छ्पी-अनछपी: तेजस्वी बोले- इस बार हमारी सरकार, 25 लाख लोग बाढ़ से घिरे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि इस बार उनकी सरकार बनने जा रही है। बिहार के कई जिलों में 25 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से घिरे हुए हैं। पटना एम्स के दो डॉक्टरों पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर के लिए जरूरी दस्तावेजों को सही ठहराया है।

और, जानिएगा कि राष्ट्रपति से सम्मानित मुखिया के घर पर शराब तस्करी के मामले में ईडी ने छापेमारी की।

पहली ख़बर

प्रभात खबर के अनुसार तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा है कि इस बार महा गठबंधन को बहुमत मिलने जा रहा है। यह स्थिर सरकार होगी। जनता स्थिर सरकार और नौजवान नेता चाहती है। उनकी सरकार की प्राथमिकता में युवा और उनके लिए शिक्षा तथा रोजगार के साधन मुहैया कराना होगा। विधि व्यवस्था पर कोई समझौता नहीं होगा। सरकार बनने के 72 घंटे में यह जमीन पर दिखने भी लगेगा। तेजस्वी ने आश्वस्त होकर कहा कि 122 से पार जाएगा गठबंधन का आंकड़ा। उनका कहना था कि प्रदेश में 2012 के बाद कोई भी सरकार 5 साल नहीं चल सकी है। इसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। विकास के एजेंडे पर तेजस्वी यादव ने कहा कि हम सबको साथ लेकर चलेंगे। युवाओं की कोई जाति नहीं होती। उनकी शिक्षा, रोजगार इलाज और घूमने फिरने की जगह यही होगी तो पलायन थमेगा। तेजस्वी ने यह बातें प्रभात खबर के साथ एक इंटरव्यू में कही है।

25 लाख लोग बाढ़ से घिरे

जागरण के अनुसार बिहार में गंगा नदी के किनारे के 10 जिलों में बाढ़ से 54 प्रखंडों की 348 पंचायत की 25 लाख आबादी प्रभावित हुई है। इनमें पटना भोजपुर सारण वैशाली बेगूसराय लखीसराय मुंगेर खगड़िया भागलपुर और कटिहार जिले की आबादी विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे राहत एवं बचत कार्यों की समीक्षा की।

पटना एम्स के दो डॉक्टरों पर एफआईआर

भास्कर के अनुसार पटना एम्स में फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने के बड़े मामले में बुधवार को सीबीआई ने आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ बिंदे कुमार के घर पर छापेमारी की। आरोप है कि उनके बेटे ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर उस समय एम्स में नौकरी पाई जब वे वहां तैनात थे। छापेमारी के दौरान बाप बेटा दोनों फरार हो गए। सीबीआई डॉक्टर बिंदे कुमार व पटना एम्स के तत्कालीन डीन डॉक्टर प्रेम कुमार के बेटों को नामजद किया है। डॉक्टर कुमार हर्षित राज बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति व आइजीआईएमएस में निदेशक डॉक्टर बिंदे कुमार के बेटे हैं। डॉ प्रेम कुमार के बेटे डॉ कुमार सिद्धार्थ पर भी केस हुआ है। सीबीआई ने डॉक्टर बिंदे कुमार और डॉक्टर प्रेम कुमार की सर्विस बुक की भी मांग की है।

वोटर लिस्ट पर कांग्रेस और बीजेपी में घमासान

हिन्दुस्तान के अनुसार मतदाता सूची को लेकर सरकार और विपक्ष में बुधवार को जुबानी जंग और तेज हो गई। कांग्रेस ने जहां वीडियो जारी कर चुनाव आयोग को ‘इलेक्शन चोरी आयोग’ बताया, वहीं भाजपा ने रायबरेली और वायनाड सहित कई संसदीय सीटों पर मतदाता पंजीकरण में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए राहुल सहित कई अन्य विपक्षी नेताओं का इस्तीफा मांगा। कांग्रेस ने बुधवार को मतदाता सूची विवाद पर अपना अभियान तेज करते हुए एक मिनट का वीडियो जारी किया। इसके जरिये पार्टी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यह वीडियो साझा कर लोगों से कांग्रेस के अभियान के साथ जुड़ने की अपील की।

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर के लिए जरूरी दस्तावेजों को सही ठहराया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि मतदाता सूची ‘स्थिर’ नहीं रह सकती और उसका संशोधन होना ही चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब एसआईआर को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि चुनावी राज्य बिहार में एसआईआर का कोई कानूनी आधार नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्य बागची की पीठ ने कहा, एसआईआर के लिए जारी 11 दस्तावेजों की अनिवार्यता मतदाता अनुकूल है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि दस्तावेजों की संख्या भले ही अधिक हो, लेकिन उनका कवरेज कम है।

