छपी-अनछपी: कर्नाटक में विपक्ष का जुटान, 2 हज़ार के नोट जमा करने में पब्लिक परेशान

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष के दिग्गज नेताओं का जुटान हुआ। ₹2000 के नोट को वापस लेने के आरबीआई के फैसले के बाद आम लोग इसे बैंकों में या दूसरी जगहों पर खपाने में परेशान हैं। आज के अखबारों की यह दो अहम खबरें हैं। इसके अलावा यह खबर भी पहले पेज पर है कि हिरोशिमा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी को शांति के लिए कोशिश करने का भरोसा दिलाया है।

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है; सिद्धारमैया ने ली शपथ, नीतीश भी पहुंचे, दिया एकजुटता का संदेश। अखबार लिखता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। डीके शिवकुमार ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जी. परमेश्वर, एम.बी पाटिल, मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे, वरिष्ठ नेता केएच मुनियप्पा, के.जे जॉर्ज, सतीश जार्कीहोली, रामालिंगा रेड्डी और बी. जेड जमीर अहमद खान ने मंत्री पद की शपथ ली।

कांग्रेस ने इस समारोह के माध्यम से विपक्षी एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, बिहार के सीएम व डिप्टी सीएम नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस समारोह में शिरकत की।

पांच गारंटी पर कैबिनेट की मुहर

हिन्दुस्तान ने देश विदेश पेज पर लीड लगाई है: कैबिनेट की पहली बैठक में पांच गारंटी को मंजूरी। बेंगलुरु में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण के कुछ देर बाद शनिवार को मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव में दी गई पांच गारंटी को लागू करने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई। सिद्धारमैया ने कहा कि शुरुआती अनुमानों से संकेत मिलता है कि पांचों गारंटी पर सरकारी खजाने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम वादों से पीछे नहीं हटेंगे। 22 मई से तीन दिनों के लिए विधानसभा सत्र बुलाया जाएगा।

किस्सा 2000 के नोट का

भास्कर ने पहले पेज पर बॉटम स्टोरी दी है: गुजरात के पेट्रोल पंप पर 3 गुना आए 2 हज़ार के नोट, लोग इन नोटों के साथ पुराना टैक्स जमा करने पहुंच रहे। ₹2000 के नोट चलन से बाहर होंगे, आरबीआई की इस घोषणा के बाद लोगों ने अपने नोट बाजार में खपाने शुरू कर दिए हैं। ज्वेलरी से लेकर किराना स्टोर तक लोग दो हज़ार के नोट लेकर पहुंच रहे हैं। कुछ व्यापारी इन नोटों को लेने में कतरा रहे हैं। वहीं कुछ लोगों ने इसमें भी नए अवसर तलाशने शुरू कर दिए हैं। गुजरात के पालनपुर के शिमला गेट क्षेत्र स्थित किराना स्टोर से जुड़े लोगों ने कहा 2000 के नोट का स्वागत है बशर्ते आप पूरी धनराशि का सामान खरीदें। यहां पेट्रोल पंपों पर भी बड़ी तादाद में 2000 के नोट पहुंचे। सूरत के पेट्रोल पंप मालिक सुरेश देसाई ने बताया कि पहले 2000 की एक गड्डी बमुश्किल आती थी लेकिन आरबीआई के ऐलान के बाद एक दिन में ढाई गड्डी आ गई। इधर रेलवे ने 2000 के 5 नोट से ज्यादा लाने पर पहचान पत्र की मांग की है।

बिहार में कितने दो हज़ार के नोट?

जागरण की खबर है: बिहार में चलन में हैं: 12000 करोड मूल्य के 2000 के नोट। बैंक अधिकारियों के अनुसार देश भर में 4 लाख करोड़ रुपए के बराबर 2000 के नोट चलन में हैं। इसमें बिहार में लगभग 10-12 हजार करोड़ रुपये के 2000 के नोट होने का अनुमान है। बैंकरों की मानें तो बिहार झारखंड में 2000 के अधिक नोट शहरों में पेट्रोल पंप, प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डर व उद्योगपतियों द्वारा जमा कराने की उम्मीद है। इस बीच कई जगह से यह खबर आ रही है कि खुदरा व्यापारी 2000 के नोट लेने से इंकार कर रहे हैं।

