छपी-अनछपी: जातीय गिनती पर कोर्ट की रोक के बाद राजनीति गरम, मणिपुर में शूट ऐट साइट ऑर्डर
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में चल रही जातियों की गिनती पर हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बाद राजनीति गरमा गई है। इस अंतरिम रोक की खबर सभी अखबारों में लीड है। उत्तर पूर्व के राज्य मणिपुर में आदिवासियों और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प के बाद सेना बुला ली गई है और देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। इस खबर को ज़रूरी प्रमुखता नहीं मिली है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की लेकिन उसने उन्हें हाई कोर्ट जाने को कहा है, इस खबर को पहले पेज पर जगह मिली है।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: जातीय गणना पर रोक; यह सर्वे नहीं सेंसस, इस पर संसद का अधिकार। हिन्दुस्तान और जागरण की सुर्खी भी इससे मिलती-जुलती है। पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जाति आधारित सर्वे तुरंत बंद करने का आदेश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि एकत्र किए गए डाटा सुरक्षित रखें और किसी भी हाल में अंतिम आदेश पारित होने तक किसी के साथ इसे साझा नहीं करें। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने गुरुवार को एक साथ पांच याचिका पर सुनवाई कर 31 पन्ने का अपना अंतरिम आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जाति आधारित सर्वे एक प्रकार की जनगणना (सेंसस) है। जनगणना करने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार के पास है। राज्य सरकार जाति आधारित सर्वे नहीं करा सकती है।
कोर्ट के फैसले के बाद राजनीति
हाईकोर्ट के इस अंतरिम फैसले पर भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश में कहा है कि सरकार की ओर से पूरी तैयारी से बात नहीं रखी गई। इधर, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस आदेश पर कहा कि इससे भाजपा खुश होगी, लेकिन, जातीय गणना से सबका भला होगा। पूर्व उपमुख्यमंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता तारकिशोर प्रसाद ने कहा, जाति आधारित गणना पर पटना हाईकोर्ट द्वारा तत्काल रोक लगाये जाने से यह साफ होता है कि राज्य सरकार ठीक ढंग से अपना पक्ष नहीं रख सकी है।
मणिपुर में ‘शूट ऐट साइट’
मणिपुर सरकार ने आदिवासियों और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद हालात काबू करने के लिए उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिए हैं। पूर्वोत्तर के इस राज्य में हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। राज्य के आठ जिलों में हालात बेकाबू हो गए हैं। राज्य में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ विरोध शुरू हुआ जिसके बाद यह हिंसा भड़की है।
महिला पहलवानों का दुख
हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: पहलवानों की मांग-निगरानी में जांच हो, सुप्रीम कोर्ट बोला-उच्च न्यायालय जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तीन महिला पहलवानों की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी। महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। पहलवानों की मांग थी कि कोर्ट की निगरानी में जांच हो, पर शीर्ष अदालत ने कहा, हाईकोर्ट या निचली अदालत जा सकते हैं। बृजभूषण शरण की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए और उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ व्यक्तिगत आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि वे मौजूद नहीं हैं।
तलाक़-ए-हसन सुप्रीम कोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह मुसलमानों के बीच तलाक-ए-हसन की वैधता को चुनौती देने वाले बड़े संवैधानिक मुद्दे की जांच करेगा। इस तलाक को चुनौती देने वाली आठ याचिकाओं की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाशीध डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने हालांकि कहा कि वह व्यक्तिगत वैवाहिक विवादों में नहीं उलझेंगे। इन याचिकाओं में गाजियाबाद निवासी बेनजीर हिना की याचिका भी शामिल है। पीठ ने कहा कि अदालत एक संवैधानिक चुनौती पर विचार कर रही है।
रूस के हमले, यूक्रेन में कर्फ्यू
भास्कर की प्रमुख खबर है: रूस ने ड्रोन और मिसाल बरसाए, यूक्रेन ने कई शहरों में कर्फ्यू लगाया। रूस के राष्ट्रपति आवास क्रेमलिन पर ड्रोन स्ट्राइक की घटना के बाद रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य शहरों पर हमले तेज कर दिए हैं। गुरुवार को रूसी सेना ने ड्रोन और मिसाइल दागे। 4 दिनों में तीसरी बार कीव को निशाना बनाया गया है। खेरसोन में रूस की गोलाबारी में 23 नागरिक मारे गए। रूस ने यूक्रेन पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हत्या की कोशिश का आरोप लगाया है। साथ ही उसने इस साजिश के पीछे अमेरिका का हाथ भी बताया है।
कुछ और सुर्खियां
- बिहार के 31 नगर निकायों में 9 जून को होगा मतदान, वोटों की गिनती 11 को
- झारखंड के आईएएस अफसर छवि रंजन जमीन घोटाले में गिरफ्तार
- मुठभेड़ में यूपी का कुख्यात अनिल दुजाना मारा गया
- रात्रि भोज में मिले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और जयशंकर
- पटना से गो फर्स्ट की फ्लाइट 9 मई तक रद्द, एयरलाइंस बोली 3 दिन में किराया लौटा देंगे
- बिहार का 500000 का इनामी नक्सली राजन हुआ गिरफ्तार
- मोतिहारी शराब कांड का मुख्य सरगना दिल्ली से गिरफ्तार
अनछपी: जातीय गणना पर हाई कोर्ट के स्टे आर्डर से एक नई राजनीति शुरू होगी। इसे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बयान से समझा जा सकता है। तेजस्वी ने सीधे भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि इससे भाजपा तो खुश हुई होगी। आम समझ यह है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस गणना नहीं चाहते हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक नफा नुकसान को ध्यान में रखते हुए यह बात साफ तौर पर नहीं कह रही है। भाजपा के कुछ सवर्ण नेताओं ने जरूर जातीय गणना की जगह आर्थिक गणना कराने की बात की थी। ध्यान रहे कि जातीय गणना कराने का फैसला बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित हुआ था और उस समय भारतीय जनता पार्टी भी सरकार के साथ थी और उसकी सहमति इस फैसले में भी थी। यहां तक कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गया तो उसमें भी भाजपा के प्रतिनिधि शामिल थे। इसलिए भाजपा इस फैसले पर सीधे खुशी का इजहार ना करते हुए नीतीश कुमार को निशाना बना रही है कि सरकार की कमजोरी से जातीय गणना पर हाईकोर्ट में रोक लगाई गई है। इसके जवाब में यह तर्क है कि अगर बिहार सरकार की कमजोरी से जातीय गणना पर हाई कोर्ट में रोक लगी है तो भारतीय जनता पार्टी अपने शासन वाले राज्यों में मजबूती दिखाते हुए जातीय गणना कराए। जातीय गणना का 80% काम हो चुका है और जब भी इस गणना के परिणाम सामने आएंगे तो लोगों को यह पता चलेगा कि किस जाति की आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति कैसी है। फिलहाल तो कोर्ट ने जातीय गणना में जमा जानकारी को आम नहीं करने का आदेश दिया है। जातीय गणना के विरोध का कारण यही है कि इससे आरक्षण का मामला और बढ़ेगा क्योंकि उस गणना से यह पता चलेगा कि किसकी हैसियत कैसी है। बहरहाल अब 3 जुलाई के बाद हाई कोर्ट के रुख का अंदाजा होगा और तब तक राजनीति गरमाई रहेगी।
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