छपी-अनछपी: सर्दी और कोरोना से सावधानी बढ़ाने का समय, सीमांचल की मुस्लिम आबादी फिर निशाने पर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सर्दी बढ़ने और कोरोना के खतरों की खबरें आज के अखबारों में प्रमुखता से ली गई है। इसके अलावा नगर निकायों के लिए दूसरे चरण की वोटिंग की खबरें भी सभी अखबारों में हैं। लालू प्रसाद के खिलाफ सीबीआई की जांच दोबारा शुरू होने के बारे में नीतीश कुमार ने कहा है कि उनके साथ आने के कारण ऐसा हुआ है। इस बयान को भी अहम जगह मिली है। जागरण ने एक बार फिर सीमांचल को अपने निशाने पर लेते हुए लिखा है कि वहां हिंदू पलायन कर रहे हैं और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: राज्य को और अधिक टीका मुहैया कराए केंद्र: नीतीश। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हर दिन लगभग 40-50 हजार लोगों की यहां कोरोना जांच की जा रही है, इसके अलावा लगभग चार-पांच हजार प्रतिदिन टीकाकरण भी किया जा रहा है। जांच को हमलोग और बढ़ा रहे हैं। केंद्र सरकार ने भी इसको लेकर सतर्क किया है। केंद्र को और टीकाकरण के लिए इंतजाम करना चाहिए। हमलोग के पास जितना टीका उपलब्ध है, उससे तो हमलोग कर ही रहे हैं।
जनवरी में इंफेक्शन बढ़ने का अंदाज़ा
जागरण ने पहले पेज पर खबर दी है: संक्रमण दर बढ़ेगी, मौत बढ़ने की आशंका कम। अखबार लिखता है कि दुनिया में बढ़ते कोरोना संक्रमण और पिछले 3 सालों के ट्रेंड को देखें तो जनवरी में भारत में कोरोना के मामले का बढ़ना तय माना जा रहा है। उधर स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो इस बार अस्पताल में भर्ती होने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी और साथ ही इससे मौत की आशंका भी कम रहेगी। भास्कर ने लिखा है: जनवरी में बढ़ सकते हैं केस, चीन से आने वालों के लिए निगेटिव RTPCR रिपोर्ट जरूरी संभव। हिन्दुस्तान ने यह अहम सुर्खी दी है: तैयारी कोरोना में इस बार कड़ी पाबंदियां नहीं, निगरानी बढ़ेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मामले कई देशों में बढ़ रहे हैं। इसके मद्देनजर तैयारी भी हो रही है, लेकिन भारत में स्थिति काबू में रहने की उम्मीद है। फिलहाल सरकार कड़ी पाबंदी और प्रतिबंध लागू किए बिना सलाह देकर कोरोना रोकथाम पर जोर देगी। अभी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध की भी कोई योजना नहीं है।
हवा का रुख बदलने से सर्दी और बढ़ी
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: कड़ाके की सर्दी: 17 जिलों में गिरा पारा, पछुआ हवाओं से ठिठुरन बढ़ी। हिंदुस्तान ने लिखा है कि कई जिलों में कोल्ड डे जैसे हालात हैं और सुर्खी लगाई है: पटना में 5 डिग्री पारा लुढ़का, कनकनी बढ़ी। जागरण ने अधिकतम तापमान 10.2 और न्यूनतम तापमान 5.7 डिग्री सेल्सियस होने की बात लिखी है। अखबारों के अनुसार हवा का रुख बदलने और पछुआ की तेज गति ने पटना समेत राज्य भर में कपकपी बढ़ा दी है। दिन में देर तक धूप नहीं निकलने से उत्तर बिहार के कई जिलों में शीतलहर जैसे हालात हैं।
मेयर चुनाव: वोट डालने में पटना सबसे पीछे
जागरण की सबसे बड़ी खबर है मेयर चुनने को 39.16%  लोगों ने डाले मत। अखबार के अनुसार पटना के प्रथम नागरिक के चुनाव के लिए मात्र 39.0% लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया जबकि प्रदेश में 57% मतदान हुआ। हालांकि डीएम चंद्रशेखर ने पटना में मतदान का प्रतिशत 35 बताया है। मतदान प्रतिशत में पटना पूरे राज्य में सबसे पीछे रहा। पिछले नगर निकाय आम चुनाव की तुलना में बुधवार को दूसरे चरण में 23 जिलों के 68 निकाय क्षेत्रों में 2% अधिक मतदान हुआ। भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है नगर निकाय चुनाव नालंदा में रोड़े बाजी , लाठीचार्ज, आरा छपरा में पैसे बांटते धराए।
लालू का केस फिर क्यों खुला?
भास्कर ने पहले पेज पर सुर्खी लगाई है: लालू का केस फिर खोलने पर नीतीश बोले- हम साथ आए हैं तो ऐसा हो रहा है। जागरण ने लिखा है: हम साथ आए, इसीलिए लालू परिवार के खिलाफ बढ़ी है सक्रियता। मुख्यमंत्री ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ आईआरसीटीसी मामले में  सीबीआई द्वारा फिर से खोले गए केस की वजह बताई- हम लोग यानी जदयू और राजद साथ आ गए हैं न, इसलिए ऐसा हो रहा है। वह बुधवार को मीडिया से मुखातिब थे।
जम्मू कश्मीर का हाल
भास्कर ने यह खबर प्रमुखता से दी है: जम्मू में ट्रक में छिपकर कश्मीर जा रहे चार आतंकी मारे गए। जागरण की सुर्खी है जम्मू में बड़ा षड्यंत्र, चार पाकिस्तानी आतंकी ढेर। दूसरी तरफ हिन्दुस्तान में पहले पेज पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान है: घाटी में घुसपैठ को लेकर पैनी नजर। उन्होंने यह बात जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को लेकर हुई समीक्षा बैठक में कही।

