छपी-अनछपी: ‘इंडिया’ का आरोप- मणिपुर कराह रहा, पाकिस्तान में आतंकी हमले में 44 मरे
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। हिंसा ग्रस्त मणिपुर का दौरा करने वाले विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों का कहना है कि मणिपुर कराह रहा है। आज के हिन्दुस्तान में यह पहली खबर है हालांकि बाकी अखबारों ने इसे उतनी अहमियत नहीं दी है। पाकिस्तान में आतंकी हमले में 40 लोगों की मौत की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है।
विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का प्रतिनिधिमंडल दो दिवसीय दौरे के बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर से रविवार शाम को दिल्ली लौट आया। हिन्दुस्तान ने लिखा है कि गठबंधन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वहां के हालात गंभीर हैं, मणिपुर कराह रहा है। सरकार स्थिति से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। गठबंधन ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले तीन महीने से मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष जल्द समाप्त नहीं किया गया, तो यह देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा कर सकता है।
सेना का रास्ता रोका
भास्कर की खबर है: मणिपुर में सेना का रास्ता रोका, जवानों को एयरलिफ्ट किया गया। अखबार लिखता है कि आदिवासी इलाकों में अलग-अलग प्रशासन की मांग को लेकर कूकी महिलाओं का नेशनल हाईवे नंबर 102 पर चल रहा जाम रविवार को चौथे दिन भी जारी रहा। कूकी संगठनों से जुड़ी हजारों महिलाओं ने टेंगुपाल में सेना के 10 वाहनों को मोरेह नहीं जाने दिया। इसके बाद सैनिकों को एयरलिफ्ट कर मोरेह भेजना पड़ा। एनएच 102 इंफाल को म्यांमार सीमा से सटे मोरेह से जोड़ता है। उधर राज्य के विष्णुपुर जिले में रविवार को फिर हिंसा भड़क गई। यहां कूकी और मैतेई समुदाय के बीच फायरिंग में 9 साल की छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई।
पाकिस्तान में आतंकी हमला
जागरण ने खबर दी है: पाक में राजनीतिक सम्मेलन में आत्मघाती हमला, 44 मरे। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रविवार को मौलाना फजलुर रहमान की पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में आत्मघाती हमले में 44 लोगों की मौत हो गई जबकि 100 लोग घायल हो गए। हमले के वक्त वह सम्मेलन में मौजूद नहीं थे। मरने वालों में पार्टी के स्थानीय अध्यक्ष मौलाना जियाउल्लाह भी शामिल है। विस्फोट से रविवार शाम 4 बजे उस समय हुआ जब जमीयतुल उलमा ए इस्लाम (फजल) का कार्यकर्ता सम्मेलन चल रहा था। बाजौर जिले के खार में आयोजित इस सम्मेलन में 500 से अधिक लोग शामिल हुए थे।
तीन साल में 13 लाख महिलाएं लापता
जागरण की पहली खबर है: 3 वर्ष में देश भर में 13.13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता। देशभर में 3 वर्ष में 13.13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हुईं। पिछले सप्ताह संसद में पेश किए गए केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2019 से 2021 के बीच 18 साल से अधिक उम्र की 10 लाख 61 हज़ार 638 महिलाएं व उससे कम उम्र की 2 लाख 51 हज़ार 430 लड़कियां लापता हुई। संसद को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक मध्यप्रदेश से, उसके बाद बंगाल में महिलाएं और लड़कियां गायब हुईं। यह डाटा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी द्वारा इकट्ठा किया गया था।
बच्चों की सबसे ज़्यादा तस्करी यूपी में
भास्कर की खबर है: बाल तस्करी के सबसे ज्यादा मामले यूपी, बिहार व आंध्र में; जयपुर देश में हॉटस्पॉट। उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्रप्रदेश देश के शीर्ष तीन राज्य हैं जहां 2016 और 2022 के बीच सबसे अधिक बच्चों की तस्करी की गई। वहीं दिल्ली में कोविड-19 से पहले के मुकाबले बाद में बाल तस्करी के मामलों में 68% की चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई। एनजीओ कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस के मौके पर रविवार को जारी की गई रिपोर्ट देश में बाल तस्करी की चिंताजनक स्थिति बयान करती है। बाल तस्करी में शीर्ष जिले में जयपुर शहर देश में हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है।
मधुबनी में एनआईए का छापा
