छ्पी-अनछपी: संविधान हत्या दिवस की घोषणा पर सवाल, नेपाल में प्रचंड की सरकार गिरी
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है जिस पर कई विपक्षी नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने विश्वास मत में नाकाम होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बिहार के 31 जिलों में नए औद्योगिक क्षेत्र बनाने की घोषणा की गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी के केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है लेकिन अभी वह सीबीआई के केस में जेल में ही रहेंगे। यह है आज के अखबारों की प्रमुख खबरें।
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर के अनुसार आपातकाल लागू किए जाने का दिन 25 जून अब हर साल संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा। गृह मंत्रालय ने इसके लिए जरूरी अधिसूचना जारी कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे कांग्रेस द्वारा थोपी गई इमरजेंसी के दौरान अत्याचार सहने वाले हर व्यक्ति के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि बताया। ध्यान देने की बात है कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी ने भाजपा पर संविधान बदलने का आरोप लगाया था और वह सभी सभाओं में संविधान की रक्षा के प्रण के साथ ही उसकी कॉपी लेकर जाते थे।
“10 वर्षों से हर दिन संविधान हत्या दिवस”
25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने के मोदी सरकार के फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पलटवार करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में इस सरकार ने हर दिन संविधान हत्या दिवस ही तो मनाया है। उन्होंने कहा, “आपने देश के हर गरीब व वंचित तबके से हर पल उसका आत्मसम्मान छीना है।” उन्होंने मध्य प्रदेश में आदिवासियों के अपमान, हाथरस में दलित बेटी की जबरिया अंतिम संस्कार जैसे मुद्दे उठाये और पूछा कि यह संविधान की हत्या नहीं है तो और क्या है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती हैं। उन्होंने कहा कि संविधान जैसे पवित्र शब्द के साथ हत्या जैसे शब्द जोड़कर भारतीय जनता पार्टी ने बाबा साहेब का अपमान किया है। राजद सांसद मनोज कुमार झा ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने संविधान को तहस-नहस करके रख दिया है।
नेपाल की प्रचंड सरकार गिरी
प्रभात खबर के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ शुक्रवार को संसद में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ देर बाद नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। पिछले सप्ताह उनकी सरकार से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट) ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। इस घटनाक्रम के बाद पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया। देश की 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में 69 वर्षीय प्रचंड को 63 वोट मिले जबकि विश्वास मत प्रस्ताव के विरोध में 194 वोट पड़े।
31 ज़िलों में नए औद्योगिक क्षेत्र
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार के 31 जिलों में नए औद्योगिक क्षेत्र बनेंगे। इसके अलावा विभिन्न विभागों में 748 नए पद सृजित किए गए हैं। सभी 534 प्रखंडों में डाटा इंट्री ऑपरेटर बहाल करने का भी निर्णय लिया गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 48 प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस समय बियाडा के अंतर्गत नौ क्लस्टर और 84 औद्योगिक क्षेत्र तथा औद्योगिक विकास केन्द्र हैं। इनमें 7592 एकड़ जमीन हैं। वर्तमान में लगभग 1861.03 एकड़ भूमि आवंटन के लिए शेष हैं। अनेक औद्योगिक क्षेत्र जैसे पटना बिहटा, मुजफ्फरपुर में आवंटन के लिए काफी कम भूमि बची है। सात जिलों अरवल, जमुई, कैमूर, सारण, शिवहर, शेखपुरा और बांका में औद्योगिक क्षेत्र की भूमि नहीं है। प्रभात खबर के अनुसार हार्डिंग पार्क की जमीन रेलवे को देने का फैसला हुआ है जिसमें स्टेशन और प्लेटफार्म बनेंगे।
अरविंद केजरीवाल को जमानत, रिहाई नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि जमानत के बाद भी केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि सीबीआई ने घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 जुलाई तक बढ़ा दी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। केजरीवाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष पेश किया गया।
