छपी-अनछपी: चलती ट्रेन में चार की हत्या के बाद लिया मोदी-योगी का नाम, लालू परिवार की संपत्ति जब्त

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में मुंबई से कुछ दूर आरपीएफ के एक जवान चेतन सिंह (हाथरस, यूपी निवासी) द्वारा मोदी और योगी का नाम लेने से पहले 4 लोगों को गोली मारने की खबर हिंदी अखबारों में बहुत हल्के ढंग से ली गई है। ऐसा तब है जब कि इस हत्याकांड में मारे जाने वाला एक व्यक्ति मधुबनी का है। उधर हरियाणा के नूंह जिले में सांप्रदायिक दंगे में दो होमगार्ड जवान के मौत की खबर भी है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार के कुछ सदस्यों की संपत्ति ईडी द्वारा जबकि जाने की खबर प्रमुखता से ली गई है।

भास्कर की सुर्खी है: चलती ट्रेन में सियासी बहस के बीच कॉन्स्टेबल ने एएसआई व तीन यात्रियों को गोली से उड़ाया, शव के पास खड़े होकर भाषण दिया। हालांकि अखबार ने उसके नफरती बोल का विवरण कम ही दिया है। जयपुर से मुंबई जा रही इस ट्रेन में सोमवार सुबह 5:00 बजे के बाद मुंबई से 100 किलोमीटर दूर पालघर स्टेशन के पास यह घटना हुई। हत्यारा कॉन्स्टेबल उस समय एस्कॉर्ट ड्यूटी पर था। उसने पहले टीकाराम और एक यात्री को गोली मार दी। इसके बाद उसने दूसरे डिब्बे और पैंट्री कार में दो अन्य यात्रियों की हत्या की। उसने कुल 12 राउंड फायरिंग की। इस जघन्य हत्याकांड में मारे गए तीन अन्य यात्रियों के नाम मोहम्मद असगर, अब्दुल कादिर भाई और सदर मोहम्मद हुसैन थे। इनमें असगर मधुबनी के मूल निवासी थे।

वायरल वीडियो में मोदी-योगी का नाम

चार लोगों को गोलियों से भूनने के बाद चेतन सिंह को जीआरपी ने गिरफ्तार किया कर लिया लेकिन उससे पहले का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम ले रहा है। भास्कर ने वायरल वीडियो के हवाले से लिखा है कि चेतन यह कहते हुए दिख रहा है कि अगर आप वोट देना चाहते हैं, अगर आप भारत में रहना चाहते हैं तो मैं कहता हूं… इसके बाद की बात का जिक्र किए बगैर भास्कर लिखता है कि इस दौरान उसने पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं का भी जिक्र किया। हालांकि इसके बाद वह यह कहते हुए सुना गया “… तो मैं कहता हूं, मोदी और योगी, ये दो हैं।” वह ठाकरे का भी नाम लेता है। इधर रेल पुलिस अधिकारियों ने यह दावा किया कि हत्यारा चेतन मानसिक रूप से बीमार है।

बिस्फी में मातम

हिन्दुस्तान अखबार के मधुबनी संस्करण में खबर है: जयपुर-मुंबई ट्रेन में फायरिंग, युवक की मौत से बिस्फी में मातम। 48 साल के मोहम्मद असगर बिस्फी के परबत्ता गांव के रहने वाले थे। उनकी 4 बेटियां और एक 5 साल का बेटा है। वह एक साल से जयपुर में किराए के मकान में रहकर चूड़ियां बेचते थे। उनके बड़े भाई मोहम्मद सनाउल्लाह ने बताया कि चूड़ी का रोजगार मंदा होने के कारण वह बेहतर काम की तलाश में मुंबई जा रहे थे। मोहम्मद असगर पहले भी मुंबई में ही काम करते थे। उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। मोहम्मद असगर की पहचान बैग में रखे गए उनके आधार कार्ड के आधार पर की गई।

लालू परिवार की संपत्ति जब्त

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: लालू परिवार की पटना, यूपी और दिल्ली में संपत्ति जब। जागरण ने भी इसी खबर को लीड बनाया है: ईडी ने ज़ब्त की तेजस्वी समेत लालू के स्वजन की छह करोड़ की संपत्ति। ईडी ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में हुए नौकरी के बदले जमीन के कथित मामले में उनके परिवार के खिलाफ सोमवार को बड़ी कार्रवाई की। इनकी पटना, दिल्ली और यूपी के गाजियाबाद में मौजूद छह अचल संपत्तियां जब्त कर ली हैं। इन संपत्तियों के सरकारी दस्तावेजों पर कीमत 6 करोड़ 2 लाख रुपये आंकी जा रही है, लेकिन बाजार मूल्य इससे कई गुना अधिक है। परिवार के जिन सदस्यों के नाम से मौजूद निजी कंपनियों के नाम पर संपत्तियां खरीदी गई हैं, उनमें मेसर्स एबी एक्सपोर्ट और एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड का मालिकाना हक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बड़ी बेटी सांसद मीसा भारती, बेटी हेमा यादव के पति विनित यादव एवं ससुर शिव कुमार यादव के नाम है।

