छ्पी-अनछपी: 100 करोड़ के फर्जीवाड़ा में महुआ ग्रुप पर छापा, ट्रंप की धमकी से शेयर बाजार सहमा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुजफ्फरपुर की नन बैंकिंग कंपनी में 100 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा के मामले में छापे पड़े हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणा से शेयर बाजार सहम गया है। छत्तीसगढ़ में पुलिस ने 27 नक्सलियों को मारने का दावा किया है। तुर्की के एक होटल में आग लगने से 66 लोगों की मौत हो गई है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कैबिनेट छोड़ने की बात कह कर बाद में सफाई दी है।

यह है आज के अखबारों की अहम खबरें।

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार फर्जी नन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत महुआ ग्रुप आफ कंपनी में हुए फर्जीवाड़ा मामले में इसके संचालक जवाहरलाल शाह को मुजफ्फरपुर से सोमवार की देर रात गिरफ्तार किया गया। इससे पहले ईडी ने इस कंपनी से जुड़े चार ठिकानों- पटना में दो स्थान और दिल्ली व दार्जिलिंग में एक-एक स्थान पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद किए गए। ईडी को अब तक की जांच में करीब 100 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़ा का पता चला है। सूत्रों का कहना है कि महुआ ग्रुप आफ कंपनी के प्रमुख संचालकों में शामिल जवाहरलाल पहले सहारा इंडिया कंपनी में काम करते थे। कुछ वर्ष पहले वहां से नौकरी छोड़कर उन्होंने महुआ कंपनी की शुरुआत की पूर्ण राम इसके बाद इस कंपनी में बड़ी संख्या में लोगों से विभिन्न तरह की फर्जी योजनाओं के माध्यम से निवेश कराए। इस कंपनी का मुख्यालय मुजफ्फरपुर में बनाया गया। कुछ वर्षों तक निवेश कराने के बाद यह नन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी अचानक अपना शटर बंद करके फरार हो गई।

ट्रंप की घोषणा से शेयर बाजार में हड़कंप

जागरण के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से आयात पर ज्यादा टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के कारण मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में डेढ़ प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट रही। सभी सेक्टर में हुई बिकवाली के चलते बीएससी का मानक सूचकांक (सेंसेक्स) 1235 अंक की गिरावट के साथ 75838 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 1431 अंक गिरकर 75641 के निचले स्तर तक पहुंचा था। शेयर बाजारों की इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में 7.52 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है।

ग़ैर अमेरिकियों के बच्चों को जन्म के आधार पर नहीं मिलेगी अमेरिका की नागरिकता

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार अमेरिका के नए राष्ट्रपति का पद संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप ने ताबड़तोड़ 78 फैसले लिये। उन्होंने कार्यकारी आदेश जारी कर गैर अमेरिकियों के बच्चों को जन्म के आधार पर मिलने वाली अमेरिकी नागरिकता के प्रावधानों में बदलाव कर दिया। इस आदेश से वहां रह रहे कम से कम दस लाख भारतीयों के प्रभावित होने की आशंका है। ट्रंप ने सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद जो महत्वपूर्ण फैसले लिये उनमें डब्ल्यूएचओ से अमेरिका का हटना, पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होना और यूक्रेन समेत कई देशों की आर्थिक मदद रोकना शामिल है। नये नियम में गैर अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को नागरिकता तभी मिलेगी जब माता-पिता में से एक अमेरिकी नागरिक हो, ग्रीन कार्ड धारक हो या अमेरिकी सेना में हो। अभी अमेरिका में जन्म ही उसे नागरिकता देने के लिए काफी है। यदि माता-पिता अवैध तरीके से भी रह रहे हों तो भी बच्चे को नागरिकता मिलती है।

छत्तीसगढ़ में 27 नक्सलियों को मारने का दावा

भास्कर के अनुसार छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच तीन दिन से चल रहे संयुक्त ऑपरेशन में 27 नक्सलियों के मारे जाने की सूचना है। 14 शव बरामद कर लिए गए हैं। इनमें एक-एक करोड़ रुपए के दो बड़े नक्सली इनामी के शव भी हैं। ओडिशा पुलिस ने भी अपने इलाके में नक्सलियों के 13 शव बरामद करने का दावा किया है। रविवार को कुछ बड़े नक्सलियों के ओडिशा सीमा में से 5 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कुलारी घाट रिजर्व में छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप समेत सीआरपीएफ के 1000 जवान लगाए गए।

तुर्की के होटल में आग से 66 की मौत

प्रभात खबर के अनुसार उत्तर पश्चिमी तुर्की के इसकी रिसॉर्ट में एक होटल में मंगलवार को आग लगने से कम से कम 66 लोगों की मौत हो गई। तुर्किये के गृह मंत्री ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इसमें कम से कम 51 अन्य लोग घायल हुए हैं। गृह मंत्री येरलिकाया ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों से कहा, इस घटना से हम बहुत दुखी हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्री केमल मेमिसोगलु ने बताया कि घायलों में से कम से कम एक की हालत गंभीर है। घटना के बारे में बताया जाता है कि रिसॉर्ट में 12 मंजिला ग्रैंड कारतल होटल के रेस्तरां में सुबह 3:30 पर आग लग गई।