नायडू की सभा में भगदड़, सात मरे
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की नेल्लोर ज़िले में आयोजित सभा में बुधवार देर शाम अचानक मची भगदड़ में सात लोगों की मौत हो गई। यह खबर सभी जगह है। सभा के दौरान कुछ लोगों के बीच अचानक पहले कहासुनी और फिर धक्का-मुक्की होने लगी। अफरा-तफरी के बीच भगदड़ मच गई। बचने के लिए भाग रहे कई लोग सभा स्थल के पास नाले में गिर गए। इससे चीज पुकार मच गई। मरने वाले सभी लोग तेलुगू देशम पार्टी के कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं।
भारतीय कफ सिरप से 18 बच्चों की मौत 
ताशकंद से खबर है कि उज्बेकिस्तान में एक भारतीय कंपनी की खांसी की दवा पीने से 18 बच्चों की जान चली गई। वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह दावा किया है। उधर, मौतों पर और विवरण मांगते हुए डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है। संगठन आगे की जांच को भी तैयार है।
जागरण के निशाने पर सीमांचल
जागरण ने पहले पेज पर यह सुर्खी दी है: सीमांचल से अल्पसंख्यक हिंदू कर रहे पलायन। इसने अंदर के पन्ने पर आज ही यह खबर भी दी है: बांग्लादेश से सीमांचल में बसने लगी मुस्लिम आबादी। अखबार ने कुछ गांव से हिंदुओं के हटकर दूसरे गांव में जाने की खबर दी है। इसके अलावा 1951 की जनगणना की तुलना में 2011 तक हिंदुओं की आबादी घटने की बात भी लिखी है।

अनछपी: बिहार में सांप्रदायिक सौहार्द बनाने और बिगाड़ने दोनों में अखबारों का हाथ देखा जा सकता है। जागरण अखबार ने आज जो दो खबरें बनाई है उसे वह अपने लिहाज से तथ्य बता सकता है लेकिन वास्तविकता यह है कि सीमांचल पिछले कई महीनों से ऐसे तत्व के निशाने पर है जो हिंदुत्ववादी कहे जाते हैं। जागरण की इन दोनों खबरों में किसी अध्ययन या शोध का हवाला ना देकर अपने ढंग से दावे किए गए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि वह इलाका मुस्लिम बहुल है लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं कि इस कारण किसी हिंदू परिवार का पलायन हो रहा है। अपनी सुविधा के अनुसार दूसरे गांव में बसने को पलायन कहना सही होगा या नहीं इस पर तो बहस हो सकती है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इसके पीछे हिंदू-मुस्लिम जैसी कोई वजह नहीं है। पिछले कई सालों से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है और सीमांचल की सीमा की देखरेख केंद्रीय बलों के पास है। ऐसे में यह आरोप लगाना कि बांग्लादेशी लोगों की वजह से वहां की मुस्लिम आबादी बढ़ी है एक और तो केंद्रीय बलों की क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है तो दूसरी और यह सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ कर राजनीतिक लाभ लेने का अवसर देता है। इससे पहले वहां स्कूलों में छुट्टी के दिन को लेकर भी अखबारों ने बवाल खड़ा किया था। कुल मिलाकर कुछ अखबार हर समय हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए बहाने तलाशते रहते हैं। बिहार सरकार को ऐसे मीडिया संस्थानों पर अवश्य नजर रखनी चाहिए और समाज के हर तबके को भी ऐसी निराधार बातों का विरोध करना चाहिए।

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