छ्पी-अनछपी: लोन का लालच देकर करोड़ों की ठगी में 11 गिरफ्तार, हिरासत में मौत मामले में थानेदार सस्पेंड
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के जामताड़ा के रूप में बदनाम हो रहे नवादा जिले से सस्ता लोन देने के नाम पर ठगी करने वाले 11 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। हिरासत में युवक की मौत के मामले में फुलवारी शरीफ के थानेदार समेत छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने बिहार के सरकारी स्कूलों में लगाई गई सबमर्सिबल बोरिंग की जांच का आदेश दिया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सीईयूटी-यूजी का रिजल्ट जारी कर दिया है। मनु भाकर ने ओलंपिक के निशानाबाजी मुकाबले में कांस्य पदक जीता है।
हिन्दुस्तान के अनुसार नवादा साइबर पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने बड़े साइबर गिरोह का खुलासा किया है। सस्ती दर पर लोन देने का झांसा देकर करोड़ों की ऑनलाइन ठगी में जुटे 11 अपराधियों को पुलिस ने दबोच लिया। सभी रविवार को वारिसलीगंज के अपसढ़ गांव के बगीचे में करीब दो बजे बैठ कर ठगी करने में जुटे थे। इनके पास से एक लैपटॉप, 34 मोबाइल, 13 नये सिम कार्ड, एक बाइक व 168 पेज कस्टमर डेटा शीट जब्त किये गये। ये सभी अपराधी धनी फाइनेंस इंडिया बुल्स नामक कंपनी से चार फीसदी ब्याज पर लोन देने का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी में जुटे थे। बरामद कस्टमर डेटा शीट में बड़ी संख्या में बिहार समेत दूसरे राज्यों के उपभोक्ताओं के नाम-पता तथा मोबाइल नंबर पाया गया है। अपराधी पहले उपभोक्ताओं को फोन करते थे और रजिस्ट्रेशन-प्रोसेसिंग शुल्क आदि के नाम पर लाखों की ठगी कर विभिन्न बैंकों व यूपीआई में रुपये ट्रांसफर कराते थे।
हिरासत में मौत मामले में थानेदार समेत छह सस्पेंड
जागरण के अनुसार हिरासत में मेधावी युवक जीतेश कुमार की बेरहमी से पिटाई की कारण मौत के मामले में फुलवारी शरीफ थाने के थानेदार सफ़ीर आलम समेत 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। एसएसपी राजीव मिश्रा ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की है। जीतेश फुलवारी शरीफ थाने में दर्ज उसके ममेरे भाई के अपहरण मामले में संदिग्ध था। सिविल कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जीतेश की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने जीतेश और उसके दो दोस्तों को रास्ते से उठा लिया। आरोपित पुलिसकर्मियों ने स्वयं को बचाने के लिए दिल का दौरा पड़ने से जीतेश की मौत होने की बात कही थी लेकिन उसके सर से तलवे तक पिटाई के गहरे निशान साफ दिख रहे थे। इस मामले में जीतेश के भाई नीतेश ने मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई थी। पटना पुलिस ने आयोग की फटकार के बाद अपहरणकांड के आईओ रोहित कुमार समेत पांच पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया था। आयोग ने एसएसपी पर 15 लाख 74000 का आर्थिक दंड भी लगाया था।
सबमर्सिबल बोरिंग की जांच होगी
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में सबमर्सिबल बोरिंग की जांच करने का फैसला लिया है। जांच की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) को सौंपी गई है। शिक्षा विभाग ने पीएचईडी से 15 दिनों में जांच रिपोर्ट देने का आग्रह किया है। यह जांच रैंडम होगी। इसके लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने पीएचईडी को पत्र भेजा है। मालूम हो कि पिछले छह-सात महीने में अभियान चलाकर सरकारी स्कूलों में सबमर्सिबल बोरिंग कराई गयी ताकि, बच्चों को स्वच्छ जल नल उपलब्ध हो सके। लेकिन, विभिन्न कारणों से हर जिले के कई स्कूलों में सबमर्सिबल बारिंग का फायदा बच्चों को नहीं मिल रहा था। औसतन हर स्कूल में ढाई लाख रुपए खर्च कर सबमर्सिबल बोरिंग करायी गई थी। सबमर्सिबल के साथ ही स्कूलों में पाइप बिछाने, छत पर टंकी बैठाने, बिजली कनेक्शन देने आदि कार्य करने थे। लेकिन, कई स्कूलों में स्थिति यह है कि बोरिंग तो कर दी गयी, पर वहां नल ही नहीं लगे हैं। ना ही पाइप बिछाई गई है।
सीयूईटी यूजी का रिजल्ट जारी
