छ्पी-अनछ्पी: जाति सर्वे पर अमित शाह की सफाई, साय बने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की पटना में हुई 26वीं बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जाति गणना पर भाजपा के रवैया को लेकर सफाई दी है। इस खबर को सभी जगह प्रमुखता मिली है। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री चुना है जिसे अच्छी कवरेज मिली है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: जाति आधारित सर्वे में रोड़े अटकाने की केंद्र सरकार की मंशा नहीं: शाह। प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: बिहार में जाति गणना का भाजपा ने किया था समर्थन: अमित शाह। केंद्रीय गृह व्यवस्था सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पूर्वी क्षेत्रीय समिति की बैठक के बाद राजकीय अतिथि शाला में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मीटिंग बहुत अच्छी रही। उन्होंने कहा, “जितने भी मुद्दे थे उसे पर कोई ना कोई निर्णय हुआ है। कुछ मुद्दों में कमेटी बनी है।” उन्होंने कहा कि जहां तक जातिगत सर्वे का सवाल है यह निर्णय तभी किया गया जब बीजेपी बिहार सरकार में हिस्सेदार थी। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित सर्वे में रोड़ा अटकाने की केंद्र सरकार की कभी मंशा नहीं रही।

मुसलमाओं का नाम क्यों लिया?

अमित शाह ने कहा की जाति सर्वे में मुसलमान और कुछ जाति विशेष को अधिक तवज्जो देकर छोटी व पिछड़ी जातियों से अन्याय करने का सवाल बार-बार उठ रहा है। उनके अनुसार कई सारी छोटी व पिछड़ी जातियों के डेलिगेशन भाजपा के साथ ही राजद और जड़ियों नेताओं से मिले हैं। उनका कहना है कि सारे उठे सवालों का तुरंत समाधान करना चाहिए। “अपने राजनीतिक फायदे के लिए किसी भी जाति के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए। अपनी राजनीति के लिए किसी समुदाय या जाति को फायदा भी नहीं पहुंचना चाहिए।”

नीतीश ने मांगा विशेष दर्जा

जागरण के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 से ही वह बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं। “लगातार विकास के बाद भी बिहार विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। बिहार विशेष राज्य के दर्जे की सभी शर्तों को पूरा करता है। अब तो जाति आधारित गणना में आए गरीबी और पिछड़ेपन के आंकड़े भी इसका समर्थन करते हैं।” मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में गृह मंत्री शाह से आग्रह किया कि विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में वह जरूर सोचें।

“75% आरक्षण को नवीं अनुसूची में शामिल करें”

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: नीतीश ने 75% आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में रखने की मांग की। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक में केंद्र से यह कहा गया कि बिहार के आरक्षण के बढ़े कुल 75 प्रतिशत कोटा को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65% कर दी गई है। “इसके लिए कानून पारित हो गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पहले से ही 10% आरक्षण है। कुल आरक्षण 75% हो गया है। हमने केंद्र सरकार से आरक्षण के नए कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने का अनुरोध किया है।”

स्वास्थ्य-शिक्षा की होगी समीक्षा

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बच्चों के स्वास्थ्य-शिक्षा की हर तीन माह पर समीक्षा होगी। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्यों में बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की हर तीन माह पर उच्चस्तरीय समीक्षा होगी। रविवार को गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पटना के सीएम सचिवालय में हुई परिषद की 26वीं बैठक में यह निर्णय हुआ। दोपहर दो बजे शुरू हुई बैठक करीब तीन घंटे तक चली। इसमें बच्चों में कुपोषण को दूर करने, स्कूलों में छीजन दर (ड्रॉपआउट) कम करने, आयुष्मान भारत योजना में सरकारी अस्पतालों की भागीदारी, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इसके शीघ्र निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का कार्यान्वयन आदि विषयों की हर तीन माह पर समीक्षा पर सहमति बनी।

विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के सीएम होंगे

भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री होंगे। वह छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी सीएम होंगे। भाजपा पदाधिकारियों ने रविवार को बताया कि पार्टी पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में पार्टी के नव निर्वाचित विधायक दल ने साय को अपना नेता चुना। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने साय के नाम का प्रस्ताव किया। ओबीसी वर्ग से आने वाले अरुण साव और सामान्य वर्ग से आने वाले विजय शर्मा उपमुख्यमंत्री होंगे, जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व संभालेंगे।

