20 हज़ार कोचिंग सेंटरों की जांच आज से शुरू हो रही है। मेडिकल कॉलेज में दाखिला के लिए काउंसलिंग 14 अगस्त से शुरू होगी।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: 65% आरक्षण पर रोक जारी, फैसले में फंसा 1.35 लाख पदों का रिजल्ट भी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वंचित वर्ग के लिए आरक्षण 50% से बढ़कर 65% करने के फैसले पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट इस मामले में सितंबर में विस्तृत सुनवाई करेगा। सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान राज सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया। पीठ ने फिलहाल इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया लेकिन बिहार सरकार की अपील की जांच करने पर सहमति जताई। बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से 135000 पदों का रिजल्ट भी फंस गया है।
अभिमन्यु नहीं, अर्जुन है जनता: राहुल
जागरण के अनुसार लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने महाभारत युद्ध में अभिमन्यु को चक्रव्यूह से घेर कर मार देने के रूपक का सहारा लेते हुए कहा कि आज देश कमल आकार के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है जिसे केवल 6 लोग नियंत्रित कर रहे हैं। इस आधुनिक चक्रव्यूह ने नए युवाओं को बेरोजगारी व पेपर लीक में फंसा दिया है। किसान, जवान व श्रमिक से लेकर मध्यम वर्ग तक यानी सभी इस चक्रव्यूह में घिरे हुए हैं। देश में इस चक्रव्यूह के जरिए डर का माहौल पैदा किया जा रहा पर चक्रव्यूह बनाने वालों को गलतफहमी है कि देश के युवा किसान और पिछड़े अभिमन्यु हैं। राहुल ने कहा, यह सभी अभिमन्यु नहीं हैं, अर्जुन हैं, जो उनके चक्रव्यूह को तोड़कर फेंक देंगे।
पटना के 20 हज़ार कोचिंग की जांच
हिन्दुस्तान के अनुसार दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्र-छात्राओं की मौत के बाद पटना में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पटना जिले में चल रहे सभी बड़े-छोटे लगभग 20 हजार कोचिंग संस्थानों की जांच के आदेश दिए गए हैं। सोमवार को जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने अनुमंडल पदाधिकारियों के नेतृत्व में छह टीमें गठित की। जिन बातों की जांच होनी है उनमें यह देखा जाना है कि कोचिंग संस्थान का रजिस्ट्रेशन है या नहीं, संस्थान में आग से बचाव के लिए क्या उपाय हैं। बिल्डिंग में जाने और आने के लिए किस प्रकार के रास्ते हैं, आपदा की स्थिति में भवन से निकलने के लिए क्या व्यवस्था है। कोचिंग संस्थान में कितने छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, यदि भवन में बेसमेंट है तो उसकी क्या स्थिति है।
नीट-यूजी की काउंसलिंग 14 अगस्त से
नीट-यूजी की काउंसलिंग 14 अगस्त से शुरू होगी। मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) ने सोमवार को नोटिस जारी कर ये जानकारी दी। काउंसलिंग प्रक्रिया में देश के करीब 710 मेडिकल कॉलेजों की 1.10 लाख एमबीबीएस सीटों का आवंटन छात्रों को किया जाएगा। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने बताया कि काउंसलिंग प्रक्रिया के लिए पंजीकरण की शुरुआत अगस्त के पहले सप्ताह से संभव है।
उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद’ पर एक और कानून
यूपी में योगी सरकार अब जबरन धर्मपरिवर्तन व लव जेहाद के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने जा रही है। इससे संबंधित ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024’ सोमवार को विधानसभा में पेश कर दिया गया। इसमें पहले से परिभाषित अपराधों में सजा जहां दोगुनी करने का प्रावधान है, वहीं नाबालिग महिला का लव जेहाद के लिए अपहरण करने, उसे बेचने पर आजीवन जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है। यह विधेयक दोनों सदनों से पास करा कर राज्यपाल की मंजूरी को भेजा जाएगा।
कुछ और सुर्खियां
- वैशाली में ट्रक-ऑटो रिक्शा में आमने-सामने की टक्कर, पांच श्रद्धालुओं की मौत
- गाजीपुर के समाजवादी पार्टी सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर ऐक्ट के तहत सुनाई गई 4 साल कैद की सजा हाईकोर्ट ने रद्द की
- पतंजलि आयुर्वेद पर ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में मुंबई हाई कोर्ट ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर 4 करोड़ का जुर्माना लगाया
- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से मिली जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार
- दिल्ली के राव आईएएस सर्कल सहित 20 कोचिंग सेंटर के अवैध बेसमेंट हुए सील
- पुल गिरने पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया बिहार सरकार और एनएचएआई को नोटिस
- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने ग्रहण किया पदभार
- बिहार संपर्क क्रांति का इंजन समस्तीपुर के बाद बोगियां छोड़ आगे निकल, हादसा टला
अनछपी: बिहार में योजनाओं का काम किस हद तक चुनाव की घोषणा से जुड़ा रहता है इसका एक उदाहरण पटना मेट्रो रेलवे और राज्य के दूसरे चार शहरों में मेट्रो के प्रस्ताव में दिखाई जा रही तेजी से मिलता है। चुनाव से साल भर पहले नौकरियों की घोषणा होना तो बिहार में आम बात मानी जाती है लेकिन क्या मेट्रो रेल पर भी इसी तरह की घोषणा का असर होने वाला है? चुनाव के कारण यह तेजी केवल बिहार तक सीमित नहीं है बल्कि भारत के दूसरे राज्यों में भी यही हाल है लेकिन फिलहाल हम बिहार की चर्चा कर रहे हैं। एक दिन पहले यह खबर आई थी कि दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया में मेट्रो रेल की फ़ीजिबिलिटी रिपोर्ट बिहार विधानसभा चुनाव से पहले देने की तैयारी की जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि परियोजनाओं पर अक्सर काम धीमी गति से चलता है लेकिन मेट्रो रेल जैसे संवेदनशील मामले में चुनाव के कारण लाई जा रही तेजी खतरनाक साबित हो सकती है। या यह सवाल हो सकता है कि किसी काम में तेजी लाने के लिए चुनाव का होना जरूरी है? ताजा खबर में बताया गया है कि बिहार सरकार ने 2025 के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पटना मेट्रो के एलिवेटेड प्रायोरिटी कॉरिडोर (मलाही पकड़ी से न्यू आईएसबीटी) पर कम से कम मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन की तैयारी शुरू कर दी है। कई बार चुनाव के कारण कुछ ऐसी घोषणाएं हो जाती हैं जो आम लोगों की भलाई का जरिया बनती हैं लेकिन मेट्रो रेल के काम को इसलिए तेज करना ताकि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ट्रायल रन हो जाए, उचित मालूम नहीं पड़ता। बेहतर होता कि मेट्रो रेल का काम शुरू से अपनी सही गति से चलता और समय पर पूरा होता। इस काम में सुस्ती सही नहीं है लेकिन राजनीतिक कारणों से इसमें तेजी लाना खतरे को बुलावा देने जैसा है। राजनीति से अगर किसी योजना का भला होता है तो बेहतर है लेकिन अगर इसमें जरा भी खतरे का डर है तो राजनीति को दरकिनार करना चाहिए बल्कि ऐसी राजनीति का विरोध करना भी जरूरी है।
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