छपी-अनछपी: पूर्व गर्वनर फागू के कुछ फैसलों का रिव्यू होगा, न हमको मुख्यमंत्री बनना है, न…तेजस्वी
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के पूर्व राज्यपाल फागू चौहान ने जाते जाते ऐसा क्या कर दिया कि उनके कुछ फैसलों की समीक्षा की जाएगी? इस बारे में नए गवर्नर से भास्कर की बातचीत पढ़ी जा सकती है। तेजस्वी यादव का यह बयान सब जगह है कि ना उन्हें मुख्यमंत्री बनना है और ना ही नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री। वैसे अखबारों की सबसे बड़ी खबर सिपाही भर्ती में एससी/एसटी और ओबीसी महिलाओं को हाइट में छूट देने की खबर है। सृजन घोटाले में पूर्व आईएएस रमैया को भगोड़ा घोषित किया गया है, इसकी खबर भी प्रमुखता से ली गई है।
भास्कर के पहले पेज पर सबसे ऊपर सुर्खी है: गवर्नर बोले- पूर्व राज्यपाल ने पूरी तरह गलत किया, मैं यह नहीं मानता पर जहाँ जरूरी होगा उनके फैसलों को रिव्यू जरूर करूँगा। उन्होंने यह बात भास्कर के इस सवाल पर कही कि जाते जाते पूर्व राज्यपाल फागू चौहान के फैसलों की गहन समीक्षा को क्या समझें हम? बिहार की चरमराई शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए वर्षों बाद कड़ी कार्रवाई होती दिख रही है। राजभवन ने हाल ही में एक साथ सात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के कामकाज पर रोक लगा दी। ये नियुक्तियां फागू चौहान के मेघालय के राज्यपाल बनाने की अधिसूचना और नए गवर्नर के शपथ ग्रहण से पहले हुई थी। फिर तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के फाइनैंशल एडवाइजर और फाइनैंस ऑफिसर के भी सभी अधिकार छीने गए।
बिहार के नवनियुक्त गवर्नर विश्वनाथ अर्लेकर ने एक माह के भीतर ही स्पष्ट संदेश दिया कि सुधारों की दिशा में कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा,”मैं किसी को दोष नहीं दूंगा। उन्हें महसूस हुआ कि कुछ करने की जरूरत है तो जाते जाते भी कर लिया। जल्दबाजी में कुछ हुआ है जिसे रिव्यु की आवश्यकता है तो जरूर करूँगा। पूर्व राज्यपाल ने पूरी तरह गलत किया, ऐसा मैं नहीं मानता। जहाँ सुधार की जरूरत है, वहाँ कर रहे हैं।
महिलाओं को ऊंचाई में छूट
जागरण की सबसे बड़ी खबर है: अजा/जजा व ईबीसी की महिलाओं को दारोगा बहाली में ऊंचाई में मिलेगी छूट। अजा यानी अनुसूचित जाति। जजा यानी जनजाति। हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर भी यही है। पुलिस बहाली में अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) और अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी-एसटी) कोटि की महिला अभ्यर्थियों की न्यूनतम ऊंचाई (कद) सीमा में छूट मिलेगी। सोमवार को विधानसभा में एक सवाल के जवाब में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस बहाली में ईबीसी और एससी-एसटी कोटि की महिला अभ्यर्थियों की न्यूनतम ऊंचाई सीमा को कम करने की कार्रवाई तत्काल की जाएगी। गौरतलब है कि बिहार पुलिस बहाली में अभी सभी कोटि की महिलाओं की न्यूनतम ऊंचाई 155 सेंटीमीटर है।
सृजन घोटाले में कार्रवाई
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: सृजन घोटाले में आईएएस रमैया समेत तीन भगोड़ा घोषित, गिरफ्तारी वारंट जारी। बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तीन आरोपितों को भगोड़ा घोषित किया है। भगोड़ा घोषित पूर्व आईएएस केपी रमैया के अलावा अमित कुमार और रजनी प्रिया को सीबीआई गिरफ्तार करने में असफल रही है। सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 फरवरी को भागलपुर के पूर्व जिलाधिकारी केपी रमैया और घोटाले की किंगपिंग रही मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की गिरफ्तारी के लिए स्थायी वारंट जारी करने का निर्देश दिया था।
जब लालू नहीं डरे तो…