मोदी का यूक्रेन को भरोसा

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: मोदी ने दिया भरोसा, यूक्रेन संकट के समाधान को हर संभव कोशिश करेंगे। अखबार लिखता है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को भरोसा दिया है कि यूक्रेन संकट के समाधान के लिए जो भी संभव होगा वह कोशिश की जाएगी। G7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए हिरोशिमा पहुंचे मोदी और जेलेंस्की के बीच यह पहली मुलाकात है। फरवरी 2022 में रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले के बाद दोनों नेताओं के बीच कई बार टेलीफोन पर बातचीत हुई है।

घर में बाघ

भास्कर ने पहले पेज पर खबर दी है: बेतिया के एक घर में घुसा बाघ 7 घंटे के बाद ट्रेंकुलाइज कर किया गया रेस्क्यू। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के मंगूरहा जंगल से भटक कर नया टोला रुपवालिया गांव के कमलेश उरांव के घर में घुसे बाघ को 7 घंटे बाद रेस्क्यू किया गया। बाघ सुबह करीब 5:00 बजे बाद घर में घुस गया। घर में मौजूद महिला अपने तीन बच्चों के साथ बाहर निकली और उन्होंने शोर मचाया। देखते ही देखते वहां भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुरक्षा के मद्देनजर कई थानों की पुलिस और एसएसबी को भी घटनास्थल पर बुलाया गया। डीएफओ ने बताया कि बाघ को मोतियाबिंद है। वह शिकार करने में सक्षम नहीं है। भोजन और सुरक्षित ठिकाने की तलाश में वह भटक कर नवका टोला में पहुंच गया था।

कुछ और सुर्खियां

  • राज्य भर में मिट्टी के छह लाख नमूनों की जांच होगी
  • दिल्ली सरकार में ट्रांसफर पोस्टिंग के फैसले पर केंद्र सुप्रीम कोर्ट गया, अध्यादेश के खिलाफ ‘आप’ सरकार भी जाएगी अदालत
  • केंद्र की उपलब्धियां बताने को महा अभियान चलाएगी भाजपा
  • पाकिस्तान में आर्मी कोर्ट में केस चलाने को सरकार की मिली मंजूरी
  • राज्यों को सेंट्रल पूल से एक दर पर बिजली, फायदे में रहेगा बिहार
  • कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर दंगा भड़काने,  हत्या के आरोप गठित
  • लालू प्रसाद का पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए सीबीआई अदालत से रिलीज
  • हादसों के बाद मिग-21 की उड़ानों पर रोक

अनछपी: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे विपक्ष के नेताओं की एकता अभी पूरी नहीं लगती है। इस समारोह में कई प्रमुख राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शामिल नहीं होने से भाजपा विरोधी विपक्ष की एकजुटता को अधूरा ही माना जा सकता है। यह जरूर है कि यहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे और उनके साथ नेताओं की तस्वीर भी देखने को मिली। विपक्षी एकता की एक कोशिश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक चुनौती है। भाजपा विरोधी गैर कांग्रेसी नेताओं के बारे में यह कहा जाता है कि उन्हें सीबीआई ईडी और दूसरी केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में रखा जा रहा है जिसके कारण वे विपक्ष की एकता की कोशिशों में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि इन नेताओं को कांग्रेस के साथ जाने में काफी हिचक है और उन्हें लगता है कि कांग्रेस के साथ जाने पर उनका अपना जनाधार कमजोर होगा। कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय दल होने के नाते हर जगह अपना वर्चस्व चाहती है लेकिन उसे इस हकीकत का भी सामना करना पड़ेगा कि वह कई प्रदेशों में बिल्कुल कमजोर है और वहां उसके लिए स्थानीय दलों के साथ समझौता करने में ही भलाई है। ऐसे में नीतीश कुमार की भूमिका बहुत अहम हो जाती है क्योंकि वह एक ऐसे वरिष्ठ नेता है जो कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों के बीच सेतु का काम कर सकते हैं। 2024 के चुनाव के लिए अब बहुत दिन नहीं बचे हैं और नीतीश कुमार व कांग्रेस अपनी इस कोशिश में जितनी तेजी लाएंगे उन्हें उसका लाभ मिलेगा।

 

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