छपी-अनछपीः फिर छिड़ी 2024 की बात, सीबीआई लगी राजद नेताओं के पीछे

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। 24 अगस्त को बिहार विधानसभा में फिर 2024 की बात छिड़ी। यानी 2024 के लोकसभा चुनावों की बात। मौका था विश्वास प्रस्ताव पर बहस का। और यह बात की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो लगभग 20 साल तक भाजपा को सत्ता का सुख देते रहे हैं। अब उसी भाजपा को केन्द्र की सत्ता से बेदखल करने का बीड़ा उन्होंने उठाया है। इससे पहले इस्तीफा नहीं देने का दावा करने वाले विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के विजय कुमार सिन्हा ने इस पद से इस्तीफा दिया। मगर इन सबके पहले सुबह आठ बजे से ही बिहार में वह खबर आ गयी जो मजाक में कही जाने लगी है यानी सीबीआई और ईडी के छापे की बात। ये दो खबरें ही आज के अखबारों में छायी हुई हैं। कहा जा रहा कि लालू के करीबी भोला यादव की गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ के आधार पर यह छापेमारियां हुई हैं।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर हैः 2024 का चुनाव मिलकर लड़ेंगेः नीतीश। जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी हैः 2024 में बदल जाएगी केन्द्र की सत्ता।
हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी हेडलाइन हैः छह राजद नेताओं के 30 ठिकानों पर सीबीआई छापे। इन छह राजद नेताओं में राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और फैयाज अहमद और एमएलसी सुनील सिंह शामिल हैं। जागरण ने लिखा हैः लालू के करीबियों के ठिकानों पर सीबीआई छापे। प्रभात खबर में नीतीश का बयान सबसे अहम खबर हैः सब मिल जाएं, ये कहीं नहीं टिकेंगे।
भास्कर ने दोनों खबरें आमने-सामने छापी हैं। एक की सुर्खी हैः विश्वास मत जीते, नीतीश बोले- ई भाजपा क्या चीज, ये तो भाग गया। दूसरी सुर्खी हैः तेजस्वी के करीबियों पर सीबीआई छापा, 200 प्राॅपर्टी सेल डीड व कैश मिले। इसी अखबार में एक और हेडलाइन हैः नीतीश बोले- भाजपा हमारा नाश कर रही थी, बिहार को मदद नहीं की, इसीलिए अलग हुए।
तेजस्वी यादव का वह बयान भी प्रमुखता से छपा है जिसमें वे ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई को भाजपा के तीन जमाई बता रहे हैं। हालांकि भाजपा ने इसे असंसदीय शब्द कहकर हटाने की मांग की थी।
विपक्ष की ओर से पूर्व उपमुख्यमंत्री भाजपा के तारकिशोर प्रसाद का बयान भी प्रमुखता से छपा है जिसमें वे आरोप लगा रहे हैं कि यह गठबंधन जनादेश के खिलाफ है।
सीबीआई के छापे सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि झारखंड में भी पड़े हैं जहां एक आरोपी प्रेम प्रकाश के ठिकाने से एके-47 राइफल बरामदगी की बात सामने आयी है। इसके बारे में रांची पुलिस का कहना है कि दो सिपाहियों ने अपनी राइफल वहां रखी थी जो घोर लापरवाही की बात है और उन्हें इसके लिए निलंबित किया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इस्तीफा देने से पहले इसमें समय लेने का कारण यह बताया कि उन्हें अपनी सफाई देनी थी। अब नये अध्यक्ष का चुनाव 26 अगस्त को होना है। श्री सिन्हा अब विधानसभा में नेता, प्रतिपक्ष होंगे।
हिन्दुस्तान ने अपने खास खबर में बताया है कि दो साल में 50 फीसदी बढ़ा रसोई का खर्च। इसमें आटा-चावल से लेकर तेल-मसाले तक की कीमत शामिल है। हालांकि इसमें घरेलू गैस की कीमत भी जोड़ी जानी चाहिए।
पीएमसीएच में लगातार तीसरे दिन मरीजों को इलाज ठप रहा। इसकी वजह इंटर्न डाॅक्टरों का आन्दोलन है। हालांकि एनएमसीएच में वहां के मेडिकल अधीक्षक ने रजिस्ट्रेशन काउंटर पर इंटर्न डाॅक्टरों द्वार जबर्दस्ती लगाये गये ताले को तोड़वाया और मरीजों को पुर्जा कटा। यह खबर भी प्रमुखता से छपी है।
अनछपीः बिहार की सियासी हलचल अब नये मंजिल की तरफ बढ़ रही है। इसमें एक तरफ है नीतीश कुमार और तेजस्वी का मिलन और दूसरी तरफ है सीबीआई और ईडी। नीतीश कुमार वैसे तो 2024 में केन्द्र की सत्ता से भाजपा को भगाने की बात कह रहे हैं लेकिन बिहार में सत्ता में बने रहना और दिल्ली से भाजपा को भगाना एक ही बात तो नहीं है। इसके लिए सबसे जरूरी बात यह होगी कि कांग्रेस का क्या रुख रहता है। अपने सबसे गये-गुजरे दिन में भी आज विपक्ष में कांग्रेस के पास ही सबसे ज्यादा एमपी हैं लेकिन वह अगर अपना ध्यान बीजेपी को रोकने के बजाय अपने नेता को आगे बढ़ाने पर देगी तो उसके लिए नीतीश कुमार से शायद ही कोई खास मदद मिले। नीतीश कुमार के लिए भी जरूरी है कि कांग्रेस के सामने अपनी बात जोरदार अंदाज में रखें। मगर इससे भी जरूरी है कि बिहार में अपने शासन को वे 2005-10 के स्तर पर ले जाएं। फिलहाल इसमें कमी है और भाजपा का प्रचार तंत्र इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा।

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