छपी-अनछपी: नीतीश-मोदी आज एक स्टेज पर मिलेंगे, राजद के एक और विधायक ने पाला बदला

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 28 जनवरी को एक बार और पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करेंगे। आरजेडी के एक और विधायक ने पाला बदल लिया है और भाजपा के साथ जा मिले हैं। बिहार में बिजली दर 2% कम की गई है। आज इन खबरों को अच्छी जगह मिली है।

जागरण ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले बिहार के मतदाताओं को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को औरंगाबाद और बेगूसराय आ रहे हैं। दो संसदीय क्षेत्र के दौर में प्रधानमंत्री सवा 2 लाख करोड़ से अधिक की योजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन एवं घोषणा करेंगे। सबसे अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 19-20 माह बाद एक साथ सार्वजनिक रूप से मंच साझा करेंगे। वैसे, बिहार में 12 जनवरी 2022 को बिहार विधान सभा भवन के शताब्दी समारोह में मोदी और नीतीश कुमार एक मंच पर थे।

मोदी ने संदेशखाली का मुद्दा उठाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर तृणमूल कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला। बंगाल के हुगली जिले के आरामबाग में आयोजित जनसभा में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पूरा देश गुस्से में है। वहीं, इंडिया गठबंधन ने संदेशखाली की घटनाओं पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने कहा कि टीएमसी के नेताओं ने माताओं-बहनों के साथ जो किया उसे देखकर पूरा देश दुखी है।

आरजेडी के भरत बिंद भाजपा के साथ

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: राजद के एक और विधायक ने पाला बदला, अब भरत बिंद भाजपा के साथ। बिहार की राजनीति में पहला बदलने का खेल लगातार जारी है। शुक्रवार को विधानसभा में एक बार फिर आरजेडी को बड़ा झटका लगा। राजद के भभुआ विधायक भरत बिंद पाला बदलते हुए सत्ता पक्ष की ओर चले गए। वे 2020 में आरजेडी में शामिल हुए थे और उससे पहले बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके थे। पिछले 15 दिनों में राजद के पांच विधायकों ने पाला बदल लिया है। इससे पहले राजद के चार विधायक प्रह्लाद यादव, चेतन आनंद, नीलम देवी और संगीता देवी ने बगावत कर पाला बदल लिया था। इसी तरह कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ और मुरारी गौतम भी इसी सत्र के दौरान कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए थे।

नीतू सिंह भी बीजेपी में जाने को तैयार…

हिसुआ से कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने भी भाजपा में जाने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिलता है तो वह भाजपा में चली जाएंगी। विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन नीतू सिंह सदन में पहुंचीं। वह कुछ दिनों से सदन में नहीं आ रही थीं। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह नवादा लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती हैं। वह अपने पार्टी कांग्रेस से टिकट मांग रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा उन्हें लोकसभा का सीट देती है तो वह उस पार्टी में चली जाएंगी।

बिजली 2 फ़ीसद सस्ती

बिहार में 1 अप्रैल से बिजली सस्ती किए जाने की खबर को सभी अखबारों ने पहली खबर की जगह दी है। हिन्दुस्तान ने लिखा है बिजली दर में 3.03 फीसदी वृद्धि के कंपनी के प्रस्ताव को बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने खारिज कर दिया। आयोग ने सभी श्रेणियों की बिजली दर में दो फीसदी की कमी कर दी। विनियामक आयोग का निर्णय आते ही बिजली कंपनी ने उपभोक्ताओं को अनुदान जारी रखते हुए सभी श्रेणियों की बिजली दर में 15 पैसे प्रति यूनिट की कमी कर दी। सबसे सस्ती बिजली किसानों को मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से मिलेगी।

बीजेपी में 180 नाम फाइनल

भास्कर की खबर है कि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए 180 उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शुक्रवार करीब 5 घंटे चली।  इसमें तय हुए नाम वाली पहली सूची दो-तीन दिन में जारी होगी। पहली सूची के लिए कई वरिष्ठ मंत्रियों और मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं और उनकी जगह नए चेहरे ले जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार 180 प्रत्याशियों में लगभग दो दर्जन महिलाएं हैं। सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व ओबीसी समुदाय के लोगों को मिला है।

“वीसी को अपशब्द कहने वाले पर कार्रवाई हो”

