छ्पी-अनछपी: आर्टिकल 370 हटाने को सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा, मध्य प्रदेश में मोहन यादव होंगे सीएम

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान की आर्टिकल 370 को खत्म करने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराने की खबर सभी जगह छायी हुई है। इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आलेख सभी अखबारों में है। मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाए जाने की खबर को भी काफी तवज्जो मिली है।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: कश्मीर पर हर भारतीय का हक़। प्रभात खबर ने लिखा है: अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला सही। जागरण की मेन हेडलाइन है: सात दशक का दंश खत्म। हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: अनुच्छेद 370 को हटाना सही: कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सोमवार को सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो हिस्सों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है। पीठ ने केंद्र को जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया में तेजी लाने और चुनाव आयोग को वहां 30 सितंबर, 2024 तक चुनाव कराने का निर्देश भी दिया।  अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 22 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

“आंतरिक संप्रभुता नहीं थी”

अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी और भारतीय संविधान को वहां (जम्मू-कश्मीर में) लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं थी। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ‘अनुच्छेद-370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति को पूर्ववर्ती राज्य की संविधान सभा की गैर मौजूदगी में भी इसे रद्द करने का अधिकार था।

सत्य एवं सुलह आयोग की ज़रूरत

जागरण ने लिखा है: सत्य एवं सुलह आयोग बनाने की जरूरत। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर दिए गए अपने फैसले में जस्टिस संजय किशन कौल ने कश्मीरी पंडितों के पलायन का जिक्र किया। उन्होंने 1980 से राज्य में हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक सत्य और सलाह आयोग बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि सच से ही सलाह का रास्ता निकलेगा। श्रीनगर के मूल निवासी जस्टिस कॉल स्वयं भी कश्मीरी ब्राह्मण हैं। उन्होंने लिखा है कि राज्य एवं राज्य से बाहर के तत्वों द्वारा यहां के लोगों के विरुद्ध किए गए मानवाधिकारों के हनन की सामूहिक समझ विकसित करना ही मरहम लगाने की दिशा में पहला और निष्पक्ष प्रयास होगा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए गठित एक ऐसे ही आयोग का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर घाटी के विभिन्न वर्गों ने भी पहले ऐसा आयोग बनाने की मांग की थी।

किसने क्या कहा

  • न्यायालय का निर्णय ऐतिहासिक है। यह कानूनी फैसला नहीं, आशा की किरण है: नरेंद्र मोदी
  • फैसले से निराश हूं लेकिन निरुत्साहित नहीं। संघर्ष जारी रहेगा: उमर अब्दुल्ला
  • अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय मौत की सजा से काम नहीं: महबूबा मुफ्ती
  • अनुच्छेद 370 पर फैसले का स्वागत लेकिन कश्मीरी पंडितों की वापसी की गारंटी का क्या होगा: उद्धव ठाकरे
  • जम्मू कश्मीर के लोग फिर न्याय से वंचित रह गए: सज्जाद लोन
  • अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता पर फैसला करने के दौरान इससे जुड़े कई अहम सवाल अब भी अनुत्तरित रह गए: डी राजा
  • हम निराश हैं कि प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के सवाल पर विचार नहीं हुआ: पी चिदंबरम

उमर अब्दुल्ला व महबूबा नज़रबंद

जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेताओं ने सोमवार को अपने द्वारों पर लगी जंजीरों और तालों की तस्वीरें साझा करते हुए नजरबंद किए जाने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन दावों को खारिज कर दिया। पीडीपी ने एक्स पर पोस्ट किया, सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आवास के द्वार सील कर दिए हैं और उन्हें अवैध तरीके से नजरबंद कर दिया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी यही दावा किया।

मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री

मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे। वे उज्जैन दक्षिण से विधायक चुने गए हैं। सोमवार देर शाम उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। नई सरकार में दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर विधानसभा अध्यक्ष होंगे। भाजपा कार्यालय पर केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायक दल के नेता के तौर पर डॉ. मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा। पिछड़े वर्ग से आने वाले मोहन यादव शिवराज मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री थे।

