छ्पी-अनछपी: आठवें वेतन आयोग से 38% बढ़ेगी सैलेरी, फ़िल्म ऐक्टर सैफ पर जानलेवा हमला
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है जिससे सैलरी में 38% तक इजाफा हो सकता है। फिल्म अभिनेता सैफ अली खान पर जानलेवा हमला हुआ है। बीपीएससी की 70वीं पीटी के रिजल्ट पर रोक लगाने से पटना हाई कोर्ट इंकार कर दिया है लेकिन इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़कर इतिहास रचा है।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
भास्कर के अनुसार केंद्र सरकार ने आम बजट से पहले गुरुवार को सरकारी कर्मचारियों के हक में बड़ा फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की मजदूरी दी। इससे 45 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशन धारी यानी कुल 1.15 करोड़ लोगों को फायदा होगा। सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म होगा। 1 जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग का कार्यकाल शुरू होगा। आठवें वेतन आयोग के बाद सैलरी में 38% और पेंशन में 34% इजाफ़े का अनुमान लगाया गया है। हिन्दुस्तान के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन के 18 लेवल हैं। लेवल-एक कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 1800 रुपये ग्रेड पे के साथ 18,000 रुपये है। इसे आठवें वेतनमान में बढ़ाकर 34,560 रुपये किया जा सकता है। केंद्र में कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों की लेवल-18 के तहत अधिकतम 2.5 लाख की बेसिक सैलरी मिलती है। यह बढ़कर 4.8 लाख रुपये हो सकती है।
फ़िल्म ऐक्टर सैफ पर जानलेवा हमला
प्रभात खबर के अनुसार अभिनेता सैफ अली खान के मुंबई के बांद्रा स्थित घर में चोरी करने की कोशिश के दौरान हमलावर ने उन पर चाकू से हमला कर दिया। हमलावर ने सैफ के गले, पीठ, हाथ और सिर समेत में छह जगहों पर चाकू से वार किया। गंभीर रूप से घायल अभिनेता को तत्काल लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी दो सर्जरी की गई। अस्पताल के सीओओ डॉक्टर नीरज उत्तमानी ने बताया कि सैफ की रीढ़ की हड्डी में ढाई इंच का चाकू का टुकड़ा फंसा था। यहां से फ्लूइड लीक हो रहा था। सर्जरी कर इसे निकाला गया। अभिनेता के बाएं हाथ पर दो गहरे घाव थे और गर्दन पर भी गहरी चोट थी। इनकी प्लास्टिक सर्जरी की गई है। वह स्वस्थ हो रहे हैं और पूरी तरह खतरे से बाहर है। इधर मुंबई पुलिस ने बताया कि मामले में हमलावर की पहचान कर ली गई है लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
हमलावर ने एक करोड़ की मांग की थी
हिन्दुस्तान के अनुसार अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले के मामले में एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में ब्रांदा पुलिस स्टेशन में दर्ज केस से एक नया खुलासा हुआ है कि आरोपी ने एक करोड़ की मांग की थी। पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार, सैफ के घर पर काम करने वाली घरेलू सहायिका ने बताया कि बाथरूम के दरवाजे के पास जाकर देखा, तो एक अजनबी बाथरूम से निकलकर जेह के बिस्तर के पास जाने लगा। यह देखकर महिला घबराकर जेह के पास दौड़ी और आरोपी से पूछा कि वह क्या चाहता है। इस पर आरोपी ने चुप रहने की धमकी दी। महिला ने फिर पूछा कि उसे क्या चाहिए, तो आरोपी ने कहा कि एक करोड़ रुपये।
बीपीएससी के रिजल्ट पर रोक से इनकार
जागरण के अनुसार पटना हाईकोर्ट ने बीपीएससी द्वारा आयोजित 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोग्य परीक्षा (पीटी) में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ ने पप्पू कुमार एवं अन्य द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे गंभीर हैं लेकिन मौजूदा स्थिति में कोई अंतिम राहत देना संभव नहीं है। पीटी के रिजल्ट पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। न्यायालय ने आयोग और सरकार को 30 जनवरी तक याचिका पर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि परीक्षा की स्थिति इस याचिका की अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी।
इसरो का कमाल
