छ्पी-अनछपी: बीड़ी और बिहार को जोड़ने पर सियासत, ऑनलाइन गेम्स से 25 लाख बच्चे मनोरोगी
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कांग्रेस की केरल इकाई द्वारा जीएसटी घटाए जाने पर बी फ़ॉर बीड़ी, बी फ़ॉर बिहार लिखे जाने को लेकर एनडीए के नेताओं को बयान बाजी का एक और मौका मिल गया। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑनलाइन गेम से बिहार के 25 लाख बच्चे मनोरोग का सामना कर रहे हैं। एनआईए ने अमृतसर मंदिर पर हमले के मामले में एक आरोपित को गया से गिरफ्तार किया है। मोकामा में ट्रेन की एक बोगी से कोच अटेंडेंट का अपहरण कर लिया गया है।
और, जानिएगा कि दरिया-ए-नूर क्या है और इसके बारे में ताजा जानकारी क्या है।
पहली ख़बर
जागरण के अनुसार कांग्रेस की केरल इकाई ने अपने एक्स हैंडल से शुक्रवार को जीएसटी 2 में केंद्र सरकार द्वारा राहत दिए जाने को बिहार और बीड़ी से जोड़ते हुए तीखा कटाक्ष किया। इस पर एनडीए नेताओं ने कांग्रेस को घेरा। यही नहीं कांग्रेस की किरकिरी हुई तो पोस्ट को हटा लिया गया। बीड़ी पर जीएसटी 28% से घटकर 18% करने और सिगरेट और तंबाकू पर 28% से बढ़कर 40% किए जाने पर कांग्रेस की केरल इकाई ने कहा था कि बीड़ी और बिहारी बी से शुरू होते हैं। इस पर एनडीए नेताओं ने कांग्रेस को घेरा। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कांग्रेस के एक्स हैंडल को टैग करते हुए पलटवार किया। उन्होंने लिखा, “पहले हमारे पीएम नरेंद्र मोदी की माता का अपमान और अब बिहार का अपमान। यही है कांग्रेस का असली चरित्र जो बार-बार देश के सामने उजागर हो रहा है।” जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने लिखा कि यह कांग्रेस की एक और अत्यंत शर्मनाक हरकत है। उन्होंने कहा कि आपको बता दें कि बी से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है जो आपके पास नहीं है। इधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने बीड़ी से बिहार की तुलना पर सफाई दी कहा कि कांग्रेस की केरल इकाई का एक्स हैंडल पर किया गया पोस्ट हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी की भावना आहत हुई है तो हम क्षमा मांगते हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने उस पोस्ट को नहीं देखा है लेकिन बिहार के स्वाभिमान से खिलवाड़ करना किसी के लिए सही नहीं है।
ऑनलाइन गेम्स से 25 लाख बच्चे मनोरोगी
हिन्दुस्तान की खास ख़बर है कि ऑनलाइन गेम्स खेलकर पैसे कमाने की बुरी लत से बिहार में 25 लाख बच्चे मानसिक बीमारी के शिकार हो गए हैं। इसका असर उनके कॅरियर और पठन-पाठन पर हो रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। आयोग के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन गेम्स पर रोक के पहले बिहार से करीब 35 लाख बच्चे इसमें दांव लगा रहे थे। इन्हें इसकी ऐसी आदत लग गई थी कि 35 लाख में से 25 लाख बच्चे (70%) मानसिक समस्या ग्रस्त हैं। गेम्स जीतने के लिए ये बच्चे अपना पॉकेट खर्च लगाने के बाद घर से पैसे चुराते थे। कर्ज लेने के मामले भी मिले हैं। दूर संचार विभाग ने हाल में 155 ऐसे गेम्स पर रोक लगा दी है। लेकिन, बच्चे खेलना चाहते हैं। बता दें कि दस दिन पहले केंद्र ने ऑनलाइन गेमिंग पर रोक लगा दी। इसके बाद आयोग ने किशोरों के बीच 25 से 30 अगस्त तक ऑनलाइन सर्वे कराया। इसमें राज्य के 10 से 18 साल के 35 लाख किशोर शामिल हुए। इनमें 25 लाख ने माना कि गेम्स बंद होने से उन्हें मानसिक तनाव है। एक साल में पांच करोड़ से अधिक की राशि बच्चों ने ऑनलाइन पैसेवाले गेम्स में गंवाए।
अमृतसर मंदिर पर हमले के मामले में आरोपित गिरफ्तार
जागरण के अनुसार इस साल मार्च में अमृतसर मंदिर पर हुए ग्रेनेड हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए घटना के मुख्य आरोपीतों में से एक संदिग्ध आतंकी शरणजीत कुमार उर्फ सनी को शुक्रवार को गया से गिरफ्तार कर लिया। वह पंजाब के गुरदासपुर जिले के बाटला के भैनी बांगर कादियां का निवासी है। एनआईए ने गुप्त सूचना पर उसे गया के शेरघाटी इलाके के लाइन होटल से गिरफ्तार किया है। शेरघाटी के थाना प्रभारी अजीत कुमार ने भी शरणजीत की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। एनआईए के अनुसार गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी शरणजीत कुमार 15 मार्च को अमृतसर मंदिर पर ग्रेनेड से हुए आतंकवादी हमले की साजिश और उसे अंजाम देने में सक्रिय रूप से शामिल था।
मोकामा से ट्रेन के कोच अटेंडेंट का अपहरण