भास्कर की खबर है कि राजभवन ने सरकार से कुलपतियों वीसी व विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को अपशब्द कहने- लिखने तथा ऐसा करने का निर्देश देने वाले अवसर पर कार्रवाई की मांग की है। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने इस बारे में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने चांसलर से शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित 28 फरवरी की बैठक और दो-तीन मार्च के ओरिएंटेशन प्रोग्राम में जाने को लेकर मार्गदर्शन मांगा था। इसकी अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद उच्च शिक्षा निदेशक ने इन कुलपतियों को पत्र लिखकर किसी अन्य अथॉरिटी से मार्गदर्शन मांगने को मूर्खतापूर्ण कदम बताया था। पत्र में कहा गया है कि यह मार्गदर्शन किसी अन्य अथॉरिटी से नहीं बल्कि चांसलर से मांगा गया था।

बेंगलुरु में विस्फोट

जागरण की खबर है कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुक्रवार को रेस्टोरेंट में हुए विस्फोट में 10 लोग घायल हुए हैं। रेस्टोरेंट में जिस स्थान पर विस्फोट हुआ वहां से पुलिस को एक बैग मिला है। इस बैग में इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) फिट होने की आशंका की जांच हो रही है। पुलिस ने यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने विस्फोट के संबंध में जानकारी मांगी है। उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि विस्फोट टाइमर के जरिए किया गया।

कुछ और सुर्खियां

  • धनबाद की विजय संकल्प महारैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले- आदिवासियों का विकास मोदी का संकल्प व गारंटी
  • लोकसभा चुनाव के पहले बेऊर जेल से 45 कैदी दूसरे जिले में भेजे जाएंगे
  • लोकसभा चुनाव के लिए बिहार पहुंची अर्धसैनिक बलों की 50 कंपनियां
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 73 साल के हुए, 7 मार्च को साइंस सिटी देखना इंग्लैंड जाएंगे
  • हाई कोर्ट का आदेश: एएनएम बहाली के लिए लिखित परीक्षा नहीं होगी

अनछपी: दल-बदल का कानून यह कहता है कि दो तिहाई से कम विधायकों या सांसदों के पाला बदलने पर उनकी सदस्यता चली जाएगी लेकिन इस कानून के रहते बिहार में पिछले 15 दिनों में टुकड़े-टुकड़े में राजद और कांग्रेस के विधायकों ने पाला बदला है। इसका क्या कारण है? क्या यह विधायक इस बात की उम्मीद में हैं कि उनकी सदस्यता जाएगी तो उसके बदले उन्हें भारतीय जनता पार्टी या जनता दल यूनाइटेड से कोई बेहतर ऑफर मिलेगा? या उन्हें इस बात का भरोसा है कि उनकी सदस्यता को रद्द करने में विधानसभा के अध्यक्ष टाल मटोल करेंगे। ध्यान रहे कि राजद और कांग्रेस ने अपने बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन दे रखा है। इसी तरह की घटना जब हिमाचल प्रदेश में हुई तो कांग्रेस के विधायकों की सदस्यता तुरंत रद्द कर दी गई क्योंकि स्पीकर कांग्रेस पार्टी के थे। बिहार में इस समय स्पीकर भारतीय जनता पार्टी के हैं और राजनीतिक ईमानदारी का तकाजा तो यही है कि वह इन सदस्यों की विधायकी रद्द करने के बारे में जल्द फैसला दें लेकिन राजनीतिक प्रपंच के दौर में ऐसा मुमकिन नहीं होता दिखता है। बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि जिन विधायकों ने पाला बदला है उनकी अपनी कोई निजी या राजनीतिक मजबूरी होगी। राजनीति में पाला बदलने कोई नई बात नहीं है लेकिन जानने की बात यह होती है कि इसके पीछे कारण क्या है। लोकसभा चुनाव के पहले इस तरह के झटके देना भारतीय जनता पार्टी को फायदे का सौदा लग सकता है इसलिए यह बात समझ में आती है। अब राजनीति में लोक लाज की गुंजाइश बहुत कम रह गई है, इसी का नतीजा है कि हिसुआ से कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने बिना झिझक यह कह डाला कि अगर उन्हें भारतीय जनता पार्टी लोकसभा का टिकट देगी तो वह उसके साथ चली जाएंगे। यानी लाज शर्म के लिए भी उन्होंने विचारधारा की बात नहीं कहीं। पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता राबड़ी देवी तो यह कहती हैं कि भारत सरकार कमजोर हो गई है, इसलिए विधायकों को खरीद रही है। विधायकों की खरीद का आरोप सही हो सकता है लेकिन यह सवाल भी है कि पार्टी का अपने विधायकों पर नियंत्रण क्यों नहीं रहता। क्या राजद और कांग्रेस को इस बारे में भी नहीं सोचना चाहिए?

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