छ्पी-अनछपी: संसद में धक्का-मुक्की के दोतरफा आरोप, बिहार में होगा एक लाख करोड़ का निवेश

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। डॉक्टर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर संसद में चल रही बहस गुरुवार को धक्का मुक्की तक पहुंच गई और पक्ष-विपक्ष दोनों ने एक दूसरे पर इसका आरोप लगाया। बिहार में उद्योग लगाने के लिए एक लाख करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आने की संभावना है। 24 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ गई है।

आज के अखबारों की यह अहम खबरें है।

भास्कर के अनुसार संसद के नए परिसर में पहली बार सांसदों में धक्का मुक्की और हाथापाई की नौबत आई। मौका डॉ भीमराव अंबेडकर के अपमान पर विरोध प्रदर्शन था। गुरुवार सुबह सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्य संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। विपक्षी सांसद जैसे ही संसद के मकर द्वार पर पहुंचे धक्का मुक्की हुई। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए। दोनों को आईसीयू में भर्ती कराया गया। इन्होंने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने धक्का दिया। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी आरोप लगाया कि उनसे धक्का मुक्की की गई। दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दी है। दिल्ली पुलिस ने देर रात भाजपा सांसद की शिकायत पर राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

भाजपा सांसदों ने हमारा रास्ता रोका: राहुल

संसद में धक्का मुक्की के मामले पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बताया कि सच तो यह है कि वह संसद में प्रवेश कर रहे थे तो भाजपा सांसदों ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की। राहुल गांधी के अनुसार खड़गे जी को धक्का दिया गया। इसी कारण हंगामा हुआ। राहुल ने कहा, संसद में जाना हमारा हक है। “हम शांति से प्रदर्शन कर रहे थे। भाजपा ने मसल पावर दिखाया। मुख्य मुद्दा अदानी है जिस पर भाजपा चर्चा से बच रही है।”

अमित शाह को बर्खास्त किया जाए: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह को बर्खास्त करें। उन्होंने कहा, “हम पर हमला किया गया। मकर द्वार पर रोका गया। गृह मंत्री अमित शाह ने बिना फैक्ट के कल प्रेस वार्ता कर भी झूठी कहा। अब तक भाजपा ने बाबा साहब और पंडित नेहरू के बारे में जो भी कहा है वह सब झूठ है।”

राहुल को क़ानून के उल्लंघन की आदत: अनुराग

संसद में धक्का मुक्की के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी को कानून के उल्लंघन की आदत है। उन्होंने कहा, “एनडीए सांसद मकर द्वार पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। राहुल गांधी की धक्का मुक्की में दो सांसद गिरे। उन्हें चोट आई। घटना के बाद भी राहुल गांधी का अहंकार नहीं टूटा। वे बिना सांसदों से मिले निकल गए।”

सांसदों की धक्का मुक्की से संसद ठप

हिन्दुस्तान के अनुसार संसद के दोनों सदन गुरुवार को बाबा साहेब आंबेडकर पर सियासी संग्राम के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गए। नारेबाजी और हंगामे के बीच पहले दोनों सदनों को दोपहर दो बजे तक स्थगित किया गया, बाद में शुक्रवार सुबह तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई। दोनों सदनों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद आमने-सामने थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 17 दिसंबर को संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर पर दिए बयान को लेकर संसद में लगातार दूसरे दिन हंगामा हुआ। गुरुवार को संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने विरोध मार्च निकाला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में कांग्रेस सहित गठबंधन के कई घटकदलों के सांसदों ने डॉ. आंबेडकर की मूर्ति से मकर द्वार तक प्रदर्शन किया।

बिहार में एक लाख करोड़ के निवेश की उम्मीद

जागरण के अनुसार निवेशकों को सहूलियतों के वादे के साथ गुरुवार को दो दिवसीय बिहार बिजनेस कनेक्ट की शुरुआत हुई। ऊर्जा को ले आयोजित सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएचपीसी ने कहा कि उन्हें जमीन मिली तो बिहार में 5500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने बताया कि शुक्रवार को एक लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग पर साइन होगा। पिछली बार से यह राशि दुगनी है।

