छ्पी-अनछ्पी: बैठक में शामिल नहीं होने पर सभी वीसी की सैलरी पर रोक, पाठक जाएंगे सेंटर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राजभवन की बात मानकर शिक्षा विभाग की बैठक में नहीं जाने के कारण बिहार के सभी वीसी के वेतन पर रोक की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक सेंट्रल डेपुटेशन पर जाएंगे। इस खबर को भी काफी अहमियत मिली है। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने पूछा है कि रामराज का संविधान क्या होगा। ग़ज़ा में आटा लेने जुटे लोगों पर इसराइली हमले में 104 लोगों की मौत (साथ लगी तस्वीर) हो गई।

हिन्दुस्तान और प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर एक जैसी है: सभी वीसी, रजिस्ट्रार व एग्जामिनेशन कंट्रोलर का वेतन रोका, एफआईआर की भी तैयारी। शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी कुलपतियों और एक को छोड़ सभी कुलसचिवों तथा दो विश्वविद्यालयों को छोड़ सभी के परीक्षा नियंत्रक का वेतन बंद कर दिया है। 28 फरवरी को शिक्षा विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने पर इन पर कार्रवाई की गयी। राजभवन के मना करने पर वे बैठक में शामिल नहीं हुए थे। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए विभाग ने सभी विवि के बैंक खातों के संचालन पर भी रोक लगा दी है। वहीं, सभी पदाधिकारियों से दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाय? विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने गुरुवार को कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों को जारी पत्र में कहा है कि महत्वपूर्ण बैठक में अनुपस्थित रहना गंभीर विषय है।

केके पाठक जाएंगे सेंटर

जागरण की पहली खबर है: केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे केके पाठक। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे। राज्य सरकार ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार केंद्र में उनके प्रतिस्थापन की सूचना के तुरंत बाद सामान्य प्रशासन विभाग उन्हें विरमित किए जाने की अधिसूचना जारी करेगा। वह केंद्र में सचिव स्तर पर नियुक्त हो सकते हैं।

रामराज का संविधान?

हिन्दुस्तान की खबर है कि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं, रामलला कुटिया से निकल कर महल में आ गए, अब यहां रामराज आने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। उन्होंने इस पर सवाल किया कि यह तो ठीक है, लेकिन रामराज का संविधान क्या होगा? क्योंकि हमारे संविधान में तो रामराज की कोई कल्पना नहीं है। कहा कि वैसे भी हमारे समाज में आलीशान महल में विराजमान राम की कल्पना नहीं है। लोगों के दिल में तो जंगलों में कोल, भील, बानर, भालू के साथ विचरने वाले राम की तस्वीर है। शबरी का जूठा बैर खाने वाले राम लोगों के दिल में बसते हैं। सवाल किया कि जिस आलीशान महल का जिक्र केंद्रीय मंत्री कर रहे हैं, उसमें शबरी प्रवेश करने का साहस कैसे जुटाएगी? यह अजीब है कि दस वर्षों से देश का शासन चलाने वाले यह नहीं बताते हैं, इन दस वर्षों में कितने नौजवानों को रोजगार दिया। जिन किसानों को आमदनी दोगुना कर देने का वायदा किया था आज उन्हीं के साथ दिल्ली के बॉर्डर पर दुश्मन की तरह क्यों व्यवहार हो रहा है?

104 फलस्तीनियों की हत्या

भास्कर की खबर है: ग़ज़ा में आटा लेने जुटे लोगों पर इसराइली हमला, 104 की मौत। ग़ज़ा में इसराइली सेना द्वारा आम नागरिकों पर हमला करने का एक और मामला सामने आया है। ग़ज़ा सिटी में गुरुवार तड़के 4:30 बजे आटा और अन्य राहत सामग्री लेने के लिए इकट्ठा हुए सैकड़ो बच्चों और महिलाओं पर इसराइल सेना ने हमला किया। इस हमले में 104 निर्दोष फलस्तीनी लोग मारे गए और 760 से ज्यादा घायल हुए। ग़ज़ा में अब तक इसराइली सेना के हमले में मरने वालों की संख्या 30000 के पार पहुंच गई है।

अब्दुल करीम आतंक के आरोप से बरी

राजस्थान में अजमेर स्थित टाडा अदालत ने 1993 में अलग-अलग शहरों में हुए सीरियल ट्रेन बम धमाकों के आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को बरी कर दिया। 30 वर्ष पुराने मामले में दो अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी गई। न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता की अदालत में सीबीआई टुंडा पर आरोप सिद्ध नहीं कर पाई, जिसके बाद टुंडा को बरी किया गया। सीबीआई अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।

