छ्पी-अनछपी: राजनीतिक चंदे के नाम पर 2000 करोड़ का घोटाला, कार्की नेपाल की अंतरिम पीएम

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार और झारखंड में गुजरात के एक राजनीतिक दल को चंदे के नाम पर 2000 करोड़ रुपए की इनकम टैक्स चोरी का पता चला है। सुशीला कार्की ने अगले 6 महीने के लिए नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एआई जेनरेटेड वीडियो में अपनी मां से डांट खाते हुए दिखाया गया है। भारत में चुनाव और राजनीतिक दलों पर नजर रखने वाले एडीआर के संस्थापक प्रोफेसर छोकर का निधन हो गया है।

और, जनिएगा कि बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए अब माता-पिता के दस्तावेज भी जरूरी होंगे।

पहली ख़बर

जागरण की खबर है कि आयकर विभाग की झारखंड अनुसंधान शाखा ने राजनीतिक चंदे की आड़ में 2000 करोड़ से अधिक की इनकम टैक्स चोरी करने के मामले का पर्दाफाश किया है। राजनीतिक दलों को चंदा के नाम पर टैक्स चोरी के खेल में झारखंड और बिहार के 500 से अधिक युवाओं के साथ गुजरात की आम जनमत पार्टी नाम का राजनीतिक शामिल है। जांच में पाया गया कि इस राजनीतिक दल ने चंदा लेने और उसकी रसीद देने के बाद 5% राशि काटकर पेशेवरों को उनकी शेष रकम वापस कर दी। युवाओं को पैसे लौटाने के लिए हवाला का इस्तेमाल किए जाने का भी राजफ़ाश हुआ है। इनकम टैक्स चोरी का यह रैकेट लंबे समय से चल रहा था। गलत तरीके से टैक्स छूट का लाभ लेने वाले पेशेवरों में ज्यादातर आईटी क्षेत्र से हैं और करोड़ों के पैकेज पर विभिन्न कंपनियों में काम कर रहे हैं। बता दें कि आयकर कानून की धारा 80 जीजीसी के तहत कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट का दावा कर सकता है। राजनीतिक चंदा देकर टैक्स चोरी करने वाले युवाओं में सबसे ज्यादा युवा पेशेवरों की संख्या बिहार के मधुबनी, पूर्णिया, सुपौल, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण की है।

सुशीला कार्की बनीं नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री

प्रभात खबर के अनुसार पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वह नेपाल की पहली महिला पीएम बन गई हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार की रात राष्ट्रपति कार्यालय में 73 वर्षीय सुशीला कार्की को पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर राष्ट्रपति पौडेल और नवनियुक्त प्रधानमंत्री के अलावा उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और प्रधान न्यायाधीश प्रकाश मानसिंह रावत भी उपस्थित थे। इसके साथ ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त हो गई है। गौरतलब है कि कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ जेन-ज़ी के हिंसक प्रदर्शन के चलते मंगलवार को केपी शर्मा ओली को अचानक प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

एआई जेनरेटेड वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी को अपनी मां से डांट खाते हुए दिखाया गया

हिन्दुस्तान के अनुसार कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है। बिहार कांग्रेस ने सोशल मीडिया एक्स पर एआई जेनरेटेड एक वीडियो जारी किया है, जिसमें पीएम मोदी को सपने में अपनी मां से डांट खाते हुए दिखाया गया है। साहब के सपनों में आई मां, शीर्षक से जारी वीडियो में दिखाया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी को सपने में उनकी मां कह रही हैं -‘अरे बेटा पहले तो मुझे नोटबंदी की लंबी लाइनों में खड़ा किया। तुमने मेरे पैर धोने का रील बनवाया। अब बिहार में मेरे नाम पर राजनीति कर रहे हो। मेरे अपमान के बैनर पोस्टर छपवा रहे हो। तुम फिर से बिहार में नौटंकी करने की कोशिश कर रहे हो। राजनीति के नाम पर कितना गिरोगे।’ कांग्रेस के इस वीडियो पर शुक्रवार को भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस मीडिया कोऑर्डिनेटर राजेश राठौड़ ने कहा कि वीडियो में कुछ भी गलत नहीं है। मां द्वारा अपने बेटे को सीख देते हुए दिखाया गया है।

एडीआर के संस्थापक प्रोफेसर छोकर का निधन

भास्कर के अनुसार चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के को फाउंडर प्रोफेसर जगदीप एस छोकर का शुक्रवार तड़के दिल्ली में हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे 81 साल के थे। आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर रहे छोकर ने 1999 में एडीआर की स्थापना की और इसके जरिए चुनावी पारदर्शिता के लिए कई कानूनी लड़ाइयां लड़ीं। उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जानकारी और इलेक्टोरल बांड योजना रद्द कराने जैसे सुधार उनकी कोशिशों के चलते ही संभव हो सका था।

बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए अब माता-पिता के दस्तावेज भी जरूरी

हिन्दुस्तान के अनुसार बच्चों का नया आधार कार्ड बनवाने या अपडेट करवाने के लिए आवासीय प्रमाण पत्र देना होगा। आवासीय नहीं होने की सूरत में पासपोर्ट, माता-पिता के विवाह का प्रमाण पत्र, उनका राशन कार्ड या फिर पेंशन कार्ड में कोई एक देना जरूरी कर दिया गया है। अभी केवल बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र देने से ही आधार बन जाता था या अपडेट हो जाता था। वहीं बच्चों के अलावा बड़ों के आधार बनवाने या उसे अपडेट करने के लिए पैन कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली, पानी या गैस का बिल, बैंक पासबुक, जन्म प्रमाण पत्र आदि पहचान और पता की सत्यता के लिए देना होगा। उम्र के लिए जन्म प्रमाण पत्र होने के बावजूद पहचान और पते के लिए ये दस्तावेज जरूरी होंगे।  इसके साथ ही आधार के अपडेट होने के बाद कार्ड पर अब माता-पिता या पति का नाम लिखा नहीं होगा। कार्ड पर सिर्फ केयर ऑफ लिखा रहेगा। वहीं आधार का पता बदलने के लिए आवासीय प्रमाण पत्र देना जरूरी कर दिया गया है।

कुछ और सुर्खियां:

  • पूरे बिहार के डायल 112 में ठेके पर बहाल ड्राइवर आज से बेमयादी हड़ताल पर
  • बिहार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार उतारेंगे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से मणिपुर समेत पांच राज्यों का दौरा करेंगे
  • सीपी राधाकृष्णन ने 15 वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली
  • ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जयार से बोलसोनारो को तख्तापलट की कोशिश के आरोप में 27 साल की सजा
  • एआईएमआईएम का ऐलान, तीसरा फ्रंट बना 100 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव
  • बीपीएससी की 71वीं पीटी आज, राज्य के 37 जिलों के 912 परीक्षा केंद्र

अनछपी: भारत में अदालत की व्यवस्था किताबों में और मौखिक आदेशों में बहुत ही सुहावनी लगती है लेकिन हकीकत बहुत तल्ख होती है। सुप्रीम कोर्ट के कई जज बार-बार यह कहते हुए मिलते हैं कि जमानत को नियम होना चाहिए और जमानत खारिज किया जाना अपवाद होना चाहिए। लेकिन पूरा भारत जानता है की जमानत देने की प्रक्रिया कितनी विवादित है और अक्सर सरकार के खिलाफ बोलने या आंदोलन करने वालों को जमानत बहुत मुश्किल से मिलती है और कई बार निचली अदालत और हाई कोर्ट से भी जमानत की अर्जी हरित कर दी जाती है। अंतिम चार के तौर पर लोग सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तब जाकर उन्हें जमानत मिलती है। इसमें भी सरकार की तरफ से कई बार हीला हवाली होती है और तकनीकी अड़चनें डाली जाती हैं ताकि जमानत ना मिले। जमानत देने में इस तरह इनकार और सरकार की अड़चनों को सुप्रीम कोर्ट के जज नहीं समझ पाते हैं? ऐसे में यही लगता है कि जमानत देने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के जज जो बयान देते हैं वह जबानी जमा खर्च से ज्यादा का असर नहीं डाल पाते। इस बात की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में देश के सभी उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों को अग्रिम या नियमित जमानत याचिकाओं का निपटारा तीन से छह माह में करने का आदेश दिया है। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि जमानत याचिकाओं को वर्षों तक लंबित नहीं रखा जा सकता। जस्टिस महादेवन ने कहा कि जमानत याचिका (जो सीधे तौर पर आरोपियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित हैं) को वर्षों तक लंबित नहीं रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया है। दालत ने कहा कि जमानत याचिका पर लंबे समय तक फैसला नहीं करना, न सिर्फ अपराध प्रक्रिया संहिता के उद्देश्य को विफल करता है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में निहित संवैधानिक मूल्यों के विपरीत न्याय से वंचित करने के समान है। सुप्रीम कोर्ट की इन सुहावनी बातों को सुनने के बाद यह सवाल वाजिब है कि ऐसी बात है तो आखिर क्यों लोगों को 5-5 साल बिना ट्रायल के रखा जाता है और उन्हें जमानत भी नहीं मिलती है? उमर खालिद, शरजील इमाम और दूसरे दर्जनों लोगों के ऐसे मामले हैं जहां पर लंबे समय से जमानत का इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट को निचली अदालतों और हाई कोर्ट में अपने बयानों के मुताबिक अमल करने की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए वरना ऐसे बयानों को लोग बिल्कुल हल्के में लेंगे।

 

 

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