छ्पी-अनछपी: तिरुपति मंदिर में भगदड़ से छह मरे, भारत ने शेख हसीना का वीजा समय बढ़ाया
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति मंदिर में टोकन लेने के दौरान हुई भगदड़ में छह लोगों की मौत हो गई। भारत ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के वीजा का समय बढ़ा दिया है। बिहार समेत उत्तर भारत में लोग शीतलहर से परेशान चल रहे हैं। वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बनी जेपीसी की पहली ही बैठक में काफी तीखी बहस हुई है।
हिन्दुस्तान के अनुसार तिरुपति मंदिर में बुधवार रात भगदड़ मचने से तीन महिलाओं सहित छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई। 40 से ज्यादा भक्त घायल हो गए। हादसा बैकुंठ द्वार दर्शनम का टोकन लेने के दौरान अफरातफरी मचने से हुआ। उस वक्त मौके पर लगभग चार हजार लोग मौजूद थे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि टोकन लेने के लिए मौके पर हुजूम उमड़ पड़ा था। इसी बीच वहां धक्का-मुक्की होने लगी। देखते ही देखते भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने लगे। इससे कई लोगों का दम घुट गया। भगदड़ में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द, वीजा का समय बाद
जागरण के अनुसार भारत ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की वीजा अवधि बढ़ा दी है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब बांग्लादेश उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। वहां की सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया है। बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस बारे में भारत का कहना है कि शेख हसीना को राजनीतिक शरण नहीं दी गई है लेकिन उनके दिल्ली प्रवास को सुविधाजनक बनाने के लिए वीजा में विस्तार दिया गया है।
बिहार में और बढ़ेगी ठंड
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में गुरुवार और शुक्रवार को ठंड में बढ़ोतरी होगी। उत्तरी पछुआ के प्रवाह बढ़ने से न्यूनतम तापमान में तीन डिग्री तक की कमी दर्ज की जाएगी। हालांकि पछुआ की तेजी से कोहरे की सघनता में कमी आने के आसार हैं। सुबह में आंशिक कोहरा रहेगा। दिन में धूप खिलने के बावजूद सिहरन (कनकनी) में बढ़ोतरी होगी। मौसम विभाग के अनुसार दस जनवरी को हिमालयी क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ की दस्तक होगी। इसके एक दिन बाद बिहार के मौसम में बदलाव होगा। 11 से न्यूनतम तापमान और 12 जनवरी से कोहरा बढ़ने का पूर्वानुमान किया है।
उत्तर भारत में शीतलहर से भारी परेशानी
उत्तर भारत में शीतलहर का कहर जारी है। हरियाणा, यूपी, झारखंड में कड़ाके की ठंड और कोहरे से जनजीवन अस्त व्यस्त है। पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और ऊटी में बर्फबारी से लोग बेहाल है। आईएमडी के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ के कारण 10 से 12 जनवरी के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के कई इलाकों में बारिश की संभावना है। पंजाब और हरियाणा में बुधवार की सुबह कई स्थानों पर घना कोहरा छाया रहा तथा दोनों राज्यों में ठंड की स्थिति बनी रही। कश्मीर घाटी में ठंड बढ़ गई है और रात का तापमान शून्य से नीचे चला गया है। जम्मू-कश्मीर में पारा माइनस में दर्ज किया गया।
वन नेशन, वन इलेक्शन की बैठक में तीखी बहस
जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ करने को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में लाए गए दो संविधान संशोधन विधेयकों पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मंगलवार को हुई पहली बैठक ही हंगामेदार रही। भाजपा और सहयोगी दलों ने जहां एक साथ चुनाव कराने की पुरजोर पैरवी की। दूसरी ओर विपक्षी दलों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। पूर्व कानून मंत्री और भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता में गठित जेपीसी के 39 सदस्यों में 37 सदस्य इस बैठक में शामिल हुए।
दल बदलू विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से आगरा
जागरण के अनुसार महागठबंधन ने अपने उन छह विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव से एक बार फिर आग्रह किया है जो एनडीए के पाले में चले गए हैं। राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी के नेतृत्व में महागठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर बजट सत्र से पहले इस संदर्भ में निर्णय लेने का आग्रह किया। इसके साथ ही विधानसभा में राजद के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने बुधवार को अपनी पार्टी के चार विधायकों प्रह्लाद यादव, नीलम देवी, संगीता कुमारी और चेतन आनंद की सदस्यता समाप्त करने के लिए अध्यक्ष को तीसरी बार पत्र भी लिखा है। शेष दो मुरारी प्रसाद गौतम व सिद्धार्थ सौरभ कांग्रेस के विधायक हैं। मुरारी महागठबंधन की सरकार में मंत्री हुआ करते थे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि दल बदल करने वाले विधायकों को नोटिस दिया गया है। उनसे उत्तर नहीं मिला है। दोबारा नोटिस भेजा जाएगा।
कुछ और सुर्खियां
- तेजस्वी का वादा, बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो गैस सिलिंडर ₹500 में
- गया जिले के छकरबंधा जंगल में पहाड़ की गुफा में मिली आईईडी बनाने की मिनी फैक्ट्री
- संविधान सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने 18 जनवरी को पटना आएंगे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी
- भोजपुर पुलिस ने एक लाख के इनामी अपराधी बेलाल मियां को पटना से पकड़ा
- राजगीर में हाइवा ने ऑटो रिक्शा को रौंदा, एक महिला समेत तीन की मौत
- प्रसिद्ध पत्रकार और फ़िल्म निर्माता प्रीतीश नन्दी का निधन
अनछपी: बिहार में पिछले साल कुल छह विधायक अपनी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन कर दल-बदल क़ानून की धज्जियां उड़ाते हुए एनडीए के खेमे में शामिल हो गए लेकिन उनकी सदस्यता अब तक रद्द नहीं हुई। बहुत से लोग तो यह भूल भी गए होंगे कि बिहार में दल-बदल क़ानून के तहत कोई कार्रवाई होनी थी। दल-बदल क़ानून के तहत यह दल बदलने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष को करनी होती है लेकिन बिहार के विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, जो भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, इस मामले में अबतक कोई कार्रवाई नहीं कर सके हैं। नंदकिशोर यादव ने दलील दी है कि दल बदलने के मामले में सभी छह विधायकों को नोटिस दिया गया है। उनका कहना है कि दल बदलने वाले विधायकों ने अब तक नोटिस का जवाब नहीं दिया है। विधानसभा अध्यक्ष से जब इस बारे में आग्रह किया गया तो उन्होंने कहा कि दल बदलने वाले विधायकों को दोबारा नोटिस दिया जाएगा। इस मामले में यह बताना भी जरूरी है कि राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को अपने दल बदलने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग में जितनी तेजी दिखानी चाहिए उसने नहीं दिखाई। अगर विधानसभा अध्यक्ष दल बदलने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो प्रभावित दलों को कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना चाहिए था, और वह अब भी ऐसा कर सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की विधानसभा अध्यक्ष दरअसल दल बदल कानून में जो लूपहोल है उसका राजनीतिक अनैतिकता के साथ इस्तेमाल करते हुए दल बदलने वाले विधायकों को राहत दे रहे हैं। बात केवल बिहार की नहीं, इससे पहले महाराष्ट्र में भी यही खेल खेला गया है। बिहार में यह खेल चल रहा है कि इस मामले को तब तक टाला जाए जब तक कि विधानसभा चुनाव 2025 के लिए घोषणा न हो जाए। इस तरह दल बदलने के बावजूद दल बदलने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं होगी। सवाल यह है, फिर ऐसे दल बदल कानून का क्या फायदा?
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