छ्पी-अनछपी: सेहत के 21743 करोड़ खर्च नहीं कर सकी बिहार सरकार, छह राज्यों में एनआईए के छापे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार सरकार वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान सेहत के बजट से 21743 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर सकी। एनआईए ने साइबर ठगी के लिए कंबोडिया ले जाने के मामले में 6 राज्यों में छापेमारी की है। बिहार विधानसभा में उस समय हंगामा मच गया जब मुख्यमंत्री की सीट पर बैठने के लिए राजद विधायक भाई वीरेंद्र पहुंच गए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि खिलाड़ियों को चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट के लिए पाकिस्तान जाना चाहिए।

यह हैं आज के अखबारों से चुनी हुईं खास खबरें।

भास्कर की सुर्खी है: स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, फिर भी 21743 करोड़ खर्च नहीं कर सकी सरकार। अख़बार लिखता है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ‘सीएजी’ ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के खराब हालात बताए हैं। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य व्यवस्था के इंतजाम के हर पहलू की पोल खोलती है। बताती है कि कैसे राज्य में डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ के आधे पद खाली हैं। ज्यादातर अस्पतालों में जरूरी दवाई नहीं थी। कहीं ओटी नहीं था, कहीं यह बंद था तो जहां-था वेंटीलेटर भी यूं ही पड़ा मिला। राज्य के अक्सर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जरूरी मशीनों के कमी और उसकी खराबी का भी जिक्र है। ऐसा नहीं है कि इस बदहाली के पीछे पैसे की कमी रही। रिपोर्ट बताती है कि स्वास्थ्य विभाग 21743 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाया। स्वास्थ्य विभाग के पास वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक 69790 करोड़ रुपए थे लेकिन यह 21743 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर सका।

छह राज्यों में एनआईए की छापेमारी

जागरण के अनुसार साइबर ठगी के लिए युवाओं को कंबोडिया ले जाने वाले गिरोह के नेटवर्क पर एनआईए का शिकंजा कस गया है। जुलाई में एफआईआर दर्ज करने के बाद एनआईए ने गिरोह से जुड़े छह राज्यों में 22 स्थानों पर गुरुवार को छापा मारा। छापे में युवाओं के साथ धोखाधड़ी के अहम साक्ष्य मिलने का दावा किया गया है। पीड़ितों ने कंबोडिया पहुंचने पर साइबर ठगी से मना करने पर बिजली के झटके तक की यातना देने का आरोप लगाया है। एनआईए की टीम ने गोपालगंज जिले के पांच स्थानों पर छापेमारी की। निशाने पर बेरोजगारों को अच्छी नौकरी का झांसा देकर विदेश भेजने वाले एक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी के संचालक एवं उसके एजेंट रहे। शहर के आर्य नगर मोहल्ले में अरबियन टूर एंड ट्रेवल्स के संचालक सुनील कुमार के घर से 36 लाख रुपए नकद व कई पासपोर्ट जब्त किए गए।

नीतीश की सीट लेने पहुंचे भाई वीरेंद्र

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार विधानसभा में गुरुवार को उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गयी, जब राजद के भाई वीरेन्द्र नेता सदन (मुख्यमंत्री) की सीट पर बैठने के लिए बढ़ गए। वे सीट तक पहुंच भी गए, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तत्काल घेर लिया और सदन से बाहर निकाला। इस बीच राजद के कई विधायक सत्ताधारी विधायकों की सीट पर आकर बैठ भी गए। सत्तापक्ष की ओर से इसका तीखा विरोध हुआ। भाजपा के जनक सिंह से राजद विधायकों की तीखी झड़प हुई और विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव के हस्तक्षेप से हालात हाथापाई तक पहुंचते-पहुंचते रह गयी। दरअसल, पहली पाली में प्रश्नोत्तर काल खत्म होते ही राजद के आलोक मेहता ने बागी विधायकों की सीटिंग व्यवस्था को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वे अपने स्थान पर नहीं हैं। यही नहीं, कई लोग तो मंत्री वाली सीटों पर भी बैठे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अपनी सीट पर बैठने को कहा और फिर सभा मेज पर कागजात रखने का कार्य प्रारंभ हो गया।

दल तय करेगा कौन कहां बैठेंगे: तेजस्वी

विपक्ष प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने दल के बागी विधायकों के बैठने की व्यवस्था पर कहा कि हमारे विधायक कहां बैठेंगे, यह दल तय करेगा। या तो विधानसभा अध्यक्ष बागी विधायकों को लेकर हमारी शिकायत पर कार्रवाई करें या फिर उनके बैठने की व्यवस्था हमारे साथ ही करें।

तेजस्वी ने कहा, प्रधानमंत्री ने बिरयानी खाई तो खिलाड़ी क्यों नहीं जा सकते पाकिस्तान

जागरण के अनुसार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के विवाद के कारण चैंपियंस ट्रॉफी का शेड्यूल अब तक तय नहीं हो पाया है। दरअसल भारत सरकार ने तय किया है कि वह भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान नहीं भेजेगी। सरकार के इस रुख को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सही नहीं मानते। उनका स्पष्ट कहना है कि खेल में राजनीति को नहीं घसीटना चाहिए। जीत के जज्बे के साथ भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान का दौरा करना चाहिए। इसी के साथ उन्होंने सरकार पर कटाक्ष भी किया है। कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिरयानी खाने के लिए पाकिस्तान जा सकते हैं तो भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान क्यों नहीं जा सकती। सन 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के दौरे पर गए थे।

