छपी-अनछपी: यूपी में अब भरी अदालत में मर्डर, पटना में 23 जून को जुटेंगे राहुल समेत 14 पार्टियों के नेता

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत कितनी खस्ता है, इसका अंदाजा लखनऊ की भरी अदालत में हुए मर्डर से लगता है हालांकि इसकी खबर को बहुत तवज्जो नहीं मिली है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की कोशिश 23 जून को पटना में 14 दलों की बैठक के रूप में सामने आएगी। यह खबर सभी अखबारों में पहले पेज पर है। चर्चित आईएएस ऑफिसर के के पाठक को शिक्षा विभाग की कमान सौंपी गई है और कुछ और तबादले भी हुए हैं जिसकी खबर प्रमुखता से दी गई है।

लखनऊ के कैसरबाग के पास स्थित पुरानी हाईकोर्ट बिल्डिंग के एससी/एसटी कोर्ट परिसर में बुधवार शाम को वकील के वेश में आए बदमाशों ने कुख्यात अपराधी और मुख्तार अंसारी के शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को गोलियों से छलनी कर दिया। उसे पहली गोली कोर्ट रूम के गेट पर मारी। बचने के लिए जीवा कोर्ट के अंदर भागा तो एक बदमाश ने वहां घुसकर उस पर पांच राउण्ड गोलियां और चलायीं। फायरिंग की जद में आने से एक बच्ची और दो सिपाही भी घायल हो गए। 2018 में मुख्तार अंसारी गिरोह के मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी।

14 पार्टी, 23 जून

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: विपक्षी एकता पर 23 को पटना में होगी अहम बैठक। भास्कर ने लिखा है: 23 को पटना में ‘भाजपा मुक्त भारत’ का रास्ता तय करेगा 14 दलों का नेतृत्व। विपक्षी एकता पर भाजपा विरोधी दलों की बैठक अब 23 जून को पटना में होगी। इसमें शामिल होने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित ज्यादातर विपक्षी दलों के आला नेताओं ने सहमति दे दी है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। तेजस्वी यादव के 5, देशरत्न मार्ग स्थित सरकारी आवास पर ललन सिंह ने मीडिया को बताया कि सभी विपक्षी दलों के नेताओं की सहमति मिल गई है। पहले यह बैठक 12 जून को होनी थी। इस तिथि को बैठक में भाग लेने में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य दलों के शीर्ष नेताओं को असुविधा हो रही थी। इसलिए तय हुआ है कि 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होगी।

कौन लोग शामिल होंगे?

कांग्रेस पार्टी से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमत सोरेन, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा, माकपा के राष्ट्रीय सचिव सीताराम येचुरी और भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी 23 जून की बैठक में शामिल होने पर हामी भरी है।

आईएएस अफसरों का तबादला

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: सिद्धार्थ गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, के के पाठक को शिक्षा विभाग की कमान। राज्य सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 16 वरिष्ठ अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपी है। प्रमुख विभागों- शिक्षा, गृह, उत्पाद एवं मद्य निषेध, कृषि, खान एवं भूतत्व के अपर मुख्य सचिव भी बदले गए हैं। उत्पाद एवं मद्य-निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, चैतन्य प्रसाद की जगह डॉ. एस सिद्धार्थ गृह विभाग संभालेंगे। अरविंद कुमार चौधरी को वित्त विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को इन अधिकारियों के स्थानांतरण की अधिसूचना जारी कर दी। संजय कुमार अग्रवाल को जल संसाधन विभाग से स्थानांतरित करते हुए कृषि विभाग का सचिव बनाया गया है।

मणिपुर में 3 को जिंदा जलाया

जागरण की खबर है: मणिपुर में मां-बेटे समेत तीन को एंबुलेंस में जिंदा जला मार डाला। अखबार लिखता है कि मणिपुर हिंसा में बेहद भयावह घटना हुई है। राज्य के पश्चिमी इंफाल जिले में दंगाइयों ने तीन मासूम लोगों को जिंदा जलाकर मार डाला। भीड़ ने 8 साल के घायल बच्चे को अस्पताल ले जा रही एक एंबुलेंस को पहले रोका और फिर उसमें आग लगा दी। एंबुलेंस में बैठे बच्चे मां समेत एक अन्य रिश्तेदार की आग में जलकर मौत हो गई। यह घटना 4 जून की शाम की है जिसकी जानकारी देर से मिली।

