नीतीश की नाक के नीचे हो रहा है आपके साथ बड़ा धोखा, भ्रष्टाचार को टाॅलेरेट न करने का दावा खोखला

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 29 दिसंबर: बिहार विधान सभा चुनाव दो हज़ार बीस के दौरान लोकजन शक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग़ पासवान ने प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाया था। अलबत्ता, चुनाव का दौर ख़त्म होते ही मुद्दा ठंडा पड़ गया। हालांकि सच्चाई ये है कि बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है। यहां असली और आसानी से काम होना बेहद मुश्किल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही दावा करें कि वो भ्रष्टाचार को टाॅलेरेट नहीं करते हैं, लेकिन शायद ही ऐसा कोई सरकारी कार्यालय हो जहां बिना पैसे के काम होता हो। इसकी एक मिसाल जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना है।

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट ने भ्रष्टाचार के आरोप को साबित करने के लिए एक जाल बिछाया। इसके तहत दो बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र के लिए पटना सिटी के एक दलाल से बात की गई। छह-छह सौ रुपये में प्रमाणपत्र बनवाने की बात तय हुई। दलाल ने बीस दिन बाद मुहर और हस्ताक्षर के साथ प्रमाणपत्र बनाकर दे दिया। उसके बाद बच्चों का आधार कार्ड बनाने की बात हुई। दलाल ने उसके लिए दो-दो सौ रुपये की मांग की। पैसे लेने के बाद दलाल ने आवेदक से कहा कि वो गुलजा़रबाग़ स्थित आधार कार्यालय में दोनों बच्चों को लेकर चली जाएं। साथ में उसके द्वारा जन्मप्रमाण पत्र लेती जाएं। वहां बच्चों की तस्वीरें ली जाएंगी।

गुलज़ारबाग़ जाने पर आवेदक से कर्मचारी ने कहा कि जन्म प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी हैं। वह असली जन्म प्रमाणपत्र बनवा देगा। उसके लिए छह-छह सौ रुपये लगेंगे और दो दिन में असली प्रमाण पत्र बन कर मिल जाएगा। उस समय वहां पर दो-तीन दलाल भी मौजूद थे। जब आवेदक ने कहा कि वह मीडिया में इसका भंडाफोड़ करेंगी तो कर्मचारियों ने कार्यालय का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।

सुनिये आवेदक ज़ेबा तबस्सुम की जुबानी वहां का हाल।

अब आप सोच लीजिए कि जब राजधानी पटना में और पढ़े-लिखे लोगों को इस तरह से चूना लगाया जा रहा है तो गांव-देहात में अनपढ़ लोगों को किस तरह से ठगा जा रहा होगा। अब हम आपको असली और नक़ली जन्म प्रमाणपत्र का फ़र्क़ समझा दें। असली प्रमाणपत्र में बारकोड होता है जिसको मोबाइल द्वारा स्कैन करने से संबंधित नगर निगम के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम में दर्ज सारा विवरण आपके सामने खुल जाता है। इसके अलावा, असली प्रमाणपत्र में होलोग्राम होता है। नक़ली प्रमाणपत्र में ये दोनों ही चीज़ें नहीं होती हैं।

अगर आपने भी किसी का जन्म प्रमाणपत्र बनावाया है तो उसे चेक कर लें। कहीं ऐसा न हो कि ऐन मौक़े पर वह फ़र्ज़ी साबित हो जाए और आपको उसका ख़ामियाज़ा भुगुतना पड़े। सरकार का क्या है, वह तो वादों, दावों और जुमलों से चलती है।

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