बिहार ज्यूडिशियल सर्विस के रिजल्ट में लड़कियों का बोलबाला

हिन्दुस्तान के अनुसार बीपीएससी ने 32वीं बिहार न्यायिक सेवा का परिणाम जारी कर दिया है। इसमें 153 अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से चयनित किया गया है। टॉपर हर्षिता सिंह बनी है। दूसरे स्थान पर सुकृति अग्रवाल, तीसरे पर सुप्रिया गुप्ता, चौथे पर शांभवी, पांचवें पर शिल्पी रानी और छठा स्थान शिवानी श्रीवास्तव को मिला। टॉप 20 में 16 महिलाएं हैं। इस बार के रिजल्ट में महिलाओं का प्रदर्शन शानदार रहा है। पूरे रिजल्ट में भी 75 महिलाओं का चयन हुआ है। मुख्य परीक्षा में 1489 अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे। इनमें 463 को सफल घोषित किया गया था। साक्षात्कार में चार अनुपस्थित रहे। साक्षात्कार के बाद 153 सफल उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी किया गया है।

निकाह तय होने पर लिव इन पार्टनर की हत्या

जागरण के अनुसार उत्तर प्रदेश के नोएडा में लिव इन पार्टनर सूर्यकांत शाक्य ने गला दबाकर एक युवती खुशबू खातून की हत्या कर दी। उसके बाद शव कमरे में छोड़कर फरार हो गया। प्राथमिक जांच में पता चला है कि युवती का निकाह उसकी मौसी के बेटे से तय होने को लेकर दोनों के बीच विवाद चल रहा था। इसे लेकर ही मंगलवार रात विवाद बढ़ा तो उसने उस युवती की हत्या कर दी। डीसीपी सेंट्रल शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि सीतामढ़ी की खुशबू छिजारसी में कासगंज के सूर्यकांत शाक्य के साथ लिव इन रिलेशन में रहती थी। जांच में खुशबू के दो माह पहले तक दिल्ली में बुआ वहीदा खातून के साथ रहने का पता चला। वहीदा खातून ने सूर्यकांत पर हत्या का आरोप लगाया तो उसे पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। खुशबू सीतामढ़ी जिले के नानपुर थाना क्षेत्र के नानपुर उत्तरी गांव के अब्दुल मन्नान की बेटी थी। फरवरी में उसका निकाह होने वाला था।

कुछ और सुर्खियां

  • अरवल से पटना आ रही बारातियों की स्कॉर्पियो नहर में डूबी, दूल्हे के बहन-बहनोई समेत चार लोगों की मौत
  • हेमंत सोरेन ने चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली
  • महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का नाम तय, जल्द हो सकता है ऐलान
  • वक़्फ़ संशोधन बिल के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति ‘जेपीसी’ का समय बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा से पास
  • दरभंगा के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफ़िसर और डिस्ट्रिक प्रोग्राम ऑफ़िसर सस्पेंड
  • बांग्लादेश में इस्कॉन पर पाबंदी लगाने की अर्जी को हाईकोर्ट ने ठुकराया

अनछपी: बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में शिकायतें तो मिलती रहती हैं लेकिन अब सीएजी के पटना दफ्तर ने अपनी रिपोर्ट में भी कई गड़बड़ियों और कमियों को उजागर किया है। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की बहाली ना होना को इस रिपोर्ट की मदद से समझा जा सकता है। इसके अलावा सरकार अपने ही बजट में तय 21 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की रकम खर्च नहीं कर सकी। यह पता नहीं चल पाया कि इन रुपयों को को किस मद में खर्च किया जाना था लेकिन इतना जरूर है कि बिहार की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं जबकि इतने सारे पैसे इस्तेमाल के लिए थे। इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में लगभग सवा लाख डॉक्टरों की जरूरत थी लेकिन केवल 58000 डॉक्टर ही बहाल किए जा सके। इस रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, राज्य औषधि नियंत्रक, खाद्य सुरक्षा, आयुष और मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में 49% पद खाली रहे। दिलचस्प बात यह है कि यह रिपोर्ट तैयार तो सीएजी करती है लेकिन इसे पेश सरकार ही करती है। मगर ऐसा लगता है कि ना तो सरकार इस रिपोर्ट को लेकर गंभीर है और ना ही विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए तैयार है। रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रखने की औपचारिकता निभाने के अलावा इस पर कोई गंभीर चर्चा सुनने को नहीं मिलती। माना जाता है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को गिराने में तत्कालीन सीएजी विनोद राय की रिपोर्ट का बहुत बड़ा हाथ था। हालांकि उस रिपोर्ट पर बाद में बहुत विवाद हुआ था लेकिन आजकल जो रिपोर्ट जारी की जाती है उसका कोई असर नहीं देखा जाता। बिहार में पिछले 19-20 साल में बिहार सरकार में स्वास्थ्य विभाग ज्यादातर समय भारतीय जनता पार्टी के मंत्री के पास रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्री स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बड़े-बड़े दावे करते हैं तो उन्हें इस रिपोर्ट का जवाब देना चाहिए और उसी हिसाब से सुधार की कोशिश तेज करनी चाहिए।

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