जीतन मांझी का कैबिनेट छोड़ने का बयान और सफाई

हिन्दुस्तान के अनुसार हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने एनडीए में अपनी पार्टी की अनदेखी पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि बिहार में उन्हें नजरअंदाज किया तो कैबिनेट छोड़ सकते हैं। श्री मांझी मुंगेर व जमालपुर क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने मंगलवार को पहुंचे थे। हालांकि उनकी पार्टी ने उनके बयान पर सफाई दी है। कार्यकर्ता सम्मेलन में श्री मांझी ने कहा, “हम किसी से कम नहीं और 20 सीटों से नीचे दम नहीं’ के नारों के साथ बिहार में अपनी चट्टानी एकता का परिचय दे रहे हैं। झारखंड और दिल्ली की तरह बिहार में एनडीए मेरी पार्टी को नजरअंदाज न करे। भीड़ हमारे साथ है। उसके आधार पर सीट मिले। हम फरियाना नहीं कहना चाहते हैं। बात आगे बढ़ती है तो लगता है हमको कैबिनेट छोड़ना पड़ेगा।” इस बारे में उनकी पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि श्री मांझी ने केंद्रीय कैबिनेट की बैठक छोड़ने की बात कही थी। कुछ लोग भ्रमवश कैबिनेट से इस्तीफे की बात फैला रहे हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • हमले के 5 दिन बाद अस्पताल से घर लौटे फिल्म अभिनेता सैफ अली खान
  • ठंड को देखते हुए पटना में आठवीं क्लास तक के लिए स्कूल 23 जनवरी तक बंद
  • किशनगंज और ठाकुरगंज के बीच महानंदा नदी पर बनेगा पुल: नीतीश कुमार
  • इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर जमीन खिसकने और बाढ़ से 17 लोगों की मौत
  • लखीसराय में चलती ट्रेन में युवक की गोली मारकर हत्या
  • गोपालगंज जिले के हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल परिसर से सटी नवनिर्मित चार दिवारी के गिरने से दो लोगों की मौत
  • हमास के हमले रोकने में अपनी नाकामी की जिम्मेदारी लेते हुए इसराइली सेना प्रमुख ने इस्तीफा दिया

अनछपी: फलस्तीन के ग़ज़ा में इसराइल के हमले युद्धविराम समझौते के बाद कुछ हद तक रुके हैं लेकिन वहां जो तबाही इसराइल ने मचाई है उसका अंदाज़ा लगाना बाहर के लोगों के लिए बहुत मुश्किल है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ग़ज़ा में युद्ध के बाद का मलबा साफ करने में 21 साल लग सकते हैं और इस काम पर 1.2 अरब डॉलर का खर्च आएगा। इस मलबे में एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व भी हैं जो आने वाले कई सालों तक लोगों की सेहत पर बेहद खराब असर डालेंगे। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी का कहना है कि इसराइल की मचाई तबाही से ग़ज़ा 70 साल पीछे चला गया है। इसके अलावा ग़ज़ा में एक और भयानक बात यह है कि वहां अब भी हजारों लोगों की लाशें मलबे में दबी मिल रही हैं। ग़ज़ा की नागरिक इमरजेंसी सर्विस के प्रवक्ता मोहम्मद बासिल का कहना है कि अभी 10 हज़ार शहीदों की लाश मलबे में दबी होने की आशंका है। लगभग 3000 लाश तो इस तरह से गल गई हैं कि उनकी कोई पहचान नहीं बची है। याद रहे कि इसराइल के हमले में कम से कम ग़ज़ा में 46 हज़ार लोगों की मौत हुई है। इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। याद रखने की बात यह भी है कि इस समय दुनिया को अमेरिका चला रहा है और ग़ज़ा की इस तबाही का सबसे बड़ा जिम्मेदार उसे ही माना जाना चाहिए। इंसाफ का तकाजा तो यह था कि ग़ज़ा के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिका और इसराइल से हर्जाना मांगा जाए। लेकिन इन दोनों देशों की दादागिरी चलती है और उनसे इसकी कोई उम्मीद नहीं करता। अमेरिका जरूर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए कुछ मदद की घोषणा कर सकता है लेकिन इससे ग़ज़ा का उद्धार नहीं हो सकता। ऐसे में उम्मीद है कि यूरोप के वह देश जिन्हें मानवता की चिंता है, वह जरूर ग़ज़ा की मदद के लिए आगे आएंगे। उम्मीद तो मध्य पूर्व के मुस्लिम देशों से भी की जा सकती थी लेकिन उनका रवैया बेहद निराशाजनक रहा है। इस युद्ध की शुरुआत से पहले तो यह चर्चा चल रही थी कि सऊदी अरब इसराइल के साथ अपने राजनयिक संबंध बनाने को आतुर है लेकिन उसके हमले के बाद ऐसा नहीं हुआ। फिर भी सऊदी अरब और दूसरे अरब देश ग़ज़ा के पुनर्निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। चिंता की एक बात और यह है कि अगर ग़ज़ा के पुनर्निर्माण की शुरुआत भी होती है तो क्या इसराइल दोबारा वहां बमबारी नहीं करेगा? दुनिया की यह जिम्मेदारी है कि बेसहारा फलस्तीनियों को इसराइल के आक्रामक रवैया से बचाया जाए।

 470 total views

Share Now