प्रभात खबर के अनुसार इसरो ने गुरुवार को स्पेडेक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो सेटेलाइट की डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली। इसरो के वैज्ञानिकों ने चौथे प्रयास में यह कामयाबी हासिल की है। इस कामयाबी के साथ ही भारत ने अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए हैं। डॉकिंग दो सैटेलाइट या उपग्रहों को अंतरिक्ष में जोड़कर नया ढांचा बनाने की एक प्रक्रिया है। इसमें अंतरिक्ष में बुलेट की स्पीड से 10 गुना ज्यादा तेजी से ट्रेवल कर रहे हैं दो स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ा जाता है। इसरो ने इसे ‘रोमांचक हैंडशेक’ के के रूप में वर्णित किया है।
बिहार की निचली अदालतों में हड़ताल
हिन्दुस्तान के अनुसार पटना समेत सूबे के सभी निचली अदालतों के कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से गुरुवार को न्यायिक कार्य ठप रहा। बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ ने अपनी चार सूत्री मांगों के समर्थन में हड़ताल करने की घोषणा की है। हड़ताल के पहले दिन इसका खासा असर दिखा। न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप हो गए।
कुछ और सुर्खियां
- NEET UG चार मई को, ऑफलाइन मोड (पेन पेपर) में होगा इम्तिहान
- जन सुराज पार्टी के प्रमुख ने बीपीएससी की परीक्षा के मुद्दे पर जारी अपना अनशन 15वें दिन तोड़ा, अब सत्याग्रह करेंगे
- अदानी के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का फैसला
- अमेरिका ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर सहित तीन भारतीय परमाणु संस्थानों से हटाई पाबंदी
- समस्तीपुर में बॉयलर फटने के मामले में दो और मजदूरों की जान गई, दो और मजदूरों की मौत पहले ही हुई थी
- खगड़िया में खुलेगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल: नीतीश कुमार
अनछपी: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने विदाई भाषण में कहा है कि कुछ अमीर लोग लोकतंत्र पर कब्जा कर रहे हैं जो बेहद खतरनाक है। बाइडन की यह बात केवल अमेरिका पर नहीं बल्कि भारत पर भी लागू होती है। भारत में भी एक खास पार्टी को सबसे ज्यादा चंदा मिलता है और उसे समर्थन करने वाले भी दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल उद्योगपति हैं। लीबिया के तानाशाह नेता मुअम्मर क़ज़्ज़ाफी ने कभी लोकतंत्र को सबसे बड़ी पार्टी की तानाशाही वाली व्यवस्था बताया था। उनकी बात ऐसे माहौल में सही साबित होती है जब कुछ ‘सुपर रिच’ लोकतंत्र को नियंत्रित करने लगते हैं। याद रहे कि जो बाइडन की पार्टी इस बार चुनाव में हार गई और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जीत मिली जिनके सबसे बड़े समर्थक एलन मस्क इस समय दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। जो बाइडन का कहना है कि अमेरिका में अत्यधिक धन, शक्ति और सुपर रिच का एक खतरनाक गुट बन रहा है। बाइडन ने कहा कि ऐसे लोगों की गुटबाजी से आम लोगों के बुनियादी अधिकारों और अमेरिका की आजादी को भी खतरा है। लोकतंत्र में धन तंत्र का आना केवल अमेरिका के लिए नहीं बल्कि भारत समेत अन्य लोकतंत्र के लिए भी गंभीर खतरे की निशानी है। अमेरिका के हाल को हम भारत से आसानी से जोड़ पाने की स्थिति में हैं। जो बाइडन ने जो एक और महत्वपूर्ण बात कही वह यह थी कि टेक-इंडस्ट्रियल गुडबाजी भी चिंताजनक हो चुकी है। उन्होंने बेकाबू होते सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके अनियंत्रित होने से लोगों तक सच नहीं पहुंच पा रहा है। सोशल मीडिया पर सच को दबाने और झूठ को बढ़ावा देने का मामला भारत में भी गंभीर रूप ले चुका है। भारत में फैक्ट चेक करना एक अहम काम बन गया है क्योंकि फेक न्यूज़ फैलाने का काम काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। लेकिन फेसबुक जैसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फैक्ट चेक को बढ़ावा नहीं दे रहा बल्कि फेक न्यूज़ को जांचने वाली टीम पर भी रोक लग रहा है। भारत में जो फासीवादी ताकतें हैं वह फेक न्यूज़ का धड़ल्ले से इस्तेमाल करती हैं। अफ़सोस यह है कि बाइडन को इस बात का एहसास अब हो रहा है और उनके जमाने में भी कई जगह अमेरिका की मदद से लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। लोकतंत्र पर अमीरों के इस शिकंजे से बचने के लिए भारत में भी गंभीर चिंतन की जरूरत है।
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