इनके लिए मज़हब नहीं, मानव सेवा है महत्वपूर्ण

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 14 जनवरी: कहते हैं, खून का रिश्ता काफ़ी महत्वपूर्ण होता है। लेकिन सच पूछिये तो इंसानियत का रिश्ता सबसे अहम होता है। इंसानियत के इसी रिश्ते को मज़बूत करते हैं पटना के अलशिफ़ा डोनर्स क्लब और निराम्या ब्लड बैंक। कहने के लिए अलशिफ़ा का संचालन मुसलमान और निराम्या का संचालन हिन्दू धर्म से जुड़े लोग कर रहे हैं। लेकिन दरअसल दोनों अपने-अपने स्तर से इंसानियत की ही खि़दमत कर रहे हैं।

जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के तहत चलने वाले अलशिफ़ा ब्लड डोनर्स क्लब के अध्यक्ष डाक्टर अब्बास मुस्तफ़ा और मेम्बर डाॅक्टर अब्दुस्सलाम बताते हैं कि इस क्लब की शुरूआत 2005द में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य रक्तदान के लिए वाॅलियंटियर्स तैयार करना और ज़रूरतमंदों को खून उपलब्ध कराना है। रक्तदान करने वाले वाॅलंटियर्स को क्लब की ओर से सम्मानित भी किया जाता है।

दूसरी तरफ़ रंगलाल अनमोल चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत निराम्या ब्लड बैंक समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन करता है। ट्रस्ट के सेक्रेटरी राकेश रंजन और रक्तदान शिविर के संयोजक दीपक कहते हैं कि रक्तदान महादान है।

रक्तदान करने वाले कहते हैं कि खून का कोई विकल्प नहीं होता।

राजनीति भले ही हिन्दू-मुसलमान को अलग-अलग करने की कोशिश करे, लेकिन ये अच्छी बात है कि इंसानियत की खि़दमत के लिए दोनों धर्म के लोग समान रूप से काम करते हैं।

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