नफरती शो: चैनलों पर कार्रवाई

भास्कर की खबर है की न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड अथॉरिटी के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एके सीकरी ने कहा है कि हर अंतर धार्मिक विवाह को लव जिहाद कहना गलत है। जस्टिस सीकरी ने समाज में नफरत फैलाने व सांप्रदायिक सौहार्द खत्म करने वाले प्रोग्राम चलने वाले तीन टीवी चैनलों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। टाइम्स नाउ नवभारत पर एक लाख और न्यूज़ 18 इंडिया पर ₹50000 का जुर्माना लगाया गया है। आज तक को चेतावनी दी गई है। तीनों चैनलों को 7 दिन में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से विवादित वीडियो हटाने के आदेश दिए गए हैं। श्रद्धा वालकर मर्डर केस को लव जिहाद का नाम देकर मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने वाले शो करने पर न्यूज़ 18 के एंकर अमीश देवगन और अमन चोपड़ा जबकि टाइम्स नाऊ के एंकर हिमांशु दीक्षित के प्रोग्राम को अनुचित मान कर कार्रवाई की गई है।

अल्पसंख्यक आयोग और मदरसा बोर्ड भंग होंगे

जागरण की खबर है कि बिहार में चलने वाले मदरसा शिक्षा बोर्ड, संस्कृत शिक्षा बोर्ड के साथ ही अल्पसंख्यक, महिला और बाल श्रमिक आयोग भंग होंगे। गुरुवार को बिहार विधानसभा में इन आयोग और बोर्ड से संबंधित संशोधन विधेयकों को स्वीकृति मिल गई। सरकार आयोग से जुड़े मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त करेगी। प्रशासक सचिव स्तर के पदाधिकारी होंगे। आयोगों के विघटन के बाद उनके कामकाज के पुनर्गठन के लिए अपनाए जाने वाले उपायों के संबंध में सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित होगी।

कुछ और सुर्खियां

  • पश्चिम बंगाल के संदेशखाली का आरोपी शाहजहां शेख गिरफ्तार, टीएमसी से 6 साल के लिए निष्कासित
  • हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह विधायक अयोग्य घोषित
  • बिहार में पुरानी गाड़ियों का पहला स्क्रैप सेंटर बख्तियारपुर में खुला
  • बिहार सरकार ने माना, दाखिल खारिज के 7.70 लाख मामले हैं लटके
  • दारुल उलूम, देवबंद बंद नहीं करेगा फतवों की वेबसाइट
  • यूपी पेपर लीक कांड: नवगछिया जेल का सिपाही गिरफ्तार

अनछपी: क्या आईआईटी को स्कूलों में दोपहर का भोजन देने के लिए इस्तेमाल होने वाली थाली की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए? आपने ठीक पढ़ा आईआईटी यानी इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी। यह काम आईटीआई यानी इंडस्ट्रियल ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) को नहीं दिया गया है। मिड डे मील योजना के निदेशक मिथिलेश मिश्रा ने आईआईटी पटना के निदेशक को पत्र भेज कर यही आग्रह किया है। ध्यान रहे कि इस वित्तीय वर्ष में जिलों को थाली खरीदने की मद में 70 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। थाली जांच करने के लिए आईआईटी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि बच्चों के लिए स्टील थाली की सप्लाई जिला स्तर पर अलग-अलग एजेंसियों द्वारा की गयी है। मिड डे मील डायरेक्टरेट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि थाली का वजन समेत अन्य बातें मानक के अनुरूप हों। इसको लेकर ही नमूने की जांच कराया जा रहा है। आम समझ की बात यह है कि आईआईटी जैसे उच्च तकनीकी संस्थान के लिए थाली के वजन को जांचने का आग्रह करना कितना हास्यास्पद है। मिड डे मील योजना के डायरेक्टर की इस बात को मजाक समझ कर खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे पता चलता है कि सरकारी बाबू किस तरह सोचते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि आईआईटी पटना के निदेशक इस आग्रह को विनम्रता से ठुकरा देंगे। यह एक तरह का फैशन हो चला है कि किसी भी तरह की जांच में आईआईटी की मदद ली जाए। यह सुनने पढ़ने में भी बहुत अच्छा लगता है। लेकिन क्या उनसे थाली का वजन जांचने का काम लिया जाएगा? क्या आईआईटी का यह स्तर हो गया है? ध्यान रहे कि आईआईटी शिक्षकों की कमी और ऐसी दूसरी समस्याओं से खुद परेशान रहता है। इसके बावजूद यह बात समझ में आ सकने वाली है कि उससे तकनीकी मामलों में मदद ली जाए। सरकार को भी अपने बाबुओं को भी इस बात की ट्रेनिंग देनी चाहिए कि वह किन मामलों में किससे मदद लेने की उम्मीद रखें।

 

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