हरियाणा के नूंह में हिंसा

नूंह में सोमवार को निकाली जा रही बृजमंडल यात्रा पर पथराव के बाद बवाल शुरू हो गया। हिन्दुस्तान के अनुसार इस दौरान दो होमगार्ड की मौत हो गई, जबकि 12 पुलिसकर्मियों सहित कई लोगों के घायल होने की सूचना है। 30 वाहनों में आग लगा दी। होडल के डीएसपी सज्जन सिंह को सिर में गोली लगी है। गुरुग्राम क्राइम यूनिट के एक इंस्पेक्टर को पेट में गोली लगी है। पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है। नूंह, फरीदाबाद, गुरुग्राम में इंटरनेट तीन दिन के लिए बंद कर धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं, पलवल में मंगलवार को स्कूल बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। भरतपुर निवासी नासिर और जुनैद की हत्या में वांटेड मोनू मानेसर ने रविवार को सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर यात्रा में शामिल होने की बात कही थी। इसके बाद ही यहां हंगामे के कयास लगाए जाने लगे थे।

मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट

हिन्दुस्तान की खबर है: मणिपुर हिंसा पर शीर्ष कोर्ट ने मांगा सरकार से कार्रवाई का हिसाब। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा से निपटने के लिए व्यापक तंत्र बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से कहा कि जो वीडियो सामने आए हैं, सिर्फ उन महिलाओं के खिलाफ ही ऐसी घटना नहीं हुई है। कोर्ट ने पूछा अन्य महिलाओं के साथ हुए अपराधों में अब तक क्या कार्रवाई हुई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, हमें उन सभी मामलों में व्यापक तंत्र विकसित करना होगा, जिनमें अन्य महिलाओं के साथ भी अपराध घटित हुआ है

कुछ और सुर्खियां

  • सहरसा में शौचालय टैंक की शटरिंग खोलने नीचे उतरे 4 मजदूरों की मौत
  • इनकम टैक्स रिटर्न भरने के आखिरी दिन 6:00 बजे तक कुल 6.5 करोड़ लोगों ने दाखिल किया आईटीआर
  • जाति आधारित गणना पर पटना हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
  • भाजपा की पटना रैली में लाठीचार्ज मामले की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
  • स्कूल की पढ़ाई के वक़्त में कोचिंग कक्षाओं पर राज्य भर में रोक
  • यूपी के मुख्यमंत्री योगी का बयान: मस्जिद नहीं ज्ञानवापी कहें, अंदर त्रिशूल और देव प्रतिमाएं हैं
  • मणिपुर के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में लगातार आठवें दिन हंगामा

अनछपी: मुंबई से कुछ दूर पालघर के पास चलती ट्रेन में आरपीएफ के एक जवान चेतन सिंह द्वारा चार लोगों को गोलियों से भूनने का मामला अत्यंत संवेदनशील और भयावह है। ऐसा लगता है कि उसने एएसआई को छोड़कर बाकी लोगों के चेहरे या कपड़े से उनकी पहचान कर उन पर गोलियों की बौछार कीं। आपको याद होगा कि एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कपड़ों से पहचानने की बात कही थी तो उनकी काफी आलोचना हुई थी। रेलवे पुलिस के अधिकारी भले ही चेतन को मानसिक रूप से बीमार बताएं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि यह हेट क्राइम का मामला है। कुछ लोग तो इसे आतंकवाद भी बता रहे हैं। सामाजिक विश्लेषक इस तरह के हत्याकांड का पहले से शक जता रहे थे। आमतौर पर जिन्हें भक्त कहकर खारिज कर दिया जाता है दरअसल उनकी संख्या काफी है और उनके दिमाग में जहर इतना भर दिया गया है जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। बहुत से लोगों का मानना है कि दरअसल यह एक संकेत भर है और भारत में इस वर्ग के डीरेडिकलाइजेशन की सख्त जरूरत है। बहुत से लोग तो यह भी कहते हैं कि अब कोई उपाय नहीं बचा है और उन्हें इससे भी भयानक घटनाओं का डर है। इस कांड का दूसरा पहलू यह भी है कि हिंदी अखबारों ने इसे बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया है या जानबूझकर दबा दिया है। अखबारों को इस बात पर जरूर विश्लेषण करना चाहिए कि आखिर हत्यारे चेतन ने मोदी और योगी का नाम क्यों लिया। उसने पाकिस्तान और दूसरी वैसी ही बातें की जैसा कि मुसलमानों के बारे में जहर उगलने वाले टीवी एंकर करते हैं। भारतीय समाज के लिए यह बहुत शुभ संकेत नहीं है और कुछ गंभीर सुधारात्मक उपाय करने की जरूरत है।

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