जमाअते इस्लामी समेत कई धार्मिक संस्थाएं कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए आईं आगे
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बिहार में क़हर बरपा रखा है। इसकी वजह से प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा चरमरा सा गया है। अस्पतालों में बेड नहीं है, आॅक्सीजन की कमी है। बाज़ार से ज़रूरी दवाएं ग़ायब हैं। एम्बुलेंस सर्विस नाकाफ़ी है। इसके अलावा कालाबाज़ारी और लूट ने तो जैसे लोगों को घोर निराशा के अंधकार में ढकेल दिया है। ऐसे में कई धार्मिक संगठन आशा की किरण बन कर उभरे हैं। ये सभी धर्म और जाति की संकीर्णता से ऊपर उठकर मानव सेवा में लगे हैं।
इनमें से एक है जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार। जमाअते इस्लामी ने पिछले 23 अप्रील से पूरे बिहार में फ्ऱी आॅनलाइन मेडिकल काउंसिलिंग सेवा शुरू ही है। इसके माध्यम से मरीज़ डाॅक्टर से संपर्क करते हैं और डाॅक्टर उन्हें दवा और इलाज तज्वीज़ करते हैं। इसके अलावा, जमाअत इस्लामी लोगों को दवाएं और आॅक्सीजन सिलिंडर भी उपलब्ध करा रही है। ज़रूरतमंदों के बीच फूड किट का भी वितरण किया गया है। जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिज़वान अहमद इस्लाही ने लोगों से अपील की है कि वे जमाअत के कोविड रीलीफ़ फंड में सहयोग करके मानवता की सेवा में शरीक हों।
दूसरी तरफ़ पटना स्थित महावीर मंदिर ने फ्ऱी में आॅक्सीजन उपलब्ध कराने की सेवा शुरू की है। इसके लिए ज़रूरतमंद को आॅनलाइन बुकिंग करानी होती है और साथ में सिलिंडर लेकर जाना होता है।
गुरूदद्वारा प्रबंधक समिति पटना साहिब के तत्वावधान में पटना सिटी स्थित कंगन घाट गुरुद्वारा में मेडिकल आॅक्सीजन रिफ़ीलिंग सेवा शुरू की गई है। यहां से चैबीसो घंटे आॅक्सीजन रिफीलिंग की मुफ़्त सेवा दी जा रही है। इसके साथ ही लंगर सेवा भी जारी है। गुरुनानक मिशनरी सेंटर के संयुक्त सचिव सरदार तिरलोक सिंह कहते हैं कि राजधानी के फ्ऱेज़र रोड स्थित गुरूद्वारा से भी लंगर सेवा जारी है। उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से सारे होटल बंद हैं। ऐसे में मुसाफ़िरों को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए पटना जंक्शन और और आसपास के इलाक़ों में यात्रियों और ज़रूरतमंदों के बीच फूड पैकेट तक़सीम किया जा रहा है।
शायरे मशरिक़ अल्लामा इक़बाल ने ठीक ही कहा था कि मज़हब नहीं सिखाता आपस मंें बैर रखना। कोविड महामारी के दौरान आज जिस तरह से मज़हबी एदारे मानवता की सेवा में लगे हैं, उससे तो यही पता चलता है कि सच्चा मज़हब दिलों को जोड़ता है, तोड़ता नहीं।
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