छ्पी-अनछपी: 71 लाख का नाम कट सकता है वोटर लिस्ट से, बिना फॉर्म भरे जमा होने का मैसेज
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार विभिन्न कर्म से 71 लाख वोटरों का नाम लिस्ट से हट सकता है। चुनाव आयोग का एन्यूमरेशन फॉर्म जिन लोगों ने जमा नहीं किया उन्हें भी फॉर्म मिलने का मैसेज मिल रहा है। इसराइल ने सीरिया के मिलिट्री हेडक्वार्टर पर हमला किया है। एनसीईआरटी की नई किताब में मुगल काल को क्रूर बताया गया है। पटना के असिस्टेंट इनकम टैक्स डायरेक्टर को घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
और, जानिएगा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्यों कहा कि हिम्मत है तो उन्हें भी डिटेंशन सेंटर में डालें।
पहली खबर
प्रभात खबर के अनुसार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम में मतदाताओं को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। दो दौर के बूथ लेवल ऑफिसर के घर-घर ग्राम पुनरीक्षण में यह सामने आया है कि 71 लाख से अधिक मतदाताओं के बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिली है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन सभी मतदाताओं के नाम 1 अगस्त को होने वाले मतदाता सूची के ड्राफ्ट प्रकाशन में शामिल नहीं होंगे। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक कुल मतदाताओं में से 9.02 फीसदी मतदाताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। आयोग ने बताया है कि पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण में 35 लाख 69435 मतदाता अपने पते पर नहीं मिले हैं। इसके अलावा सर्वेक्षण के दौरान 12 लाख 55 हज़ार 620 मतदाताओं की मृत्यु की जानकारी मिली है। सर्वेक्षण में यह पाया गया कि राजभर में 17 लाख 37 हजार 336 मतदाता अब तक संभवतः स्थाई रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। इसके अलावा 5 लाख 76 हजार 479 वोटर का नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज किया गया है।
फॉर्म भरे बिना मिल रहा मिलने का मैसेज
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान गणना फॉर्म नहीं भरने वालों को भी गणना फॉर्म सफलतापूर्वक जमा करने के मैसेज आ रहे हैं। राज्य के निवासियों के साथ ही विदेश में लंबे समय से निवास कर रहे बिहारवासियों को इस प्रकार के मैसेज आ रहे हैं। लंदन में निवास कर रहे ऐसे ही एक व्यक्ति को ईपिक संख्या एलआरएफ 1861368 के लिए गणना फॉर्म सफलतापूर्वक जमा कर दिए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। इसके बारे में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल का कहना है कि मतदाता सूची में पूर्व से मोबाइल नंबर दर्ज होने एवं तकनीकी त्रुटि के कारण यह मैसेज गया होगा। आईटी सेल को सिर्फ गणना फॉर्म जमा करने वाले मतदाता द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर पर सूचना देना सुनिश्चित कराया जाएगा। इसके लिए आईटी सेल को निर्देश दिए जा रहे हैं।
इसराइल ने सीरिया का मिलिट्री हेडक्वार्टर उड़ाया
प्रभात खबर के अनुसार आईडीएफ यानी इजरायल के डिफेंस फोर्स ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में सीरियाआई शासन के सैन्य मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर हमला किया। इधर इस बीच बुधवार को सीरियाआई सरकार और ड्रूज नेताओं द्वारा एक नए संघर्ष विराम की घोषणा की गई। इसराइल ने सीरिया में ड्रूज समुदाय की रक्षा का हवाला देते हुए दमिश्क के केंद्र में रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रपति निवास के निकट घातक हवाई हमले किए। इसराइल ने दमिश्क में बुधवार को अभूतपूर्व हवाई हमले किए। इनमें रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय को निशाना बनाया गया जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और 18 घायल हो गए। इसके अलावा एक अन्य बमबारी राष्ट्रपति भवन के पास स्थित पहाड़ी क्षेत्र में हुई।
एनसीईआरटी की नई किताब में मुगल काल को क्रूर बताया गया
