छ्पी-अनछपी: 64 लाख नाम ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर करेगा चुनाव आयोग, फलस्तीन को फ्रांस देगा मान्यता

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। चुनाव आयोग ने 25 जुलाई को जो जानकारी दी है उसके मुताबिक 64 लाख से ज्यादा मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से हटेगा। नरसंहार और भुखमरी झेल रहे फलस्तीन को फ्रांस ने मान्यता देने का फैसला किया है। बिहार विधान मंडल का अंतिम सत्र हंगामे के साथ शुरू हुआ और हंगामे के साथ खत्म हो गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने माना है की जाति गणना ना कराना गलती थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि युवाओं की आत्महत्याएं व्यवस्थागत सफलता को दर्शाती हैं।

और जानिएगा कि बिहार विधान परिषद में राबड़ी देवी जब हाय-हाय बोलीं तो नीतीश ने कहा खाएं खाएं।

पहली खबर

भास्कर के अनुसार बिहार की मतदाता सूची के विशेष ग्रहण परीक्षण एस ए आर का पहला चरण शुक्रवार को पूरा हो गया। निर्वाचन आयोग ने बताया है कि अब तक 22 लाख मृतकों, 7 लाख डुप्लीकेट वोटर का पता चला है। वहीं 35 लाख मतदाता या तो स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं या 24 जून से उनका पता नहीं चल सका है। आयोग ने 64 लाख मतदाताओं की अलग सूची तैयार की है। ऐसे में कुल 64 लाख नाम मतदाता ड्राफ्ट सूची से बाहर होंगे। निर्वाचन आयोग के उपनिदेशक पी पवन ने बताया कि राज्य में कुल 7 करोड़ 89 लाख 69844 मतदाता हैं। इनमें 7 करोड़ 23 लाख में गणना प्रपत्र जमा कर दिए हैं। 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारूप सूची में उनके ही नाम आएंगे। बिहार के 99.8% मतदाताओं का फॉर्म जमा किया जा चुका है। इसके  डिजिटलीकरण का काम पूरा हो गया है। 1.2 लाख मतदाताओं के गणना फॉर्म नहीं मिले हैं। फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख 26 जुलाई है। चुनाव आयोग का कहना है कि जिन मतदाताओं ने फॉर्म नहीं भरे हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है और जो स्थाई रूप से पलायन कर गए हैं उनकी सूची 20 जुलाई को 12 दलों से साझा की गई है ताकि 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाले मसौदा सूची में त्रुटि को सुधारा जा सके।

फ़लस्तीन को मान्यता देगा फ़्रांस

जागरण के अनुसार फ्रांस फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र आमसभा की बैठक में फलस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है। भारत समेत 140 देश फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहले ही मान्यता दे चुके हैं। भारत ने 1988 में मान्यता दी थी। राष्ट्रपति मैक्रों ने उम्मीद जताई कि फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने से पश्चिम एशिया में शांति की संभावना पैदा होगी। मैक्रों ने यह घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की है। उन्होंने इस आशय का वह पत्र भी साझा किया जो फलस्तीनी प्राधिकार के राष्ट्रपति महमूद अब्बास को भेजा है। फ्रांस की इस योजना से अमेरिका और इसराइल भड़क उठे हैं। इसराइल ने इसे आतंकवाद को मान्यता देने और उसके समक्ष समर्पण करने वाला कदम बताया है जबकि अमेरिका ने कहा है कि फ्रांस की घोषणा 7 अक्टूबर 2023 की घटना के पीड़ितों के मुंह पर तमाचा है।

बिहार विधान मंडल: हंगामे से शुरू हंगामा पर खत्म

जागरण के अनुसार हंगामा के साथ शुरू हुआ बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को इसी दशा में समाप्त हो गया। दिन भर में कुल 19 मिनट कार्यवाही चली। महागठबंधन से जुड़े दल राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीएम और सीपीआई के सदस्य गहन मतदाता पुनरीक्षण के विरोध में सोमवार से काला कपड़ा पहन कर सदन में आ रहे थे। वे इसी कपड़े में शुक्रवार को भी सदन में आए। नारेबाजी की। परिणाम यह निकला कि प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही 5 मिनट में ही समाप्त हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस रवैया के लिए विपक्ष पर करारा प्रहार किया। उन्होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और विपक्ष की बेंच की ओर इशारा कर कहा सरकार ने कितना काम किया कुछ पता है आपको? उन्होंने विपक्ष के हंगामा पर सवाल किया और कहा कि पहले ऐसा नहीं होता था। एकाध बार लोग हंगामा करते थे। फिर कार्यवाही शांतिपूर्ण चलती थी पर अब यह लोग उल्टा पुल्टा कर रहे हैं।

लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही ठप रही

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन लोकसभा और राज्यसभा ठप रही। एक बार स्थगन के बाद लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। उधर, राज्यसभा भी हंगामे के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित रही। लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की वर्षगांठ का उल्लेख किया। इसके बाद सदन ने इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ पल का मौन रखा। इसके बाद जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कराया, विपक्षी दलों के सदस्य एसआईआर वापस लो के नारे लगाने लगाते हुए आसन के करीब आ गए।

