छ्पी-अनछ्पी: सुशील मोदी नहीं रहे, चाबहार बंदरगाह पर भारत-ईरान में समझौता

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 11 साल तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का सोमवार की रात साढ़े नौ बजे दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। आज के अखबारों में सुशील मोदी से जुड़ी खबरों की अच्छी कवरेज है। चाबहार बंदरगाह पर भारत और ईरान में महत्वपूर्ण समझौता हुआ है हालांकि इसकी कवरेज इतनी अच्छी नहीं है। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में भी कम मतदान हुआ है। सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं का रिजल्ट निकाल दिया है।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है कि बिहार की सियासत के युगपुरुष सुशील कुमार मोदी का सोमवार को निधन हो गया। करीब तीन दशक से बिहार भाजपा की धुरी रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी यूरिनरी ब्लैडर के कैंसर से पीड़ित थे। सोमवार रात 9 बजकर 29 मिनट पर उन्होंने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर पटना लाया जाएगा और यहीं अंतिम संस्कार होगा। सुशील मोदी को 9 अप्रैल को एम्स दिल्ली में भर्ती किया गया था। सुशील मोदी ने जीएसटी कानून बनाने और उसे लागू करवाने में अहम भूमिका निभाई। 72 वर्षीय सुशील मोदी अपने पीछे पत्नी जेसी मोदी, दो पुत्र उत्कर्ष तथागत एवं अक्षय अमृतांशु समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं। सुशील मोदी पिछले छह महीने से गले के कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि उन्होंने इसी वर्ष 3 अप्रैल को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी बीमारी को सार्वजनिक किया था।
किसने क्या कहा
● मित्र सुशील मोदी का निधन अत्यंत दुखद: नरेंद्र मोदी
● सच्चा दोस्त और कर्मठ राजनेता खो दिया: नीतीश कुमार
● हमने संघर्ष और आंदोलन का साथी खो दिया: लालू प्रसाद
● राजनीति का एक कोना खाली हो गया: शिवानंद तिवारी
चाबहार पर समझौता
भारत और ईरान ने सोमवार को चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहेस्ती टर्मिनल के संचालन के लिए एक दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में ईरान में इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के मैरीटाइम आर्गेनाइजेशन (पीएमओ) के बीच यह समझौता हुआ। विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, इस अनुबंध से भारत का अफगानिस्तान, कैसपियन सागर और मध्य एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय संपर्क बढ़ेगा। अनुबंध के तहत आईपीजीएल अनुबंध की अवधि के दौरान बंदरगाह को और अधिक सुसज्जित और संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध होगा। 10 साल की अवधि के अंत में दोनों पक्ष चाबहार में अपना सहयोग और बढ़ाएंगे। आईपीजीएल बंदरगाह को सुसज्जित करने में लगभग 12 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा।
बिहार में 57 प्रतिशत मतदान
जागरण की सबसे बड़ी खबर है कि बिहार में लोकसभा की पांच सीटों पर सोमवार को चौथे चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में कुल 57% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 2019 के आम चुनाव में बिहार के इन पांच सीटों पर 59.20% मतदान हुआ था। देशभर में चौथे चरण में भी पहले तीन चरणों की तरह 2019 के मुकाबले में कम वोट पड़े। हालांकि सोमवार को नौ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की 96 सीटों पर मतदान कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रहा। इसके साथ ही चरणों में 380 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई। इस बार लोकसभा की 96 सीटों पर 63.004% मतदान हुआ जो पिछली बार से कम है। 2019 के चुनाव में इन सीटों पर 69.12% वोटिंग हुई थी।
सीबीएसई की 10वीं 12वीं का रिजल्ट
भास्कर की दूसरी बड़ी सुर्खी है: बेटियां इस बार भी बेहतर लेकिन पासिंग परसेंटेज पिछले साल से कम। सीबीएसई ने शुक्रवार को 12वीं और्व10वीं का रिजल्ट जारी किया। पटना जोन के स्टूडेंट्स का प्रदर्शन पिछले साल से खराब रहा। 12वीं में पटना जोन के 83.59% स्टूडेंट्स सफल हुए जबकि पिछले साल 85.47% स्टूडेंट्स पास हुए थे। पटना जोन का रिजल्ट पिछले साल की तुलना में 1.88% कम रहा। 10वीं में पटना जोन से 92.91% विद्यार्थी सफल हुए जो पिछले बार से 1.6% कम है। इस साल दसवीं में बिहार से 92.89% व 12वीं में 79.22% विद्यार्थियों में सफलता हासिल की। दसवीं का यह परिणाम पिछले साल की तुलना में 1.73% और और 12वीं में 3.29% कम है। 12वीं में लड़कियों का पास प्रतिशत 85.63 रहा जबकि लड़कों का 75.45 रहा।