भास्कर के अनुसार हटिया से पटना आ रही 18622 पाटलिपुत्र एक्सप्रेस की एसी बोगी B5 से अपराधियों ने कोच अटेंडेंट राकेश कुमार को पिस्तौल के बल पर ट्रेन से उतारा, फिर अपहरण कर लिया। विरोध करने पर चार-पांच अपहरण कर्ताओं ने एक दो राउंड फायरिंग भी की। इसके बाद वे राकेश को मारपीट करते हुए ले गए। घटना शुक्रवार को सेहरी हॉल्ट और बाढ़ स्टेशन के बीच दिन के करीब 11:45 हुई। अपहरण करने के बाद अपराधी उसे पास के बगीचे में ले गए। रेल पुलिस को जब तक सूचना मिलती अपहरणकर्ताओं का गैंग राकेश को लेकर कहीं निकल गया। राकेश मूल रूप से बंगाल के चितरंजन के रहने वाले हैं। इसके बारे में बाढ़ जीआरपी में केस दर्ज किया गया है।
कोहिनूर का जोड़ीदार दरिया-ए-नूर
दुनिया में दो नायाब हीरे हुए। एक कोहिनूर और दूसरा दरिया-ए-नूर। कोहिनूर का इतिहास और वर्तमान सबके सामने है, मगर नूर के दरिया का वर्तमान अभी रहस्य बना हुआ है। उम्मीद है कि 117 साल से कथित तौर पर बांग्लादेश के बैंक की तिजोरी में रखा ये हीरा फिर सामने आए। वित्तीय संकट से जूझ रही बांग्लादेश सरकार ने उस तिजोरी को खोलने का फैसला किया है, जिसमें बेशकीमती रत्नों सहित हीरा रखा गया है। दरिया-ए-नूर हीरे को भारत की गोलकुंडा की खदानों से निकाला गया था। यहीं पर विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा (105.6 कैरेट) भी मिला था। डिजिटल संग्रह संस्था बांग्लादेश ऑन रिकॉर्ड के अनुसार, दरिया-ए-नूर अपनी चमक और स्पष्टता में बेजोड़ है। इसे सोने के बाजूबंद के बीच में जड़ा गया था, जिसके चारों ओर 10 छोटे हीरे जड़े हुए हैं।
कुछ और सुर्खियां:
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के ₹10000 लिए एप्लीकेशन कल से शुरू होगा
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फुलवारी शरीफ स्थित खानकाह मुजीबिया में उर्स के दौरान चादरपोशी की
- गया में लगने वाला पितृ पक्ष मेला आज से 21 सितंबर तक चलेगा
- पुनपुन नदी पर बने बिहार के पहले केबल सस्पेंशन ब्रिज का उद्घाटन
- एसबीआई और बैंक ऑफ़ इंडिया के बाद अब बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने भी अनिल अंबानी के कर्ज को फ्रॉड घोषित किया
- जीएसटी काउंसिल से कारोबारियों को 7 दिन में रिफंड की सुविधा देने का प्रस्ताव पास
अनछपी: आज के गोदी मीडिया के जमाने में किसी संवेदनशील खबर पर यकीन करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान के कठोर रवैए को देखते हुए इस बेहद अफसोसनाक खबर पर चर्चा करना जरूरी है कि वहां हाल में आए भूकंप के दौरान कुछ महिलाओं को मलबे से इसलिए नहीं निकाला गया क्योंकि पुरुषों को लगता था कि उन्हें महिलाओं को नहीं छूना है। यहां एक सीधा सा सवाल यह हो सकता है कि अगर महिलाओं को छूने से इतना ही परहेज है तो तालिबान के लोग बचाव दल में महिलाओं को शामिल क्यों नहीं कर लेते? हालांकि एक ऐसी मुसीबत की घड़ी में जब किसी का जान बचाना हो तो इस परहेज को भी किसी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता। अखबारों के अनुसार ऐसी महिलाएं अभी जिंदा थीं, उनकी सांसें चल रही थीं और उनकी उम्मीदें बाक़ी थीं और वह हाथों से इशारा करके मदद की भीख मांग रही थीं लेकिन पराई औरत को नहीं छूने के कथित नियम की वजह से उन्हें उसी हाल में छोड़ दिया गया। यह भी बताया गया कि एक घर के मलबे में बच्चे, मर्द और महिलाएं व लड़कियों के दबे होने की सूचना पर बचाव दल वहां पहुंचा तो उसने पुरुषों और किशोरों को तो निकाल लिया लेकिन बच्चियों और महिलाओं को उनके हाल पर छोड़ दिया। यही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि जो महिलाएं भूकंप में मर गईं उनके शव को मलबे से निकालने में भी हिचकिचाहट दिखाई जा रही थी और कपड़े से खींचकर उन्हें निकाला जा रहा है। इसके अलावा आरोप है कि महिलाओं के साथ इलाज में भी भेदभाव किया जा रहा है और डॉक्टर पुरुषों और लड़कों को इलाज में प्राथमिकता दे रहे हैं। अगर यह सारी खबरें सही हैं तो यह बेहद अफसोसनाक है और इससे इस्लाम की एक बेहद गलत छवि सामने आती है। जब इंसान की जान खतरे में हो तो महिला और पुरुष का भेदभाव किए बिना उसे बचाना ही इस्लाम की शिक्षा के अनुरूप माना जाएगा ना कि कोई वजह बताकर उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना। इस बारे में तालिबान सरकार का कोई बयान इस खबर में शामिल नहीं है लेकिन फिलहाल यही कहा जा सकता है कि जिस जगह भूकंप में 2200 लोग मर गए वहां औरतों के साथ इस तरह का रवैया बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस्लाम और इंसानियत दोनों के लिए जरूरी है कि पहले मुसीबत में फंसे इंसान की जान बचाई जाए- चाहे वह औरत या मर्द।
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