हम बिहारी आपके अमर्यादित व्यवहार पर शर्मिंदा हैं मिस्टर रविशंकर!
सैयद जावेद हसन
संसद के नये भवन के निर्माण पर लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। जैसा कि सरकार का दावा है, इसकी डिजाइनिंग और साज-सज्जा पर हर एंगल से ध्यान दिया गया है। इसके बावजूद विपक्षी सदस्यों को यहां आकर राहत महसूस नहीं होती।
कांग्रेस के सीनीयर लीडर जयराम रमेश इसे ‘मोदी मल्टीप्लेक्स’ या मोदी मैरियट’ का नाम देते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर वो कहते हैं कि ‘अगर वास्तुकला लोकतंत्र को खत्म कर सकती है तो संविधान को फिर से लिखे बिना ही प्रधानमंत्री इसमें सफल हो गए हैं।’
जयराम रमेश की इस टिप्पणी पर बिहार में पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद आग बबूला हो गए। उन्होंने फौरन एक वीडियो रिकॉर्ड कराकर जयराम रमेश को खरी खोटी सुना दी। उन्होंने कहा कि, ‘यहां जो संसद बनी है, सही मायनों में मेड इन इंडिया है। इसको लेकर जयराम रमेश, जो राहुल गांधी के बहुत नजदीकी हैं और मीडिया विभाग के हेड हैं, क्या कहा है….इसे ‘मोदी मल्टीप्लेक्स’ या मोदी मैरियट’ कहा जाना चाहिए।’
रविशंकर आगे चीखते हुए कहते हैं, ‘क्या मतलब है इसका? कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रमुख भारत की संसद को ऐसे अपमानित करेंगे?
लेकिन रविशंकर प्रसाद का गुस्सा तब हंसी में तब्दील हो गया था जब संसद के इसी नये भवन में रमेश विधूड़ी दानिश अली को गालियां देकर अपमानित कर रहे थे। पेश से वकील रविशंकर इन गालियों को शायद जोक समझ रहे थे।
संसद से पिछले वृहस्पितिवार को वायरल हुए वीडियो क्लिप ने रविशंकर प्रसाद के चेहरे पर से नकाब हटा दिया है। यह नकाब है उस रविशंकर प्रसाद के चेहरे का जिन्होंने कानून मंत्री रहते हुए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनवाया। इस कानून को वो मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने वाला बताते रहे हैं। लेकिन जब ऐसी ही किसी मुस्लिम महिला के बेटे, शौहर, भाई या बाप की शक्ल में मौजूद बसपा के दानिश अली को भाजपाई एमपी रमेश विधूड़ी गालियां दे रहे थे तब रविशंकार प्रसाद बेशर्मी से उन गालियों का आनंद ले रहे थे।
इस घटना पर टेलीग्राफ ने जो हेडलाइइन लगाई वो गौर तलब है। उसने लिखा, ‘शेमगोल- वह दिन जब न्याय और सुशासन के प्रतीक को गरिमापूर्ण सदन में बदशक्ल कर दिया गया।’
दर्शकों को याद होगा कि पीएम मोदी ने 28 मई को इसी नई संसद में बड़े धूमधड़ाके के साथ सेंगोल को स्थापित किया था। महज चार महीने में ही सेंगोल ‘शेमगोल’ में तब्दील हो गया।
21 सितंबर को लोकसभा में हुई घटना पर सोशल मीडिया ‘एक्स’ यूजर्स ने रविशंकर प्रसाद को जमकर ट्रोल किया है और यह सिलसिला अब भी जारी है।
अनिमेश कुमार संगही ने पूछा है- ‘असल भड़वा कॉन? जो माहौल देख मुकर गया या जो माहौल देख हंस गया।
वेंकट नागेश कहते हैं- ‘महान रविशंकर कहकहे लगा रहे हैं। भाजपा के बेशर्म सांसद!’
गौरव चक्रवर्ती कहते हैं कि ‘यह नहीं समझ लेना चाहिए कि यह किसी खास मेम्बर की तरफ से किया गया हमला है। रविशंकर प्रसाद और हर्षवर्धन का मुस्कुराता चेहरा सबकुछ बयान कर देता है।’
रागा जननायक ने कहा कि ‘रविशंकर और हर्षवर्धन को लगा कि ये गालियां मजाकिया और बेहद फनी हैं।’
सुमंत कुमार कहते हैं- ‘अधर्म को मूक बनकर जो निहारे जाते हैं, भीष्म हों, द्रोण हों या कर्ण, सब मारे जाते हैं।’
अपूर्वा मनु सोलंकी सवाल करते हैं, ‘दुर्योधन अपशब्द कह रहा था, सभासद हंस रहे थे और राजा धृतराष्ट्र मौन थे। ये कौरवों की सभा थी या राम का दरबार था?
जया सिंह ने रविशंकर और हर्षवर्धन के बारे में कहा, ‘कल को कोई इनको गाली देगा तो कौन सपोर्ट में खड़ा होगा? इनके कर्म ऐसे करो कि मरने के बाद भी याद रहे।’
डॉ. शिखा कौशिक नूतन ने रविशंकर को निशाधा साध कर कहा, ‘बस अमर्यादित टिप्पणी पर मुस्कुराकर अपना विरोध जता देता हूं।’
गौर तलब है कि ये सभी यूजर्स हिन्दू हैं। इनकी टिप्पियों से साफ जाहिर होता है कि उन्हें रविशंकर और हर्षवर्धन का आचरण बिलकुल पसंद नहीं आया।
हालांकि रविशंकर ने ‘एक्स’ पर कहा है कि-‘संसद के अंदर और संसद के बाहर हमने हमेशा मर्यादित आचरण का समर्थन किया है और मैं स्वयं भी इसका पालन करता हूं। मैं ऐसी किसी भी टिप्पणी का समर्थन नहीं करता जो अमर्यादित है।’
सच तो यह है कि रविशंकर ने अमर्यादित व्यवहार किया है। उनके व्यवहार में दोहरापन है। इसके लिए हरेक बिहारवासी को शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए क्योंकि बिहार सर्वधर्म संभाव वाला प्रदेश है और साम्प्रदायिक एकता के लिए मशहूर है।
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