बिहार में 31 हज़ार करोड़ के निवेश की तैयारी

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 31 हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू (करार) होगा। राजधानी पटना के ज्ञान भवन में 13 व 14 दिसंबर को आयोजित बिहार बिजनेस कनेक्ट 2023 में अडानी, गोदरेज, आईटीसी, आईओसीएल समेत देश-दुनिया के 600 उद्यमी व निवेशक शामिल होंगे। सोमवार को मुख्य सचिवालय में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी व उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संदीप पौंडरीक ने यह जानकारी साझा की।

कुछ और सुर्खियां

  • झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने भेजा छठा समन, आज पूछताछ के लिए बुलाया
  • लोकसभा की सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं महुआ मोइत्रा
  • सेंसेक्स पहली बार 70000 के स्तर पर पहुंचा
  • अग्रणी होम्स की कुर्क की गई संपत्ति नीलाम करेगा रेरा
  • ऑनलाइन आवेदन कर अब कृषि भूमि को करवा सकते हैं गैर कृषि
  • नवादा में हर घर गंगाजल का लोकार्पण 15 दिसंबर को होगा

अनछपी: 5 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने की घोषणा की थी। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे 22 अर्ज़ियां दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने लंबे इंतजार के बाद यह फैसला दिया कि सरकार का फैसला सही था। इस फैसले का जहां भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने स्वागत किया वहीं दूसरे नेताओं ने इस पर निराशा व्यक्त की। इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर के नेताओं की बेबसी देखी जा सकती है। भारतीय जनता पार्टी के नजदीक माने जाने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कहा कि इस फैसले से कोई भी खुश नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह कश्मीर के इतिहास में एक दुखद दिन है लेकिन लोगों को मनाना होगा क्योंकि अन्य रास्ता नहीं है। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस निर्णय को मौत की सजा से काम नहीं बताया। एक और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के दशकों लगे। वह भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। यह इस लड़ाई का परिणाम है कि कोर्ट के फैसले के दिन महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने दावा किया कि उन्हें नजरबंद किया गया है। अक्सर लोगों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अचंभा में डालने वाला नहीं है हालांकि इससे जम्मू कश्मीर के लोगों को जरूर मायूसी हुई है। इस केस को लड़ने वाले कपिल सिब्बल पहले ही कह चुके थे कि कुछ लड़ाई हारने के लिए लड़ी जाती है। अक्सर लोग यह ध्यान दिलाते हैं कि हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में ही फैसले दिए हैं। इससे पहले नोटबंदी का मामला हो या दिल्ली अध्यादेश विधेयक, दोनों मामले में केंद्र सरकार के पक्ष में ही फैसला गया। यही नहीं फ्रांस से राफेल विमान खरीदने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया। दूसरी और भारतीय जनता पार्टी कह सकती है कि अदालत उसके दृष्टिकोण को सही ठहरा रही है। लेकिन वास्तविकता यह है कि राजनीतिक फ़ैसलों में सुप्रीम कोर्ट बहुत दखल नहीं देता। उदाहरण के लिए आरक्षण की व्यवस्था भी कुछ समय के लिए ही की गई थी लेकिन अब तक चली आ रही है और जब तक राजनेता चाहेंगे यह व्यवस्था बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 के बारे में कहा कि यह अस्थाई व्यवस्था थी तो उसी तरह आरक्षण भी अस्थाई व्यवस्था थी। यह एक राजनीतिक लड़ाई है और जम्मू कश्मीर के लोगों को भी अपने हक के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी। कोर्ट से सवाल करना मुश्किल है लेकिन यह सवाल तो बनता है कि आखिर वहां चुनाव कराने के लिए सितंबर तक का लंबा समय क्यों दिया गया? इसी तरह यह भी पूछा जा सकता है कि कोर्ट ने इस बात पर फैसला क्यों नहीं दिया कि जम्मू कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनना सही था या नहीं।

 

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