राष्ट्रपति से सम्मानित मुखिया के घर पर शराब तस्करी के मामले में छापेमारी

अवैध शराब तस्करी और आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को बिहार सहित चार राज्यों में सात ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी ने मुजफ्फरपुर, झारखंड के रांची, हरियाणा के गुरुग्राम और अरुणाचल के नाहरलागुन और नामसाई जिलों में आरोपियों के ठिकानों को खंगाला। मुजफ्फरपुर में राष्ट्रपति से सम्मानित मुखिया बबिता देवी के घर भी छापेमारी हुई। इस दौरान शराब के अवैध कारोबार से जुड़े कई दस्तावेज व इलेक्ट्रॉनिक प्रमाण जब्त किए गये। ईडी सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई शराब तस्करी के मुख्य सरगना सुनील भारद्वाज और उसके करीबियों पर केंद्रित रही। ईडी ने मुजफ्फरपुर में बिशनपुर वघनगरी मॉडल पंचायत की मुखिया बबिता देवी के आवास पर जांच की। मुखिया के घर पर मौजूद दस्तावेज, बैंक खातों, प्रॉपर्टी डीड और अन्य वित्तीय लेन-देन को खंगाला गया।

कुछ और सुर्खियां:

  • एचडीएफसी बैंक ने अपने बचत खाते के लिए मासिक मिनिमम एवरेज बैलेंस ₹10000 से बढ़कर ₹25000 की
  • आईसीआईसीआई बैंक ने मिनिमम एवरेज बैलेंस को बढ़ाकर ₹50000 करने का फैसला वापस लिया, अब ₹15000 की जरूरत
  • एनएचएआई ने 15 अगस्त से प्राइवेट गाड़ियों के लिए 3000 के फास्टैग पर 200 टोल पार करने की सुविधा दी
  • जदयू सांसद अजय कुमार मंडल ने अपनी ही पार्टी के विधायक गोपाल मंडल के खिलाफ मानहानि की एफआईआर दर्ज कराई
  • पटना, बेगूसराय, सीवान, सहरसा और मधेपुरा में बनेगा इंडस्ट्रियल हब

अनछपी: बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद अब तक जो कुछ हुआ है उसके बारे में एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने डिबेट के अंत में यह शेर पढ़ा:

हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन

ख़ाक हो जाएंगे हम तुम को ख़बर होते तक

10 जुलाई को जब इस मामले में पहली बार सुनवाई हुई तो एक जज ने कहा था कि जो दस्तावेज चुनाव आयोग मांग रहा है वह उनके लिए भी तुरंत देना मुश्किल होगा। अब 13 अगस्त की सुनवाई के दिन सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि जो दस्तावेज चुनाव आयोग मांग रहा है वह मतदाताओं के अनुकूल है या वोटर फ्रेंडली है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान यह भी कहा है कि अगर उसे लगेगा कि एसआईआर की प्रक्रिया गड़बड़ है तो वह उसे सितंबर में भी रद्द कर सकता है। लेकिन 10 जुलाई से 13 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेजों के बारे में अपने बयान में जिस तरह बदलाव लाया है उससे आम लोगों के दिल में कई तरह के शक और सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज कि यह राय है कि जो दस्तावेज मांगे गए हैं वह वोटर फ्रेंडली हैं लेकिन धरातल पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि दरअसल इस तरह के दस्तावेज बहुत कम लोगों के पास उपलब्ध हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा था कि वह मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आधार और राशन कार्ड को भी मान्यता दे लेकिन चुनाव आयोग ने इससे इनकार कर दिया तो उसके बाद ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट भी अपनी वह बात भूल गया है। यह भी लगता है कि सुप्रीम कोर्ट से यह बहस लगभग बाहर हो गई है कि आधार कार्ड और राशन कार्ड को वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए जरूरी दस्तावेजों में शामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट को जिस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान देना है वह यह है कि बिहार विधानसभा के चुनाव के लिए अब बहुत कम दिन बचे हैं और अगर इस मामले में मतदाताओं के पक्ष में कोई फैसला नहीं आता है तो बड़े पैमाने पर सही वोटर भी लिस्ट में शामिल नहीं हो पाएंगे और लोगों को इस बात का अफसोस रहेगा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया।

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