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सोमवार को विधानसभा में पथ निर्माण समेत अन्य विभागों के बजट पर हुए वाद-विवाद के बाद बात के दौरान बोले “न मुझे मुख्यमंत्री बनना है और न ही सीएम नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनना है। हमें इनके नेतृत्व में काम करना है।” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सही समय पर महागठबंधन सरकार का निर्णय लिया है। “इसके लिए देशभर से इन्हें बधाई आ रही है। सीएम ने जो निर्णय लिया है, उसके साथ हम मजबूती से खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा की धमकी से लालू प्रसाद नहीं डरे तो उनका बेटा भी नहीं डरेगा। सीबीआई और ईडी के माध्यम से मुझे और मेरे परिवार को परेशान किया जा रहा है। दरअसल, असली डर भाजपा को वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव का है।”
न्याय और सील बंद लिफ़ाफ़ा
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का यह बयान सभी जगह है जिसमें उन्होंने सीलबंद लिफाफे की प्रक्रिया बंद करने को कहा है। भास्कर की हेडिंग है: सीलबंद लिफाफे में सरकारी जवाब लेने से सीजेआई का इनकार। वन रैंक वन पेंशन मामले में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आपराधिक मामलों की केस डायरी में गोपनीयता समझ में आती है। अभियुक्त यह जानने हकदार नहीं है या कुछ ऐसा हो जो सूचना के स्रोत को प्रभावित करता है या किसी के जीवन को प्रभावित करता है तो बात समझ में आती है लेकिन यह पेंशन के भुगतान करने का हमारा फैसला है। इसमें क्या गोपनीयता हो सकती है? हम यह सील कवर में दस्तावेज देने की प्रक्रिया को समाप्त करना चाहते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह तरीका न्याय के विरुद्ध है।
कुछ और सुर्खियां
- सियासत:राहुल अदानी मुद्दे पर संसद लगातार छठे दिन भी ठप
- मनेर में ईट भट्टा की दीवार गिरी मलबे में दबने से 4 महिला मज़दूरों की मौत
- बिहटा मैं छात्र की हत्या के विरुद्ध उमड़ा जनआक्रोश, रोकी ट्रेन, एनएच किया जाम
- हफ्ते भर में ही 3504 रुपये महंगा हुआ सोना, 6 माह में 20% चढ़ गया
- अमृतपाल ने अपनी फोर्स के लिए खरीदी थीं 33 बुलेट प्रूफ जैकेट, 6 देशों से फंडिंग
- अमृतपाल के चाचा समेत पांच आरोपियों पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट लगा
- मेघालय विधानसभा में राज्यपाल फागू चौहान के हिंदी में संबोधन पर वाकआउट
- योगी मॉडल से यूपी में बढ़ा अपराध: श्रवण कुमार
- सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान समर्थकों का भारतीय दूतावास पर हमला
अनछपी: बिहार के नए गवर्नर विश्वनाथन आर्लेकर के कार्यकाल में राजभवन कितने सही फैसले करेगा यह तो वक्त आने पर पता चलेगा लेकिन फिलहाल इतनी बात साफ है कि पिछले गवर्नर फागू चौहान ने ऐसे फैसले लिए जिन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। फिलहाल तो कार्रवाई फागू चौहान के उन फैसलों पर की जा रही है जो उन्होंने जाते-जाते लिए और इसके तहत सात रजिस्ट्रार के कामकाज पर रोक लगाई गई है लेकिन उनका कार्यकाल इससे बड़े विवादों में फंसा रहा है। पता नहीं इसकी वजह क्या है कि राज्यपालों के कार्यकलापों की जांच की मांग भी नहीं होती। बतौर राज्यपाल व कुलाधिपति फागू चौहान के कार्यकाल में विश्वविद्यालयों के वीसी और दूसरे पदाधिकारियों की बहाली में भारी घोटाले की शिकायत दबे जबान की जाती है। इस तरीके से बहाल वीसी पर भी कई गंभीर आरोप लगे हैं जिनमें पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर मगध विश्वविद्यालय के लिए खरीदारी में घपले का इल्जाम लगा और श्री प्रसाद पर बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने कार्रवाई की है। इस घपले की आंचतो राजभवन तक पहुंचती है लेकिन कभी कोई यह मांग नहीं करता कि उस दौर के मुखिया के बारे में भी जांच की जाए। उस समय के बारे में आरोप लगता है कि राजभवन से सीधे-सीधे पैसों की मांग की जाती थी ताकि जिन्हें जिस पद पर बहाली की इच्छा हो वह पूरी हो। अब नए गवर्नर ने विश्वविद्यालयों की स्थिति सुधारने के बारे में कुछ महत्वपूर्ण ऐलान किए हैं तो राजनीतिक नेतृत्व भी यह चाहिए कि पिछले कार्यकाल के बारे में और गंभीरता से जांच कराए। बिहार के लाखों विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो जाता है और यहां राजभवन से लेकर विश्वविद्यालय तक घपले घोटाले की ही चर्चा होती है। अगर राजभवन के बारे में और गहनता से जांच होती है जिसमें फागू चौहान की भूमिका भी जांची जाए तो यह कुछ हद तक बिहार के विद्यार्थियों के साथ इंसाफ होगा।
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