नेपाल की दो बसें नदी में बहीं, 65 लापता
प्रभात खबर के अनुसार नेपाल के चितवन जिले में शुक्रवार की सुबह बड़े भूस्खलन की चपेट में आकर दो यात्री बसें त्रिशूली नदी में बह गईं। दोनों बसों में लगभग 65 यात्री सवार थे। चितवन के जिलाधिकारी ने बताया कि रक्सौल के सीमावर्ती शहर वीरगंज से नेपाल की राजधानी काठमांडू के लिए जा रही और काठमांडू से बैरगनिया के पास के गौर शहर जा रही बस भूस्खलन की चपेट में आ गई। इसके बाद से बस और उसमें सवार यात्रियों का कोई अता-पता नहीं है।
सर्वर ठप रहने से रेल टिकट का काम घंटों ठप
हिन्दुस्तान के अनुसार पूर्व-मध्य रेल (हाजीपुर जोन) के साथ पूर्व रेलवे (कोलकाता जोन) का सर्वर शुक्रवार को छह घंटे तक ठप रहा। इससे बिहार समेत चार राज्यों में आरक्षित टिकट लेने वाले यात्री हलकान रहे। सुबह 4.55 बजे से पूर्वाह्न 11.15 बजे तक दोनों जोन का आरक्षित टिकट सर्वर ठप रहा। इस दौरान आरक्षित टिकट ऑनलाइन या ऑफलाइन नहीं कटा। हालांकि सामान्य टिकट में कोई परेशानी नहीं हुई। लिंक फेल होने से ट्रेनों में टिकट जांच करने में टीटीई को भी परेशानी हुई। बिहार के सभी स्टेशन पूर्व मध्य रेलवे और ईस्टर्न रेलवे के अधीन आते हैं। इन दोनों जोन का सर्वर कोलकाता में है। कोलकाता मुख्यालय के सर्वर में ही तकनीकी समस्या आने से बिहार, बंगाल, यूपी और झारखंड के स्टेशनों पर लिंक फेल रहा।
कुछ और सुर्खियां
- सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की सरकार से कहा- शंभू बॉर्डर खोलें, किसान आंदोलन के समय से बंद किया गया था बॉर्डर
- नीट यूजी पेपर लीक मामले में किंगपिन संजीव मुखिया की तलाश में छापेमारी
- नीट: हाई कोर्ट के आदेश पर जेल में बंद 13 आरोपियों का रिमांड सीबीआई को मिला
- रुपौली विधानसभा उपचुनाव की मतगणना आज
- पश्चिम चंपारण में वाल्मीकिनगर गंडक बराज के सभी फाटक खोले गए, नदियां उफनाईं
- महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में 11 में 9 सीटें एनडीए को, कांग्रेस विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग
- 188 टेस्ट में 704 विकेट लेकर 41 वर्ष के इंग्लैंड के क्रिकेटर जेम्स एंडरसन का संन्यास
- खुदरा महंगाई दर 4 महीने में सबसे ज्यादा
अनछपी: भारत में 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया था। इसके बाद बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे लेकिन उन्हें तब इसका ख्याल नहीं आया कि इमरजेंसी लागू करने वाले दिन को विशेष रूप से याद किया जाए। अगले वर्ष इमरजेंसी के 50 साल हो जाएंगे तो सरकार कह सकती है कि उसने दरअसल 50 वर्ष पूरे होने पर संविधान हत्या दिवस मनाने का फैसला किया है। दूसरी और एक राय यह भी है कि पिछले कई महीनों से कांग्रेस पार्टी और उसके नेता विशेष कर राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार पर संविधान बदलने का जो लगातार आरोप लगाया उससे विचलित होकर मोदी सरकार ने यह फैसला किया है। ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने अपने आप यह आरोप लगाना शुरू कर दिया था बल्कि भारतीय जनता पार्टी के ही कुछ नेताओं ने यह कहना शुरू किया था कि उन्हें इस बार 400 से अधिक सीटें चाहिए ताकि संविधान बदला जा सके। नरेंद्र मोदी अपनी तुकबंदियों के लिए जाने जाते हैं लेकिन संविधान के साथ हत्या शब्द का प्रयोग किसी को भी अच्छा नहीं लग सकता है। हत्या जैसे नकारात्मक शब्दों की जगह पर इसका नाम ‘लोकतंत्र बचाओ’, ‘संविधान बचाओ’ दिवस रखा जा सकता था। विपक्ष का यह भी कहना है कि दरअसल मोदी सरकार सुर्खियां बटोरने के लिए ऐसे दिवस मनाने की घोषणा करती है। सवाल यह है कि क्या सुर्खियां बटोरने और तुकबंदियों से मोदी सरकार के ऊपर लगा वह आरोप हट जाएगा जिसमें कहा जाता है कि उसने संविधान का उल्लंघन कर कई लोगों के साथ ज्यादती की है। उदाहरण के लिए कश्मीर में पिछले 5 सालों से कोई चुनी हुई सरकार नहीं है और हालांकि अब कहा जा रहा है कि वहां चुनाव हो सकते हैं लेकिन क्या यह संविधान के अनुरूप है कि कोई राज्य इतने लंबे समय तक बिना चुन हुए सरकार के चले? इसी तरह मणिपुर में डबल इंजन की सरकार रहते हुए एक साल से अधिक समय से हिंसा फैली हुई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभा रही है? इसी तरह खालिद उमर जैसे बहुत से लोगों को लंबे समय से कैद में डाले रखना क्या संविधान की धज्जी उड़ाना नहीं है? मोदी सरकार को संविधान हत्या दिवस को कोई और नाम देने पर विचार करना चाहिए।
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