जागरण की खबर है: मधुबनी में एनआईए का छापा, शिक्षक और उनकी दो बेटियों से की पूछताछ। एनआईए की 10 सदस्य टीम ने रविवार को मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के मकिया गांव में इंजीनियर मोहम्मद एहतेशाम के घर पर छापेमारी की। टीम ने एहतेशाम के पिता प्राथमिक मकतब उर्दू विद्यालय मकिया के शिक्षक मोहम्मद उज़ैर अहमद और एहतेशाम की दो छोटी बहनों को बेनीपट्टी थाने पर लाकर 4 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद सभी को पीआर बांड पर छोड़ दिया गया। जाते समय टीम एहतेशाम की एक बहन का मोबाइल ज़ब्त कर ले गई जिसे पहले एहतेशाम इस्तेमाल करता था। एक साल पहले इसी गांव में एनआईए ने पीएफआई से जुड़े मामले में मोहम्मद तौसीफ के घर छापेमारी की थी। एहतेशाम को ओमान जाने के दौरान रविवार सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया था। उसने भोपाल से बीटेक किया है और वह गुजरात में नौकरी करता है।
आम चुनाव से पहले मन्दिर कॉरिडोर
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: आम चुनाव से पहले बन जाएंगे 13000 करोड़ के 21 मंदिर कॉरिडोर। अखबार लिखता है कि 2024 के आम चुनाव में चर्चित धर्म स्थलों के विकास का मुद्दा अहम होने वाला है। इसी को ध्यान में रखकर राज्य सरकारें मंदिर विकास और धार्मिक कॉरिडोर पर फोकस कर रही हैं। बीते दो-तीन साल में सोमनाथ मंदिर व काशी विश्वनाथ महाकाल मंदिर कॉरिडोर बन चुके हैं। यूपी में मथुरा वृंदावन, अयोध्या, असम के गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, मध्य प्रदेश के चित्रकूट में वनवासी राम पथ, ओरछा में रामराजा लोक, दतिया में पीतांबरा पीठ कॉरिडोर, इंदौर में अहिल्या नगर लोक, महू का जानापाव, बिहार में उच्चैठ भगवती स्थान से महिषी तारा स्थान को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है। राजस्थान सरकार भी गोविंद देव मंदिर, तीर्थराज पुष्कर के लिए करोड़ों खर्च कर रही है।
कुछ और सुर्खियां
- इनकम टैक्स रिटर्न भरने का आज आखिरी मौका, इसके बाद लगेगा जुर्माना
- जदयू की भाईचारा यात्रा 1 अगस्त से
- दरभंगा व औरंगाबाद के बाद अब कैमूर में भी इंटरनेट सेवा बंद
- मोरक्को की डिफेंडर नौहेला बेनज़ीना विश्व टूर्नामेंट में हिजाब पहने वाले पहले खिलाड़ी बनीं
- जदयू के पूर्व सांसदों और विधायकों से मिले नीतीश कुमार
- भभुआ रोड स्टेशन के पास गलत ट्रैक पर 2 किलोमीटर दौड़ी जम्मू तवी सियालदह एक्सप्रेस
अनछपी: विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस पर महिलाओं के गायब होने और बच्चों की तस्करी के बारे में जारी रिपोर्ट को जितनी तवज्जो मिलनी चाहिए शायद नहीं मिली है। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्यों के रूप में बताए गए हैं जहां बच्चों की तस्करी सबसे अधिक होती है। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड के बारे में लिखते हुए हमने इस बात की चर्चा की थी के ह्यूमन ट्रैफकिंग कितनी गंभीर समस्या है और इस पर समाज और सरकार का कितना कम ध्यान है। बच्चों की तस्करी का मामला यह है कि 18 साल से कम के बच्चों को ईट भट्टों और चूड़ी बनाने के कारखानों में घन्टों खटाया जाता है और उन्हें शिक्षा भी नहीं मिल पाती है। अक्सर इन बच्चों को जयपुर और दूसरे शहरों से पुलिस छुड़ाती है लेकिन इस बात की चर्चा कभी होती है कि उन्हें दोबारा ट्रैफिकिंग का शिकार बनाया जाता है। अंग्रेजी में ट्रैफिकिंग और स्मगलिंग अलग-अलग अर्थों में इस्तेमाल होता है जबकि हिंदी में ट्रैफिकिंग के लिए भी तस्करी का इस्तेमाल किया जाता है। यह बच्चे दलालों के शिकार होते हैं जो उनके मां-बाप को पैसे कमाने के नाम पर उनसे उनके बच्चे ले जाते हैं। उन बच्चों को काम करवाने के बदले ना सही से भोजन मिलता है और ना ही चिकित्सा सुविधा। ऐसे बच्चों से भीख मंगवाने की रिपोर्ट भी आती रहती है। इसके लिए उनके हाथ पांव भी तोड़ दिए जाते हैं ताकि देने वालों को तरस आए और भीख आसानी से मिले। इसके साथ ही महिलाओं की तस्करी भी भयावह रूप में हमारे समाज में मौजूद है। महिलाएं लापता होकर कहां पहुंचती हैं? इनमें से अक्सर महिलाएं शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं और बहुत सारी महिलाएं नौकरानी के रूप में रखी जाती हैं। इन लड़कियों और महिलाओं को दलाल यह झांसा देते हैं कि उन्हें नौकरी पर रखा जाएगा लेकिन उन्हें जब तक यह पता चलता है कि उनका सौदा हो चुका है उनकी वापसी के सारे रास्ते बंद हो चुके होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि समाज का जागरूक तबका उन महिलाओं और बच्चों के परिवार को सजग करे जो ऐसे झांसी के शिकार हो सकते हैं। सरकार की ओर से भी इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
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