छपी-अनछपी: केजरीवाल से फिर मिलने के बाद बोले नीतीश- हक़ छीनना गलत, भाजपा नेता ने धमकियों के बाद मुस्लिम के साथ बेटी की शादी रद्द की

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद कहा है कि निर्वाचित सरकार का हक छीनना गलत है। इस खबर को पहले पेज पर पहली जगह मिली है। उत्तराखंड के एक भाजपा नेता ने धमकियों के बाद एक मुस्लिम के साथ अपनी बेटी की शादी रद्द कर दी है। इस चर्चित खबर को कोई ख़ास जगह नहीं मिली है। ₹2000 के नोट के बारे में अब यह ज़रूरी खबर है कि इसे बिना पहचान पत्र दिखाए बदला  जा सकेगा।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: केंद्र के अन्याय के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे, चलाएंगे अभियान: मुख्यमंत्री। भास्कर ने लिखा है: 40 दिन में दूसरी बार केजरीवाल से मिले नीतीश; बोले- चुनी हुई सरकार के साथ हुआ अन्याय, अब विपक्षी एका और जरूरी। हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर भी यही है: निर्वाचित सरकार का हक छीनना गलत: नीतीश। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिले। विपक्षी एकजुटता को लेकर यह दोनों नेताओं के बीच तकरीबन सवा महीने में दूसरी मुलाकात थी। नीतीश कुमार ने कहा कि एक निर्वाचित सरकार को दी गई शक्तियां कैसे छीनी जा सकती हैं। यह गलत है, संविधान के खिलाफ है। हम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं। हम देश के सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अध्यादेश लाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। कहा कि संविधान का अध्ययन करें और देखें कि क्या सही है।

एक शादी के रद्द होने की कहानी

भास्कर की एक छोटी सी ख़बर है: उत्तराखंड: विरोध पर भाजपा नेता ने मुस्लिम से बेटी की शादी रद्द की। उत्तराखंड में भाजपा नेता यशपाल बेनाम ने मुस्लिम युवक से अपनी बेटी की 28 मई को होने जा रही शादी रद्द कर दी है। शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने इस शादी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। हिंदूवादी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बीच पौड़ी के नगरपालिका अध्यक्ष और पूर्व विधायक यशपाल ने शादी रद्द करने की जानकारी दी है। यशपाल बेनाम की बेटी की शादी अमेठी के एक मुस्लिम लड़के से हो रही है। इसमें दोनों परिवार की रजामंदी है और पौड़ी में 25, 26 व 27 मई को शादी के कार्यक्रम रखे गए थे। यशपाल ने शुरू में यह दलील दी थी कि अब 21वीं सदी का जमाना है और ऐसी शादियों को नहीं रोका जा सकता।

नोट बदलने के लिए पहचान पत्र ज़रूरी नहीं

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: सुविधा: 2000 के नोट बिना पहचान पत्र बदलवा सकेंगे। हाल में चलन से वापस लिए गए 2,000 रुपये के अधिकतम 10 नोटों को बदलने के लिए किसी फॉर्म या पहचान पत्र की जरूरत नहीं है। एसबीआई ने अपने सभी प्रधान कार्यालयों को पत्र लिखकर कहा है कि जनता को एक बार में कुल 20,000 रुपये तक के 2,000 रुपये के नोटों को बदलने के लिए किसी फॉर्म की जरूरत नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी। नोटों को बदलने के लिए जनता को 30 सितंबर तक का समय दिया गया है।

कबाड़ में किताब

जागरण में खबर है: कबाड़ में बिक गईं पूर्णिया व रोहतास के बच्चों की किताबें। प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त पुस्तक देने की सरकारी योजना पर ग्रहण लगने लगा है। रविवार को पूर्णिया शहर की कबाड़ दुकान से बड़ी संख्या में पुस्तकें बरामद की गई हैं। इन पुस्तकों को रोहतास व पूर्णिया के सरकारी स्कूल में दिया जाना था। रद्दी के भाव बेच दी गई ये किताबें कबाड़ दुकानदार द्वारा बाहर भेजी जा रही थीं, इसी दौरान छापेमारी हो गई। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में डोनर चौक के कबाड़ खाने में खजांची हाट थाना पुलिस ने छापेमारी कर कबाड़ी संचालक अशफाक आलम के साथ जिले के केनगर प्रखंड संसाधन केंद्र (बीआरसी) के अनुसेवक मोहम्मद शकील को भी गिरफ्तार किया है।

हवाई यात्रा का बाजार

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: विमान यात्री बढ़ रहे पर कंपनियां घट रही, 81% बाजार पर सिर्फ दो काबिज़। अखबार लिखता है कि घरेलू मार्गों पर 81% से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी इंडिगो और टाटा समूह की है। बाकी 19% में से भी करीब 15% हिस्सेदारी दो कंपनियों की है। इनमें से एक गो फर्स्ट का ऑपरेशन बंद हो गया है और स्पाइसजेट की हालत भी ठीक नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू एविएशन सेक्टर डूओपॉली की तरफ बढ़ रहा है मतलब बाजार में दो कंपनियों या समूह का ही दबदबा रहेगा

कुछ और सुर्खियां

  • बोधगया में बीएमपी जवान ने साथी को मारी गोली, मौत
  • 30 लाख का झारखंड का इनामी नक्सली दिनेश नेपाल से गिरफ्तार
  • अल सल्वाडोर में फुटबॉल मैच के दौरान भगदड़, 12 की मौत
  • 2019 का लोकसभा चुनाव हमारे जवानों के शवों पर लड़ा गया था: सत्यपाल मलिक
  • एनआईए कस्टडी से भागा गांधी मैदान ब्लास्ट का आरोपी महरे आलम दरभंगा से गिरफ्तार
  • हिंदू राष्ट्र की बात करना संविधान विरोधी: दीपंकर

अनछपी: पूर्णिया में सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त दी जाने वाली ढाई हजार से ज्यादा किताबें कबाड़ खाने से ज़ब्त की गई है जो पहली से तीसरी क्लास के बच्चों के लिए अलग-अलग सेट में थीं। एक तरफ स्कूलों में बच्चों को सही वक्त पर किताबें नहीं मिलती हैं तो दूसरी तरफ ये किताबें महज ₹6000 में बेच दी गई थीं। यह तो इत्तेफाक की बात है कि ट्रैक्टर ट्रॉली पर पुस्तक लोड होते देख अधिकारियों ने तत्काल इसकी खबर पुलिस को दी। अगर इसकी जानकारी नहीं होती तो यह मामला दब ही जाता। ताज्जुब की बात यह है कि रोहतास जिले की पुस्तक पूर्णिया कैसे पहुंच गईं? बरामद किताबों में 5 पैकेट में 40 सेट पुस्तके रोहतास की थी जबकि 280 सेट पुस्तकें पूर्णिया जिले की थीं। पुस्तकों की इस बरामदगी को महज एक जिले का मामला ना मानकर पूरे बिहार में इसकी जांच पड़ताल होनी चाहिए कि आखिर और किन-किन जगहों पर सरकारी किताबें इस तरह कबाड़खाने में भेज दी गई हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों और बिहार टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन के लोगों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह पहले तो समय पर किताबेन बच्चों तक पहुंचाने की कोशिश करें। दूसरा काम यह है कि जिन जगहों पर बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिल पाते उसके कारण का पता लगाया जाए। इस बरामदगी के मामले को गंभीरता से देखा जाए तो इसमें कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आ सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस मामले की व्यापक जांच की जाए और इसे ठंडे बस्ते में डालने के प्रयासों को कुचला जाए।

 

 

 

 

 

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