किसान नेता की हालत बिगड़ी

प्रभात खबर के अनुसार अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गुरुवार को तबीयत बिगड़ गई। वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़े और उन्हें उल्टियां होने लगीं। पिछले दो दिनों से वह मंच पर भाषण देने में भी असमर्थ थे। इसके चलते तंबू में ही उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है। किसान नेता 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अंशन पर हैं। प्रतिदिन डॉक्टर उनके स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं।

रियल एस्टेट कारोबार में पटना बिहार में अव्वल

हिन्दुस्तान के अनुसार पटना रियल एस्टेट गतिविधियों का मुख्य केंद्र बना हुआ है। वर्ष 2023-24 में रेरा में निबंधित कुल 109 परियोजनाओं में से 64 राजधानी की ही हैं। इसके बाद गया और भागलपुर का स्थान है। सारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर और औरंगाबाद जैसे जिलों में भी रियल एस्टेट क्षेत्र की गतिविधियां चल रही हैं। इनमें से प्रत्येक जिले में एक-एक परियोजना निबंधित की गई है। रेरा की वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। गुरुवार को भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट रेरा की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार कैबिनेट का फैसला: बागमती, महानंदा और कमला नदी पर बनेगा बैराज
  • राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस खारिज
  • 638 करोड़ रुपये की लागत से बिहार की 5671 पंचायतों में बनेंगे 6659 खेल मैदान
  • बीपीएससी पीटी: बापू सेंटर की रद्द परीक्षा 4 जनवरी को होगी, हंगामा करने के मामले में एक गिरफ्तार
  • लगातार लुढ़कता हुआ सेंसेक्स 964 अंक गिरकर 80000 अंक के नीचे आया

अनछपी: बिहार में नौकरी देने के नाम पर अच्छी राजनीति होती है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने-अपने दौर में दी जाने वाली नौकरियों के बारे में दावे करते रहते हैं। जो नौकरियां दी जाती हैं उसका तो खूब प्रचार होता है लेकिन जो पद खाली रह जाते हैं उसकी चर्चा कम ही होती है। उदाहरण के लिए बिहार में इंजीनियरों और डॉक्टरों के काफी पद खाली हैं लेकिन इसकी चर्चा कम होती है। अब एक ताजा रिपोर्ट विधि विभाग से आई है जिसमें पता चला है कि बिहार की निचली अदालतों में 483 पोस्ट खाली हैं। यह बात समझना मुश्किल नहीं है कि जजों की संख्या कम होने से अदालतों पर मुकदमों का भार बढ़ता है और इससे लोगों को सही समय पर न्याय मिलने में दिक्कत होती है। ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि निचली अदालतों में एक जज पर औसत 2344 केस को निपटाने का भार होता है। फिलहाल जिला और उसकी निचली अदालत में 36 लाख से अधिक मुकदमे सुनवाई के लिए पड़े हुए हैं। वकील संघों का कहना है कि एक साल में लंबित मुकदमों की संख्या लगभग एक लाख बढ़ जाती है। ध्यान रहे कि जो पद खाली हैं वह बहुत पहले मंजूर किए गए हैं और ताजा जरूरत के हिसाब से कितने जजों की जरूरत है इसका तो कोई हिसाब भी नहीं लगाया गया है। बिहार में हाई कोर्ट से नीचे की अदालत में जजों के स्वीकृत पद की संख्या 2019 है और फिलहाल 1536 जज कम कर रहे हैं। इस तरह 483 पोस्ट खाली हैं। वैसे तो पटना हाई कोर्ट में भी जजों के स्वीकृत 53 पोस्ट की 35 जज ही बहाल हैं और 18 पोस्ट खाली हैं लेकिन वहां नियुक्ति का मामला थोड़ा अलग होता है। फिलहाल बिहार सरकार के लिए जरूरी है कि निचली अदालतों की जो बहाली बीपीएससी के जरिए होती है उसे जल्द से जल्द कराए। इसके अलावा इसका भी जायजा लेना चाहिए कि इतने सालों के बीतने के बाद बिहार में जजों की वास्तविक आवश्यकता क्या है और उस हिसाब से भी बहाली के बारे में सोचा जाना चाहिए।

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