अफ़सर सिखाते हैं, ‘सीएम नीतीश से कहो, इतना टेस्टी भोजन कभी नहीं खाया’

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों वर्चुअल मोड में हैं। वर्चुअल माध्यम से कभी अस्पतालों में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा करते हैं तो कभी कम्युनिटी किचेन का जायज़ा लेते हैं। पटना समेत कई ज़िलों में कार्यरत कम्युनिटी किचेन की सूरतेहाल से वे अवगत हो चुके हैं। किचेन में बन रहे भोजन की गुणवत्ता, मात्रा और स्वाद की जानकारी हासिल कर चुके हैं। हर जगह लाभुक उन्हें बताते हैं कि ऐसा खाना तो उन्होंने अपने जीवन में कभी खाया ही नहीं। मिसाल के तौर पर सीएम ने जहानाबाद ज़िले की हाजरा से पूछा कि खाना में क्या मिलता है, खाना कैसा है? तो हाजरा बोली, ‘चावल, दाल, सब्ज़ी, अचार, पापड़, सलाद। अईसा खाना तो आज तक खाए ही नहीं थे।’

दूसरी तरफ़ पटना जिले के केदार ने कहा कि दोनों टाइम खाते हैं सर। ऐसा खाना तो कभी घर में भी नहीं मिला था।

ख़ास बात ये है कि सीएम के वर्चुअल दौरे के वक़्त संबंधित ज़िले के डीएम और अन्य अधिकारी काफ़ी एक्टिव रहते हैं। लैपटाॅप और कैमरे से सबकुछ दिखाते रहते हैं। अगले दिन अख़बारों में बड़ी-बड़ी हेडलाइन के साथ कम्युनिटी किचेन की खूबियां छपती हैं। लाभुकों के बयान कोट किए जाते हैं।

लेकिन सीएम के वर्चुअल दौरे के दौरान ज़िक्र किए गए स्वादिष्ट भोजन का मज़ा किरकिरा तब हो जाता है, जब उसकी असलियत सामने आ जाती है। उर्दू अख़बार इंक़्लाब ने एक रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट के अनुसार, हाजीपुर में डीएम की मौजूदगी में अफ़सरों ने सीएम को खुश करने के लिए लाभुकों से झूठ बुलवाया। यहां के एक कम्युनिटी किचेन से वायरल एक वीडियो के हवाले से कहा गया है कि अफ़सरों ने लाभुकों को टेªंड किया था कि सीएम के पूछने पर क्या कहना है और कितना कहना है।

बिहार के विभिन्न ज़िलों में कम्युनिटी किचेन खोलने का मक़सद लाॅकडाउन का शिकार और बेरोज़गार हुए लोगों को दो वक़्त का खाना मुहैया कराना है। इसके अलावा कोविड मरीज़ों के परिवार तक, उनके घर बैठे, भोजन उपलब्ध कराना भी है।

लेकिन अगर इसमें भी लोगों को मैनेज करके घपलेबाज़ी शुरू कर दी जाए तो आखि़र असली भूखे कहां जाएंगे?

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