जाति गणना न कराना गलती थी: राहुल

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से अपनी शक्ति को पहचानने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ओबीसी जब अपनी शक्ति पहचान लेगा, तो तस्वीर पलट जाएगी। इसके साथ उन्होंने यह खेद भी जताया कि वह पहले ओबीसी हितों की उतनी रक्षा नहीं कर पाए, जितनी उन्हें करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना नहीं करवा पाना, उनकी गलती थी और वह उसे दोगुनी ताकत से सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी शुक्रवार को तालकटोरा स्टेडियम में भागीदारी न्याय सम्मेलन में बोल रहे थे।

छात्रों का जान देना संकट: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शैक्षिक संस्थानों में विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में बढ़ोतरी पर चिंता जताई। शीर्ष कोर्ट ने इसे गंभीर संकट मानते हुए इससे निपटने के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश जारी किए। केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर 90 दिनों में पालन रिपोर्ट पेश करनी होगी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि देश में छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रभावी कानूनी ढांचे की कमी है, खासकर स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों में।

राबड़ी की हाय-हाय और नीतीश की खाएं खाएं

भास्कर के अनुसार बिहार विधान परिषद में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी सरकार है-है का नारा लगा रही थीं। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तंज करते हुए जवाब दिया यह खाएं खाए हैं। यह खाएं हैं। राबड़ी ने पलटवार करते हुए कहा कि जनता के सवालों का जवाब दीजिए। नीतीश ने राबड़ी की तरफ इशारा करते हुए विपक्षी विधायकों से कहा, उनके कहने पर सभी एक तरह से कपड़े पहन कर आए हैं।

कुछ और सुर्खियां:

  • बेगूसराय की पहसरा पूर्वी पंचायत के पीर नगर में सेप्टिक टैंक की शटरिंग खोलने के दौरान दो भाइयों की मौत
  • मालदीव के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कम ब्याज दर पर 5000 करोड़ रुपए का क़र्ज़ देगा भारत
  • नवादा के सिरदला आंचल में दाखिल खारिज के लिए ₹50000 घूस लेते राजस्व कर्मचारी गिरफ्तार
  • विदेशी पूंजी की लगातार निकासी के बीच शेयरों में भारी बिकवाली होने से सेंसेक्स 721 अंक लुढ़का, 6 लाख करोड़ रुपए डूबे
  • राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत
  • बोधगया के बीएमपी 3 में होमगार्ड बहाली के लिए आई एक लड़की के साथ एंबुलेंस में गैंगरेप, दौड़ के दौरान बेहोश हो गई थी

अनछपी: अदालतों से लोग इंसाफ की उम्मीद करते हैं लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीपीएम द्वारा एक याचिका को खारिज करते हुए फलस्तीन के पीड़ित लोगों को इंसाफ दिलाने की कोशिश के बारे में जो टिप्पणी की है वह बेहद अफसोसनाक है और ऐसा लगता है कि अदालत को वहां के हालात की जानकारी नहीं है या फिर मानवता के लिए उसके पास कोई और परिभाषा है। सीपीएम की इस याचिका में ग़ज़ा में जारी नरसंहार के खिलाफ मुंबई के आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से पुलिस के इनकार को चुनौती दी गई थी। पुलिस को सरकार चलाती है और सरकार जिस पार्टी की है उस हिसाब से फैसला होता है लेकिन अदालत को तो पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर फैसला देना होता है। लेकिन अदालत ने इस मामले में अपने फैसले में जो बातें कही हैं वह एक खास राजनीतिक रुझान से मिलती जुलती लगती हैं। अदालत का कहना है कि देश में पहले से ही बहुत समस्याएं हैं और इसने याचिकाकर्ता को अदूरदर्शी बताया। अदालत ने देशभक्त बनने का फरमान सुनाते हुए ग़ज़ा के लिए आवाज उठाने के संदर्भ में कहा कि यह देशभक्ति नहीं है। एक स्वतंत्र नागरिक के रूप में हम यह सवाल कर सकते हैं कि क्या देशभक्ति का मतलब यह होता है कि दुनिया के किसी हिस्से में नरसंहार चल रहा हो तो उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाए? अगर किसी इंसानी आबादी को भुखमरी पर मजबूर कर दिया जाए तो उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाए? अगर किसी देश के दमन के कारण हजारों बच्चे उस आबादी में भूख और दवा के बिना दम तोड़ रहे हों तो उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाए? देशभक्ति को इतना सीमित करना सही मालूम नहीं होता है। अदालत ने बिन मांगे यह सलाह भी दे दी कि कचरा डंपिंग, प्रदूषण सीवरेज बाढ़ जैसे मुद्दों को उठा सकते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि आप इन मुद्दों पर नहीं बल्कि देश से हजारों मील दूर हो रही किसी घटना का विरोध कर रहे हैं। अखबार के अनुसार अदालत ने प्रस्तावित प्रदर्शन के विदेश नीति पर होने वाले प्रभाव की और इंगित करते हुए कहा कि आपको नहीं पता कि इसके क्या परिणाम हो सकते हैं? ध्यान रहे कि भारत ने फलस्तीन को मान्यता दे रखी है और अब फ्रांस भी उसे मान्यता देने जा रहा है। भारत भी फलस्तीन में राहत सामग्री भेजने वाले देशों में शामिल है। यह बहुत अफसोस की बात है कि मानवता के लिए प्रदर्शन करने को अदालत ने उस देशभक्ति से जोड़कर इजाजत नहीं दी जिसका दायरा बहुत सीमित लगता है। देशभक्ति का कोई भी रूप इंसान पर होने वाले जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं रोक सकता। अगर देशभक्ति के नाम पर ऐसी आवाज को दबाया जाता है तो वह देशभक्ति नहीं, कुछ और है।

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