ज़मीन के झंझट में फंसा है एएमयू का किशनगंज कैंपस

किशनगंज से समी खान

30 दिसम्बर 2011 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए मिली 224 एकड़ जमीन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अड़ंगे की वजह से वीरान पड़ी है। महानन्दा नदी की मुख्यधारा से दो किलोमीटर दूर बिहार सरकार से मिली इस जमीन पर बस बॉउंड्री हो पाई है। नतीजा यह है कि एएमयू कैम्पस से सीमांचल के शैक्षणिक विकास का सपना भी अधूरा पड़ा है।

2013 से मिल्लत चौक स्थित एक अस्थस्यी कैंपस में चालू इस सेंटर में वैसे तो कई कोर्स की पढ़ाई होनी है लेकिन इसकी शुरुआत हुई दो से- एक वर्षीय बीएड और दो वर्षीय एमबीए से। दोनों आवासीय कोर्स हैं।

डॉक्टर हसन इमाम, निदेशक, एएमयू कैम्पस, किशनगंज

एएमयू किशनगंज कैंपस के डायरेक्टर डॉक्टर हसन इमाम कहते हैं कि हमारी दो छोटे अनुरोध हैं। इस कैम्पस के लिए निर्धारित ज़मीन क्लियर कर दें और जो पैसे मंजूर हुए थे वह उपलब्ध करा दें। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी कैम्पस के लिए 2015 में 10 करोड़ रुपए मिले थे। इसके लिए आवंटित राशि है 136.28 करोड़ रुपए।

फिलहाल यहां दो कोर्स चल रहे थे। उनमें से एक-बीएड की पढ़ाई का मामला एनसीटीई की आपत्ति के कारण पटना हाई कोर्ट में फंसा है। इस कारण दो बैच के बाद तीसरे बैच का एडमिशन 2019-20 के लिए नहीं हो सका। एंसीएटी को लगा कि यह कैम्पस सीट बढ़ाने की मांग कर रहा है जबकि निदेशक डॉक्टर हसन कहते हैं कि उनकी मांग तो मान्यता के लिए थी।

फिलहाल ज़मीन का मामला एनजीटी से आगे एनएमजीसी यानी नेशनल मिशन फ़ॉर क्लीन गंगा के पास है। दूसरी तरफ यह लड़ाई हाई कोर्ट में भी जारी है। स्थानीय कांग्रेस एमपी मोहम्मद जावेद ने इस मामले को लोकसभा में भी उठाया था।

डॉक्टर हसन ने बताया कि एएमयू के वीसी डॉक्टर तारिक़ मंसूर की मंजूरी के बाद यहां एएमयू, अलीगढ़ के लिए 11 वीं के एडमिशन टेस्ट के लिए सेंटर बना है। यहां 22 नवम्बर को 1400 लड़के दाखिले के इम्तिहान देंगे।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से एक 100 बेड के हॉस्टल के लिए मंजूरी मिली है। इसके लिए टेंडर भी हो चुका है। इस हॉस्टल के मिलने के बाद यहां पांच साल के बीए एलएलबी की पढ़ाई भी शुरू की जाएगी।

एनजीटी को क्या है आपत्ति
एनजीटी की आपत्ति है कि विश्वविद्यालय कैंपस बनने से प्रदूषण फैलेगा। दिलचस्प बात यह है कि यहां एक तटबंध भी बना है। निदेशक हसन इमाम कहते हैं कि राज्य की पटना यूनिवर्सिटी समेत देश के कई विश्वविद्यालय नदी किनारे बसे हैं।

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