जेएनयू में छेड़खानी

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: जेएनयू दो छात्राओं से छेड़छाड़ और अगवा करने का प्रयास। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में मंगलवार देर रात दो छात्राओं से मारपीट, छेड़छाड़ और उन्हें अगवा करने की कोशिश की गई। पुलिस को मामले में दो शिकायतें मिली हैं। एक में मारपीट और दूसरी में छेड़छाड़ एवं अगवा करने की बात है। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। शेष की तलाश जारी है। शिकायत के अनुसार, जेएनयू परिसर में रात करीब एक बजे दो छात्राएं टहल रहीं थीं। तभी कार सवार कुछ लड़के पहुंचे और उन्होंने छात्राओं से मारपीट, छेड़छाड़ और जबरन खींचकर कार में बैठाने का प्रयास किया, लेकिन छात्राओं के विरोध के चलते अगवा करने में सफल नहीं हो सके।

16 हजार हार्ट सर्जरी करने वाले को हार्ट अटैक

गुजरात के प्रसिद्ध कॉर्डियोलाजिस्ट गौरव गांधी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी उम्र 41 वर्ष थी। अपने कॅरियर में 16 हजार से अधिक हार्ट सर्जरी करने वाले गौरव गांधी के इस तरह से निधन से लोग हैरत में हैं। डॉ. गौरव मरीजों को देखने के बाद रात को घर लौटे थे। परिवार के साथ खाना खाया और सोने चले गए। अगले दिन सुबह छह बजे परिवार के सदस्य उठे तो पाया कि गौरव की तबीयत ठीक नहीं है। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें जीजी अस्पताल ले जाया गया, पर रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

कुछ और सुर्खियां

  • नए सिरे से बनेगा सुल्तानगंज अगवानी घाट पुल, रिपोर्ट में डिजाइन में गड़बड़ी
  • रूस में फंसे एयर इंडिया के यात्रियों को स्कूल में फर्श पर सोना पड़ा
  • बिहार में 11 साल का सबसे गर्म दिन, 10 जिलों में पारा 43 के पार
  • प्राथमिकी में बिना नाम के भी बनाया जा सकता है आरोपी: सुप्रीम कोर्ट
  • धान, मूंग, उड़द समेत खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बड़ी वृद्धि
  • भाजपा सांसद बृजभूषण का विरोध कर रहे पहलवानों ने प्रदर्शन टाला, सरकार केस वापस लेगी

अनछपी: उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है हालांकि मीडिया में जो तस्वीर पेश की जाती है वह बहुत सुहानी लगती है। भरी अदालत में मर्डर के केस से पहले वहां अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या भी पुलिस की हिरासत में रहते हुए सबके सामने लाइव टीवी पर देखी गई थी। मीडिया का बड़ा वर्ग इसे इस तरह पेश करता है मानो उत्तर प्रदेश में गुंडों का सफाया हो रहा है हालांकि सही बात यह है कि यह सरकार की कामयाबी नहीं बल्कि उसकी निकम्मे पन का सबूत है। गुंडों के मारे जाने पर कोई हमदर्दी नहीं हो सकती लेकिन यह सवाल जरूर होगा कि क्या भारत का संविधान यही बताता है कि किसी को कोई भी जब चाहे, जहां चाहे, जैसे चाहे जान मार दे? यह गुंडों का सफाया नहीं बल्कि एक गुंडा समूह का दूसरे गुंडा समूह पर वर्चस्व की निशानी है। क्या यह कहने में कोई हर्ज है कि वास्तव में यह गुंडाराज है? इतनी बड़ी पुलिस लेकर भी उत्तर प्रदेश की सरकार ऐसी हत्याएं रोकने में नाकाम है यह बताने की जरूरत है। यह जरूरत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार चाहती ही नहीं कि ऐसे सवाल खड़े किए जाएं। मीडिया आम लोगों का ज़हन बनाने का जरिया है और वह आम लोगों को यह बताने में लगा रहता है कि ऐसी हत्याएं ठीक हैं। इसलिए यह जरूरी है कि बताया जाए कि अदालत जो सजा दे उसके अलावा किसी भी तरह की कोई कार्रवाई समाज और देश के लिए बहुत बुरा है। अगर अदालत के अलावा किसी कार्रवाई में किसी की जान जाती है या किसी को नुकसान पहुंचता है तो यह सरकार की लापरवाही और उसके निकम्मेपन का सबूत माना जाना चाहिए, ना कि इस हरकत के लिए उसकी तारीफ होनी चाहिए। हम मीडिया के घुटना टेक काल में जी रहे हैं जब वह वही बात जनता को समझाने की कोशिश करता है जो सरकार और उसके नेता चाहते हैं। ऐसे में संविधान का सवाल उठाना बहुत ही जरूरी काम हो गया है।

 

 

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