जागरण के अनुसार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने रविवार को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट सीयूईटी-यूजी के नतीजे घोषित किए। इसी के साथ स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता साफ हो गया। सीयूईटी-यूजी परिणाम में देरी नीट यूजी, यूजीसी नेट सहित प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई अनियमिताओं और पेपर लीक के विवाद के चलते हुई है। इस साल सीयूईटी-यूजी के रिजल्ट के साथ परसेंटाइल नहीं घोषित किया गया है। सीयूईटी-यूजी में सबसे ज्यादा यानी फुल मार्क्स पाने वाले विद्यार्थी बिजनेस स्टडीज के हैं जिनकी संख्या 8024 है। राजनीति विज्ञान में 5141 विद्यार्थियों को फुल मार्क्स मिले हैं। इसके अलावा इतिहास में 2520, अंग्रेजी में 1683 और मनोविज्ञान में 1602 छात्रों को पूरे अंक मिले हैं।
मनु भाकर ने दिलाया मेडल
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार महिला निशानेबाज मनु भाकर ने रविवार को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह ऐसा करने वाले देश की पहली महिला निशानेबाज बन गई है। मनु ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही निशानेबाजी में ओलंपिक पदक का 12 वर्ष का सूखा भी खत्म हुआ। इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में भारत को पदक मिला था। सिल्वर और गोल्ड मेडल दक्षिण कोरिया के निशानेबाजों ने जीता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मनु भाकर को पदक जीतने पर बधाई दी है।
कुछ और सुर्खियां
- पश्चिम चंपारण की मझौलिया चीनी मिल के पास वेल्डिंग करवाने के दौरान टैंकर फटा, एक की मौत, दो ज़ख़्मी
- बेसमेंट में पानी भरने के बाद हुई तीन मौत के मामले में दिल्ली के कोचिंग सेंटर के मालिक और कोऑर्डिनेटर गिरफ्तार
- अप्रैल जून तिमाही के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश पांच गुना बढ़ा
- गया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में मेट्रो रेल शुरू करने की फीजिबिलिटी रिपोर्ट 4 महीने में मिलेगी
- गोलान हाइट्स पर हिज़्बुल्लाह के हमले में 12 इसराइली नागरिकों की मौत के बाद तनाव
अनछपी: नवादा जिले के वारिसअलीगंज प्रखंड के अपसढ़ गांव में साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी से जहां एक और पुलिस की सक्रियता का पता चलता है वहीं यह बात भी सामने आती है कि ऐसे आपराधिक तत्वों को समाज का एक वर्ग आसानी से स्वीकार कर रहा है। झारखंड का जामताड़ा साइबर अपराध के लिए बदनाम रहा है और इस पर सीरियल भी बना है लेकिन क्या यह सोचने की बात नहीं है कि अब बिहार का नवादा भी झारखंड के जामताड़ा की तरह होता चला जा रहा है। जिन 11 अपराधियों को वारिसअलीगंज के अपसढ़ से गिरफ्तार किया गया है, क्या उस गांव के लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं रही होगी? सवाल यह है कि गांव की जानकारी में रहते हुए ऐसे आपराधिक तत्व सक्रिय रहते हैं तो क्या समाज को दोष नहीं दिया जाना चाहिए? इस बात के महत्व को समझाना मुश्किल नहीं है कि पसीने बहा कर जमा की गई गाढ़ी कमाई को साइबर अपराधी मिनटों में उड़ा ले जाते हैं और इससे परिवार टूट जाता है। क्या इसमें कोई शक है कि उन 11 अपराधियों के घर वालों को इस बात की जानकारी ज़रूर रही होगी? कहने का मतलब यह है कि साइबर अपराध पर कंट्रोल के लिए जहां एक ओर पुलिस की सक्रियता जरूरी है, वहीं समाज की भागीदारी के बिना इस पर पूरी तरह काबू करना नामुमकिन है। ऐसे में पुलिस और सरकार को सामूहिक जुर्माना लगाने का बहाना मिल जाता है और अगर गांव पर सामूहिक जुर्माना लगाया जाए तो बहुत से लोगों को आपत्ति होगी लेकिन इसका क्या किया जाए कि गांव के समर्थन से ही ऐसे आपराधिक तत्व सक्रिय रहते हैं? आज नहीं तो कल पुलिस समाज के बीच यह बात लेकर जाएगी कि आखिर उनके मौन समर्थन से ऐसे तत्व सक्रिय रहते हैं तो उन पर भी कार्रवाई क्यों ना की जाए? फिलहाल पुलिस अधिकारियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि हर उस गांव के समाज के लोगों के साथ बैठक कर उन्हें यह बात समझने की कोशिश करे कि साइबर क्राइम पर कंट्रोल के लिए उनका सहयोग जरूरी है। अगर समाज के लोग ऐसे साइबर अपराधियों को अपने गांव से भगाना शुरू करें तो साइबर क्राइम कंट्रोल करने में काफी मदद मिलेगी। इसलिए सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में सोचना चाहिए।
236 total views