इलेक्शन में रिलेशन ड्यूटी

बिहार लोक संवाद के लिए ट्रेन यात्रा से समी खान

नारायणपुर में ट्रेन खड़ी है। अपने समय पर लेकिन महानन्दा एक्सप्रेस की एसी बोगी के टॉयलेट्स गन्दे हैं। डिब्बे में बिहार पुलिस के कई जवान घुस आए हैं। सुबह फ्रेश होने के बाद सब गप में लगे हैं। हालांकि एक सिपाही इस बात की शिकायत करता है कि जो साफ है वह खाली नहीं था।

एक थोड़े से बुजुर्ग सिपाही अपने पोलिंग बूथ की कहानी कटिहार की जबान में बता रहे हैं। उनके साथ बेगूसराय और अन्य बोली वाले सियाही भी हैं।

वे कहते हैं कि मजिस्ट्रेट से जब रात में ठहरने की जगह पूछी तो उसने एक स्कूल बताया। हम तीन लोग थे। मजिस्ट्रेट ने दूर से ही मिडिल स्कूल का रास्ता दिखाया और मुड़ कर चले गए। हमने थानेदार को फोन किया। उन्होंने मजिस्ट्रेट को गालियां दीं और हमारे रहने की व्यवस्था की।

वही सिपाही अब बता रहे थे कि उन्होंने मजिस्ट्रेट को कैसे हड़काया। उन्होंने मजिस्ट्रेट से पूछा कि आप कहां भाग गए थे। मजिस्ट्रेट ने जवाब दिया कि रिलेशन में चले गए थे। मैंने उनसे कहा कि हमने चुनाव आयोग को फोन किया था। इसपर मजिस्ट्रेट ने जवाब दिया कि बगल में रिलेशन के यहां चले गए थे। सिपाही ने कहा, ‘इलेक्शन में रिलेशन देखा जाता है!’

इनके समूह में शामिल एक सिपाही खाने में हुई तकलीफ का जिक्र करने लगे। बोले- उनके खाने से अच्छा है कि किसी होटल में लिट्टी खा लें।

इनकी ड्यूटी अभी खत्म नहीं हुई है। अब इन्हें अररिया से कटिहार जाना है मगर ये इस बात से परेशान हैं कि वहां जाने के लिए लोकल ट्रेन नहीं है। कोई कहता है कि बस से चले जाएं।
अब सभी इस बात पर चर्चा शुरू करते हैं कि अपनी ड्यूटी की जगह कैसे देखें। कोई बताता है कि व्हाट्सऐप ग्रुप में सिपाही नम्बर से पता कर सकते हैं।

अब वे एक खबर पर बहस कर रहे जिसकी हेडिंग है- बटन दबाया आरजेडी का, वोट पड़ा बीजेपी को।

कोई इसे मानने को तैयार नहीं लेकिन उनमें से दो-तीन यह भी सवाल करते हैं कि अगर ऐसा होता है तो चुनाव काहे कराते हैं।

इस बीच एक सिपाही के घर से फोन आ जाता है। इधर से जवाब मिलता है- वेरी गुड मॉर्निंग बेटा। और एक वादा भीः आज घर आ रहे हैं।

इसके बाद चाय-चाय………. शुरू हो जाता है।

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