रजिस्ट्री के लिए दाखिल खारिज की शर्त पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बगैर जमाबंदी (दाखिल खारिज) और होल्डिंग के जमीन की खरीद बिक्री नहीं होने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। हालांकि इस मामले में उच्चतम न्यायालय विस्तृत सुनवाई सितम्बर में करेगा। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने एसएलपी (सिविल) पर सुनवाई के बाद अपना आदेश दिया।
पाकिस्तान को चूड़ियां पहना देंगे: मोदी
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार प्रवास के दूसरे दिन सोमवार को तीन सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में दावा किया कि इस बार के चुनाव में एनडीए को 400 से अधिक सीटें मिलेंगी। उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला का नाम लिए बिना उनके बयान पर कहा- कहते हैं कि पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं। “अरे भाई, हम पहना देंगे। उनको आटा भी चाहिए, बिजली भी नहीं है। अब हमको मालूम नहीं था कि उनके पास चूड़ियां भी नहीं हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे किसी वारिस का नाम आए आप नहीं बता सकते।
कुछ और सुर्खियां
● भाकपा माले के पूर्व विधायक मनोज मंजिल को हत्या के केस में हाई कोर्ट से जमानत
● शादी के सवाल पर बोले कांग्रेस नेता राहुल गांधी- अब जल्दी करनी पड़ेगी
● 25 जून से होगी अग्निवीर भर्ती, 11 जिलों के युवा हिस्सा लेंगे
● 16 मई से 30 जून तक सुबह की पाली में खुलेंगे सरकारी स्कूल
● वैध टिकट पर ही रेल हादसे में मुआवजे का अधिकार: पटना हाई कोर्ट
● आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली में आरोप लगाया- सीएम हाउस में उनसे मारपीट हुई
● पीओके में हालात पर काबू करने के लिए रेंजर्स की तैनाती
अनछ्पी: सुशील कुमार मोदी ने जब 3 अप्रैल को यह बताया था कि उन्हें कैंसर है तो शायद किसी को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि वह इतनी जल्दी अलविदा कह देंगे। कैंसर की पहचान अगर देर से हो तो जिंदगी बचाना बहुत मुश्किल काम हो जाता है और इस लड़ाई में सुशील कुमार मोदी भी जूझने के बाद अंततः हार गए। सुशील कुमार मोदी भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करते थे लेकिन हमारे समाज में किसी की मौत के बाद उसके बारे में अच्छी बातें कहने का रिवाज है इसलिए हम आज उनकी कुछ अच्छाइयों की चर्चा करेंगे। पार्टी के स्तर पर भी सुशील कुमार मोदी हिंदू-मुसलमान के बारे में वैसा बयान नहीं देते थे जिसके लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बदनाम हैं। उनके बयानों में भाजपा की सांप्रदायिकता तो थी लेकिन व्यक्तिगत नफरत नहीं झलकती थी। उनका कोई बयान ऐसा याद नहीं आता जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई हो। शायद इसका एक कारण यह भी रहा हो कि वह नीतीश कुमार के काफी नजदीकी थे और ऐसे बयानों से बचते थे। सुशील कुमार मोदी की दूसरी खूबी यह थी कि वह काफी मिलनसार माने जाते थे और पत्रकारों को बयान देने या जानकारी देने में कभी पीछे नहीं हटते थे। उनकी ही पार्टी के उनसे कम कद वाले नेता जितने भाव में रहते थे, उससे सुशील कुमार मोदी की सरलता का अंदाजा लगाया जा सकता था। सुशील कुमार मोदी की एक और खूबी आर्थिक मामलों में उनकी जानकारी की थी। सुशील मोदी लंबे समय तक बिहार के डिप्टी सीएम के साथ-साथ वित्त मंत्री भी रहे और ऐसा माना जाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी आर्थिक जानकारी भारतीय जनता पार्टी के दूसरे नेताओं से बेहतर थी। कई लोगों का यह मानना है कि सुशील मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने वह स्थान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। उदाहरण के लिए 2020 में जब दोबारा भारतीय जनता पार्टी के साथ नीतीश कुमार ने सरकार बनाई तो उन्हें डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया गया और दो दूसरे अनजान नेताओं को डिप्टी सीएम बनाया गया। इसी तरह उन्हें राज्यसभा तो भेजा गया लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई स्थान नहीं दिया गया। सुशील कुमार मोदी लालू प्रसाद के घोर विरोधी थे और उनके खिलाफ उन्होंने चारा घोटाला की लंबी लड़ाई भी लड़ी लेकिन दोनों के व्यक्तिगत संबंध ऐसे जरूर थे कि लालू प्रसाद ने भी कहा कि उन्होंने आंदोलन का एक साथी को दिया। सुशील कुमार मोदी को भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं में गिना जाएगा जिनके बयानों में नफरत की झलक कम मिलती थी।

 

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