हिन्दुस्तान के अनुसार एनसीईआरटी ने आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की नई पुस्तक पेश की है। इस किताब में मुगल शासकों को क्रूर और निर्दयी बताया गया है। पुस्तक में मुगल सम्राटों के शासन का वर्णन करते हुए कहा गया है कि अकबर का शासन ‘क्रूरता‘ और ‘सहिष्णुता’ का मिश्रण था। बाबर एक निर्मम आक्रमणकारी था, जबकि औरंगजेब एक सैन्य शासक था, जिसने गैर-मुस्लिमों पर जजिया लगाया था। एनसीईआरटी की पुस्तक ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी : इंडिया एंड बियॉन्ड’ आठवीं के विद्यार्थियों को दिल्ली सल्तनत, मुगलों, मराठों और औपनिवेशिक युग से परिचित कराती है। पुस्तक के आरंभ में ‘इतिहास के कुछ अंधकारमय काल पर टिप्पणी’ शीर्षक वाला एक खंड है। इसमें एनसीईआरटी ने संवेदनशील और हिंसक घटनाओं, मुख्य रूप से युद्ध और रक्तपात को शामिल किया है। इसमें दिए गए नोट में आग्रह किया गया है कि वे ‘क्रूर हिंसा, अपमानजनक कुशासन या सत्ता की गलत महत्वाकांक्षाओं के ऐतिहासिक मूल’ को निष्पक्षता से समझें। इसमें कहा गया कि अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
हिम्मत है तो मुझे भी डिटेंशन सेंटर में डालो: ममता
भास्कर के अनुसार भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न के खिलाफ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बुधवार को कोलकाता में विरोध मार्च निकाला। इस दौरान सीएम ममता ने कहा, “बंगालियों के प्रति भाजपा के रवैया से मैं शर्मिंदा और निराश हूं। मैंने अब से ज्यादा बांग्ला में बोलने का फैसला किया है। अगर हिम्मत हो सके तो मुझे डिटेंशन सेंटर में डालो।” बता दें कि ममता ने यह विरोध मार्च पीएम नरेंद्र मोदी के गुरुवार के बंगाल दौरे से एक दिन पहले आयोजित किया है। बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव भी है। तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी ने रैली में कहा, “दिल्ली की जय हिंद कॉलोनी में वैध दस्तावेजों के बावजूद बंगालियों को अवैध बताया। महाराष्ट्र में मतुआ समुदाय के 6 लोगों को हिरासत में लिया गया। यह बंगालियों को नीचा दिखाने की साज़िश है।”
कुछ और सुर्खियां:
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चौथे चरण में शिक्षकों के खाली पदों पर जल्द भर्ती करने का निर्देश दिया
- जहानाबाद में एनएच पर चढ़ा पानी, गया में फल्गु पर बना पुल बहा
- बिहार में बिजली गिरने से 19 लोगों की जान चली गई
- बिहार के 2000 पैक्सों में खुलेंगे जन औषधि केंद्र
- दिल्ली से गोवा जा रहे इंडिगो विमान का एक इंजन फेल, इमर्जेंसी लैंडिंग कराई गई
अनछपी: बिहार में वोटर वेरीफिकेशन के नाम पर चलने वाले एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न) के तीन सप्ताह होने वाले हैं और इस दौरान चुनाव आयोग के अजीबोगरीब बयानों और हरकतों से बिहार की करोड़ों की आबादी परेशान रही है। परेशानी का ताजा कारण यह है कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो कह रहे हैं कि उन्होंने अपना एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं किया है फिर भी उनके पास इसका मैसेज आ रहा है कि उनका एन्यूमरेशन फॉर्म सफलतापूर्वक जमा हो गया है। यह सिर्फ उनके लिए परेशानी का सबब नहीं है जिनके पास ऐसे मैसेज आ रहे हैं बल्कि उन करोड़ों लोगों की परेशानी का सबब है जिन्होंने फॉर्म जमा किया है क्योंकि इससे यह अंदाजा लगता है कि मनमानी ढंग से फॉर्म को अपलोड करने और सफलतापूर्वक जमा करने का मैसेज दिया जा रहा है। चुनाव आयोग इस बात के लिए अपनी पीठ थपथपा सकता है कि उसने अपलोड किए गए फॉर्म का स्टेटस जानने के लिए ट्रैकर जारी किया है यानी उसकी वेबसाइट पर जाकर अगर आप अपना वोटर आईडी कार्ड नंबर डालें तो आपको पता चलेगा कि आपका फॉर्म जमा हो गया है या नहीं हुआ है। कई लोगों की शिकायत है कि उन्होंने फॉर्म तो जमा कर दिया है लेकिन ऑनलाइन ट्रैकिंग पर उन्हें फॉर्म जमा नहीं होने या अपलोड नहीं होने की बात बताई जा रही है। चुनाव आयोग को इस मामले में साफ जानकारी देनी चाहिए कि एक ही साथ जमा हुए फॉर्म में से कुछ लोगों को फॉर्म जमा करने का मैसेज मिल रहा है और कुछ लोगों को यह मैसेज मिल रहा है कि अभी उनका फॉर्म या तो जमा नहीं हुआ है या अपलोड नहीं हुआ है। सवाल यह है कि ऐसे लोग कितने दिन इंतजार करें और उनके लिए क्या उपाय है? चुनाव आयोग की ओर से अब तक ऐसी जितनी अजीबोगरीब हरकतें हुई हैं सुप्रीम कोर्ट को उसका नोटिस लेना चाहिए।
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