साहू के ठिकानों से मिले 350 करोड़, कांग्रेस ने मांगा जवाब

हिन्दुस्तान के अनुसार कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों से बरामद भारी नकदी की गिनती रविवार की रात 10 बजे पूरी हो गई। बताया जाता है कि गिनती में 353 करोड़ रुपये मिले हैं। बोलांगीर में 305 करोड़, संबलपुर में 37.50 करोड़ और टिटलागढ़ में 11 करोड़ रुपये गिने गये हैं। जब्त जेवरात का आकलन होना अभी बाकी है। आयकर विभाग अब सोमवार को आधिकारिक बयान जारी करेगा। मामले में कांग्रेस ने सांसद धीरज साहू से स्पष्टीकरण मांगा है। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय ने रविवार को रांची के कांग्रेस भवन में स्पष्ट किया कि पार्टी ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है। उनके अनुसार यह पूरा मामला सांसद धीरज साहू का निजी मामला है, इससे कांग्रेस को कोई लेना-देना नहीं है।

बांग्लादेश में प्रदर्शन

प्रभात खबर की सुर्खी है: बांग्लादेश में विपक्षी दल का विरोध प्रदर्शन, चुनाव का करेंगे बहिष्कार। बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर रविवार को विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया। देश में 7 जनवरी को आम चुनाव होने हैं। विपक्ष का कहना है कि यह चुनाव गैर पक्षपात पूर्ण व कार्यवाहक सरकार के तहत होना चाहिए। विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें नहीं लगता की हसीना की निगरानी में निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव हो सकता है। पार्टी ने अवामी लीग सरकार पर सैकड़ों विपक्षी नेताओं को जेल में डालने और आलोचकों को चुप करने का आरोप लगाते हुए चुनाव का बहिष्कार किया है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी चुनाव का बहिष्कार कर रही है। ऐसे में देश में मतदाताओं के पास प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग को लगातार चौथी बार फिर से निर्वाचित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

मायावती ने भतीजे को बनाया वारिस

हिन्दुस्तान के अनुसाए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर अपनी विरासत उन्हें सौंप दी है। रविवार को लखनऊ में विभिन्न राज्यों से आए पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में उन्होंने यह ऐलान किया। साथ ही कहा कि पार्टी के भीतर संशय को खत्म करने के लिए उन्होंने यह फैसला किया है। लखनऊ बैठक में मायावती ने कहा कि उन्होंने जब भी पार्टी के नेता को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, तो वह खुद को उनका उत्तराधिकारी समझने लगा। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ भी वह इसी तरह पेश आते थे। इससे पार्टी में एक संशय पैदा हो रहा था। उन्होंने आकाश को उत्तराधिकारी घोषित किया।

कुछ और सुर्खियां

  • इंडिया गठबंधन की अगली बैठक दिल्ली में 19 दिसंबर को होगी
  • कैमूर में अपराधियों ने गैस कटर से एटीएम बॉक्स काटा, ले भागे 17 लाख रुपये
  • अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
  • शिक्षक भर्ती का पूरक रिजल्ट जारी, 2773 चयनित
  • बाढ़ के पंडारक थाना क्षेत्र में झोपड़ी में आग लगने से दो बच्चे जिंदा जले

अनछपी: केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर अमित शाह ने पटना में रविवार को बिहार में जातीय सर्वे के बारे में उन्हीं बातों को दोहराया है जो भाजपा के दूसरे नेता उनसे पहले कहते आए हैं। ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग यह थी कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराए मगर केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा ने यह मांग अस्वीकार कर दी। इसके बाद बिहार में जातीय सर्वे करने का फैसला हुआ जिसका भारतीय जनता पार्टी ने मजबूरी में समर्थन किया था। इस समर्थन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने जातीय सर्वे पर सवाल भी खड़े किए थे। अब अमित शाह जातीय सर्वे पर दो तरह का रुख अपना रहे हैं। एक तो वह इसके विरोध में कुछ नहीं कहना चाहते लेकिन इसके साथ ही इस सर्वे पर सवाल भी खड़े करते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की यह मांग रही है कि अगर भारतीय जनता पार्टी जातीय सर्वे के समर्थन में है तो वह अपने द्वारा शासित राज्यों में भी ऐसा ही सर्वे कराए और केंद्र स्तर पर जातीय जनगणना कराए। यह कहना काफी नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में जातीय सर्वे का समर्थन किया बल्कि उन्हें इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि केंद्र सरकार जातीय सर्वे क्यों नहीं कराने को तैयार है। अमित शाह इससे पहले मधुबनी के कार्यक्रम में भी जातीय सर्वे में मुसलमानों और यादवों की संख्या पर बोल चुके हैं। इस बार उन्होंने मुसलमान के अलावा किसी अन्य जाति का नाम नहीं लिया हालांकि बतौर समूह उनके बारे में जरूर बात की। वास्तविकता यह है कि अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी इस पूरे सर्वे के परिणाम पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्हें यह बताना चाहिए कि मुसलमान की संख्या पर उन्हें क्यों और क्या आपत्ति है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस बात का जवाब देना चाहिए कि आखिर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को मुसलमान की संख्या पर आपत्ति क्यों है।

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